SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 660
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ५६० पाइअसहमहण्णवो पार-पारावय पार देखो पायार (हे १, २६८ कुमा)। पारतंत न [पारतन्त्र्य परतन्त्रता, पराधीनता पारय न [दे] सुरा-भाण्ड, दारू रखने का पारंक न [दे] मदिरा नापने का पात्र (दे (उप २५२, पंचा ६, ४१; ११, ७)। पात्र (दे ६,३८)। पारत्त अ [परत्र] परलोक में, आगामी जन्म | पारय देखो पार-ग (कप्प; भग; अंत)। पारंगम वि [पारगम] १ पार जानेवाला । में 'पारत्त बिइज्जमो धम्मो' (पउम ५, पारय पुं [प्रावारक]१ पट, वस्त्र । २ वि. २ पार-गमन (आचा)। प्राच्छादक (हे १, २७१; कुमा)। पारंगय वि [पारंगत] पार-प्राप्त (कुप्र २१)। पारत्त वि [पारत्र, पारत्रिक] पारलौकिक, पारंचि वि [ पाराश्चि ] सर्वोत्कृष्ट-दशम पारलोइअ वि[पारलौकिक] परलोक-संबन्धी, आगामी जन्म से संबन्ध रखनेवाला: 'इत्तो प्रायश्चित्त करनेवाला, 'पारंचीणं दोरहवि' पागामो जन्म से संबन्ध रखनेवाला (पएह १, पारत्तहियं ता कीरउ देव ! वंकचूलिस्स' (बृह ४)। ३, ४) सूप २, ७, २३; कुप्र ३८१, सुपा (धर्मवि ६०; ओघ ६२; स २४६)। ४६१)। पारंचिय न [पाराश्चिक] १ सर्वोत्कृष्ट प्राय पारत्ति स्त्री [दे] कुसुम-विशेष (गउड; श्चित्त, तप-विशेष से अतिचारों की पार पारवस्स न पारवश्य] परवशता, पराधीनता कुमा)। प्राप्ति (ठा ३, ४–पत्र १६२औप)। २ (रयण ८१)। पारत्तिय वि [पारत्रिक] देखो पारत्त = वि. सर्वोत्कृष्ट प्रायश्चित्त करनेवाला (ठा पारस पुं [पारस] १ अनायं देश-विशेष, पारत्र (स ७०७)। फारस देश, ईरान (इक)। २ मरिण-विशेष, पारदारिय वि [पारदारिक] परस्त्री-लम्पट पारंचिय [पाराश्चित ] ऊपर देखो (कसः जिसके स्पर्श से लोहा सुवर्ण हो जाता है (णाया १, १८-पत्र २३६)। बृह ४)। (संबोध ५३)। ३ पारस देश में रहनेवाली पारंपज्ज न [पारम्पर्य परम्परा (रंभा १५)। पारद्ध वि [प्रारब्ध] १ जिसका प्रारम्भ किया मनुष्य-जाति (पएह १,१) । उल न [°कुल पारंपर ( [दे] राक्षस (दे ६, ४४)। गया हो वह पारद्धा य विवाहनिमित्तं सयला १ ईरान देश भरिऊण भंडस्स वहणाई पत्तो पारंपर न [पारम्पर्य परम्परा (पउम सामग्गो' (महा)। २ जो प्रारम्भ करने लगा पारसउलं', 'इनो य सो अयलो पारसउले पारंपरिय। २१, ८०, पारा १६; धर्मसं | हो वहः 'तप्रो अवरएहसमए पारद्धो नच्चि' विढविय बहुयं दब्ब' (महा)। २ वि. पारस १११८; १३१७); 'पायरियपारंपये (? रिए) (महा)। देश का, ईरान का निवासी; 'मागह्यपारसउला ण भागय (सूअनि १२७–पृष्ठ ४८७)। पारद्ध न [दे] पूर्व-कृत कर्म का परिणाम, कालिंगा सीहला य तहा' (पउम ६६, ५५)। पारंपरिय वि [पारम्परिक] परंपरा से चला प्रारब्ध । २ वि. आखेटक, शिकारी। ३ कूल न [कूल] ईरान का किनारा, ईरान प्राता (उप ७२८ टी)। पीड़ित (दे ६,७७)। देश की सीमा (प्रावम)। पारंभ सक [प्रा + रभ ] १ प्रारम्भ करना, पारद्धि स्त्री [पापद्धि] शिकार, मृगया (हे १, पारसिय वि [पारसिक] फारस देश का, शुरू करना। २ हिंसा करना, मारना। ३ २३५, कुमाः उप पृ २५७, सुपा २१६)। 'सहसा पारसियसुग्रो समागमो रायपयमूले', पीड़ा करना । पारंभेमि (कुप्र ७०)। कवकृ. पारद्धि वि [पापर्द्धिक शिकारी, शिकार 'पारसियकीरमिहुणं' (सुपा २६७; ३६०)। 'तराहाए पारज्झमाणा' (मौप)। पारसी स्त्री [पारसी] १ पारस देश को स्त्री करनेवाला, गुजराती में 'पारधी 'मयणमहा- (प्रौप णाया १,१-पत्र ३७, इक)। २ पारंभ पुं[प्रारम्भ] शुरू, उपक्रम (विसे । पारद्धियनिसायबाणावलीविद्धा' (सुपा ७१; लिपि-विशेष, फारसी लिपि (विसे ४६४ टी)। १०२०० पव १९६)। मोह ७६)। पारंभिय वि [प्रारब्ध] प्रारब्ध, उपक्रान्त पारमिया स्त्री [पारमिता] बौद्ध-शास्त्र-परि पारसीअ वि [पारसीक] फारस देश का निवासी (गउड)। (धर्मवि १४४; सुर २, ७७, १२, १५६; भाषित प्राणातिपात-विरमणादि शिक्षा-व्रत, पाराई श्रीदे] लोह-कुशी-विशेष, लोहे की सुपा ५५)। अहिसा आदि व्रत (धर्मसं ९८८)। दंडाकार छोटी वस्तु; 'चडवेलावज्झपट्टपाराई पारकेर वि पिरकीय पर का, अन्यदीय पारम्म न [पारम्य] परमता, उत्कृष्टता (प्रज्झ (? ६)छिवकसलयवरत्तनेत्तप्पहारसयतालियंपारक (हे १, ४४२१४८ कुमा)। ११४)। गमंगा' (पएह २, ३)। पारक्किम देखो पारक्क (माल १६२)। पारय वि [पारग] समर्थ (पाचा २, ३, पाराय देखो पारावय (प्राप्र)। पारज्झमाण देखो पारंभ =प्रा + रभ् । २, ३)। पारायण न [पारायण] १ पार-प्राप्ति (विसे पारण न [पारण, क] व्रत के दूसरे दिन | पारय पुं[पारद] धातु-विशेष, पारा, रस ५६५) । २ पुराण-पाठ-विशेष; 'प्रधी पारणग का भोजन, तप की समाप्ति के अनन्तर | धातु । 'मद्दण न [ मर्दन] आयुर्वेद-विहित (? य )समत्तपरायणो साखापारमो जामो' पारणय का भोजन (सणः उवाः महा)। रीति से पारा का मारण, रसायन-विशेष (सुख २, १३)। पारणा स्त्री [पारणा] ऊपर देखो। 'इत्त वि | 'अंग-कढिरणयाहेउं च सेवंति पारयमद्दणं' (स पारावय देखो पारेवय (पाम; प्रातः गा [वत् ] पारणवाला (पंचा १२, ३५), । २८९) । २ वि. पार-प्रापक (श्रु १०६)। । ६४ कप्प ५६ टि)। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016080
Book TitlePaia Sadda Mahannavo
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHargovinddas T Seth
PublisherMotilal Banarasidas
Publication Year1986
Total Pages1010
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy