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________________ भूअण्ण-भेअ पाइअसद्दमहण्णवो (इका ठा २, ३-पत्र ८४)। २ राजा भूण देखो भुण्ण (संक्षि १७; सम्मत्त ८६) भूमीस पु[भूमीश] राजा (श्रा १२) । कूणिक का पट्ठ-हस्ती (भग १७, १) भूज देखो भुज = भूर्ज (प्राकृ २६)। भूमीसर पुं[भूमीश्वर] राजा (सुपा ५०७)। "जिंदप्पह ([निन्दप्रभ] भूतानन्द इन्द्र भूप देखो भू-व (वव १)। भूयिट्ठ देखो भूइट्ठ (हास्य १२३)। का एक उत्पात-पर्वत (राज), वाय देखो 'वाय (विसे ५५१; पव ६२ टी)। भूमआ देखो भुमया (प्राप्र)। भूरि वि [भूरि] १ प्रचुर, अत्यन्त, प्रभूत भूमणया स्त्री [दे] स्थगन, आच्छादन (वव (गउड; कुमाः सुर १, २४८, २, ११४)। भूअण्ण पुं[दे] जोती हुई खल-भूमि में किया २ न. स्वर्ण, सोना। ३ धन, दौलत (साध जाता यज्ञ (दे ६, १०७)। ८४), "स्सव पुं[श्रवस् ] एक चन्द्रभूआ स्त्री [भूता] १ एक जैन साध्वी, भूमि स्त्री [भूमि] १ पृथिवी, धरती (पउम महर्षि स्थूलभद्र की एक भगिनी (कप्प; पडि)। ६६, ४८; गउड)। २ क्षेत्र (कुमा)। ३ वंशीय राजा, भूरिश्रवा (नाट–वेणी ३७)। २ इन्द्राणी की एक राजधानी (जीव ३) । स्थल, जमीन, जगह, स्थान (पामः उवाः भूस सक [भूषय ] १ सजावट करना। कुमा)। ४ काल, समय (कप्प)। ५ माल, २ शोभाना, अलंकृत करना । भूसेमि (कुमा)। भूइ स्त्री [भूति] १ संपत्ति, धन, दौलतः 'ता परदेसं गंतुं विढवित्ता भूरिभूइपब्भारं' मंजिला, तलाः 'सत्तभूमियं पासायभवणं' वकृ. भूसयंत (रंभा)। कृ. भूस (रंभा)। (सुर १, २२३; सुपा १४८)। २ भस्म, (महा)। कंप पुं [कम्प] भू-कम्प (पउम भूसण न [भूषण] १ अलंकार, गहना (पात्र; राखः 'जारमसाणसमुन्भवभूइसुहप्फंससिजि ६६, ४८) । °गिह, घर न [गृह] नोचे | कुमा)। २ सजावट । ३ शोभा-करण (पएह रंगीए' (गा ४०८; स ६ गउड)। ३ महा का घर, भुंइघरा, तहखाना (श्रा १६, महा)। २, ४ सण)।" देव के अंग की भस्म; 'भूइभूसियं हरसरीरं गोयरिय वि [गोचरिक] स्थलचर, मनुष्य भूसा स्त्री [भूषा] ऊपर देखो (दे ३, ८; व' (सुपा १४८, ३६३)। ४ वृद्धि (सूप आदि (पउम ५६, ५२)। स्त्री. रो (पउम कुमा)। १, ६, ६)। ५ जीव-रक्षा (उत्त १२, ३३)। ७०, १२) । "च्छत्त न [च्छत्र] वनस्पति-भूसिअ विभूषित] मण्डित, अलंकृत (गा 'कम्म पुंन ["कर्मन्] शरीर आदि की रक्षा विशेष (दे) । तल न [तल] धरा-पृष्ठ, ५२०कुमाः काल)।के लिए किया जाता भस्मलेपन-सूत्रबंधनादि भूतल (सुर २, १०५)। देव पुं [देव भूहरी स्त्री [दे] तिलक-विशेष (सिरि (पव ७३ टी; बृह १)। पण्ण, पन्न वि ब्राह्मण (मोह १०७) 4 °फोड पुं[°स्फोट] १०२२)। [प्रज्ञ] १ जीव-रक्षा की बुद्धिवाला (उत्त वनस्पति-विशेष (जी ६) । फोडी स्त्री [°स्फोटी] एक प्रकार का जहरीला जन्तु भे अ [ भोस् ] आमन्त्रण-सूचक अव्यय १२, ३३)। २ ज्ञान की वृद्धिवाला, अनन्त । 'पासवणं कुणमाणो दट्ठो गुज्झम्मि भूमि (औप)। ज्ञानी (सूत्र १, ६, ६)। देखो भूई। फोडीए' (सुपा ६२०)। भाग पुं[भाग] भेअ पुन [भेद] १ प्रकार, 'पुढविभेप्राइ भूइंद पुं [भूतेन्द्र] भूतों का इन्द्र (पि भूमि-प्रदेश (महा)। रुह पुन [रुह] इचाई' (जी ४, ५)। २ विशेष, पार्थक्य भूमिस्फोट, वनस्पति-विशेष (श्रा २०; पव (ठा २, १, गउड; कप्पू)। ३ एक राजभूइट वि [भूयिष्ठ] अति प्रभूत, अत्यन्त ४)। वइ पुं [पति] राजा (उप पृ नीति, फूट; 'दारणमारोवयारेहि सामभेमाइएहि (विसे २०३६; विक्र १४१)। १८८), वाल पुं[पाल] राजा (गउड)। य' (प्रासू ६७), 'सामदंडभेयवप्पयाणणीइभूइदा स्त्री [भूतेष्टा] चतुर्दशी तिथि (प्रारू) सुअ ' [सुत] मंगल-ग्रह (मृच्छ १४६)। सुप्पउत्तणयविहिन्नू' (णाया १, १-पत्र भई देखो भूइ (पव २-११२)। कम्मिय हर देखो °घर (महा) । देखो भूमी। ११)। ४ घाव, प्राघात; 'वड्डति वम्महवि [कर्मिक भूति-कर्म करनेवाला (औप)। भूमिआ स्त्री [भूमिका] १ तला, मंजिल, विइएणसरप्पसारा ताणं पासइ ललु चिन | माल (महा)। २ नाटक में पात्र का वेशान्तरभूओ प्र[भूयस् ] १ फिर से, पुनः (पउम चित्तभेो' (कप्पू)। ५ मण्डल का अवान्त राल, बीच का भागः ६८, २८; पंच २, १८)। २ बारंबार, फिर ग्रहण (कप्पू)। 'पडिवत्तीपो उदए तह प्रत्थमरणेसु य। फिर; 'भूम्रो य अहिलसंत' (उप ६५१) भमिंद पं भिमीन्दा राजा. नरपति (सम्मत्त भेयवा(? घा)प्रो कएणकला 'गार पुं[ कार] कम-बन्ध का एक प्रकार, । २१७)। मुहुत्ताण गतीति य॥ थोड़ी कर्म-प्रकृति के बन्ध के बाद होनेवाला भूमिपिसाय पुं [दे. भूमिपिशाच] ताल अधिक-प्रकृति-बन्ध (पंच ५, १२)। (सुज १, १)। वृक्ष, ताड़ का पेड़ (दे ६, १०७)। ६ विच्छेद, पृथक्करण, विदारण (प्रौप; भूओद ' [भूतोद] समुद्र-विशेष (सुज १६) * भूमी देखो भूमि (से १२, ८८; कप्पू; पिंड अणु)। कर वि [°कर] विच्छेद-कर्ता भूओबघाइय वि [भूतोपघातिन् क] जीवों ४४८, पउम ६४, १०)। तुडयकूड न (प्रौप)। घाय पुं[घात] मंडल के बीच की हिंसा करनेवाला (सम ३७; औप)। [तुडगकूट] एक विद्याधर-नगर (इक) में गमन (सुज्ज १,१)) समावन्न वि मुँहडी (अप) देखो भूमि (हे ४, ३६५ टि)। भुयंग पु[भुजङ्ग] राजा (मोह ८८) ["समापन्न] भेद-प्राप्त (भग)। ८३ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016080
Book TitlePaia Sadda Mahannavo
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHargovinddas T Seth
PublisherMotilal Banarasidas
Publication Year1986
Total Pages1010
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
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