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परिसोण-परिहा
पाइअसहमहण्णवो
परिसोण वि [परिशोण] लाल रंग का परिह पुं[दे] रोष, गुस्सा (दे ६. ७)। हेकृ. परिहरित्तए, परिहरिउं (ठा ५, ३; (गउड)।
परिह पुं[परिघ अर्गला, पागल (अणु)। काप्र ४०८)। कृ. परिहरणीअ, परिहरि-: परिसोसण न [परिशोषण] सुखाना (गा परिहच्छ वि [दे] १ पटु, दक्ष, निपुण (दे अव्व (पि ५७१; गा २२७; मोघ ५६ सुर
६, ७६; भवि) । २ . मन्यु, रोष, गुस्सा १४, ८३; सुपा ३६६:५८८ पएह २, ५)। परिसोसिअ वि [परिशोषित] सुखाया हुमा (दे ६, ७१)। देखो परिहत्थ ।। परिहरण न [परिधरण] धारण करना (सण)। परिहच्छ देखो पडिहच्छ (प्रौप)।
(वव १)। परिसोह सक [परि + शोधय] शुद्ध करना। परिहट्ट सक [मृद्, परि + घट्टय ] मर्दन परिहरण न [परिहरण] १ परित्याग, वर्जन कवकृ. परिसोहिजंत (सण)।
करना, चूर करना, कचरना, कुचलना। परि- (महा) । २ प्रासेवन, परिभोग (ठा १०)। परिस्सअ सक [परि + स्वञ्ज ] आलिंगन | हट्टइ (हे ४, १२६; नाट-साहित्य ११६)। परिहरणा स्त्री [परिहरणा] कार देखो (पिंड करना। परिस्सपदि (शौ) (पि ३१५) । परिहट्ट सक [वि+ लुल्] १ मारना, मार
१९७); 'परिहरणा होइ परिभोगो' (ठा ५, संकृ. परिस्मा (पि ३१५; नाट-शकु
३ टी-पत्र ३३८)। कर गिरा देना । २ सामना करना। ३ लूट ७२)। लेना । ४ अक. जमीन पर लोटना । परिहट्टइ
परिहरिअ वि [परिहृत] परित्यक्त, वजित परिस्संत देखो परिसंत (णाया १, १ःस्वप्न (प्राकृ ७३)।
(महा; सण; भवि)। ४० अभि २१०)। परिहट्टण न [परिघट्टन १ अभिघात, आघात
परिहरिअ देखो परिहर =परि + धू, हु । परिस्सज (शौ) देखो परिस्सअ। परिस्सजह (से १०, ४१) । २ घर्षण, घिसना (से ८,
परिहरिअ वि [परिधृत] धारण किया हुआ, (उत्तर १७६)। वकृ. परिस्सजंत (अभि ४३)।
'परिहरिप्रकरणप्रकुंडलगंडस्थलमणहरेसु सव१३३) । संकृ. परिस्सजिअ (अभि १२५) । परिहट्टि ली [दे] प्राकृष्टि, भाकर्षण, खींचाव
णेसु । अएणुन ! समअवसेणं परिहिज्जा परिस्सम पुं[परिश्रम मेहनत (धर्मसं ७८८, (दे ६, २१)।
तालवेंट जुनं ।।' (गा ३६८ अ)। स्वप्न १० अभि ३९)।
| परिहट्रिअ वि [मृदित जिसका मर्दन किया परिहलाविअ पुं[दे] जल-निर्गम, मोरी, परिस्सम्म अक [ परि + श्रम् ] १ मेहनत | गया हो वह, 'परिहट्टियो मारणों' (कुमा; पनाला (दे ६, २६)। करना । २ विश्राम लेना। परिस्सम्मइ (विसे पाम)।
परिहव सक[परि + भू] पराभव करना । ११६७ धर्मसं ७८६)।
परिहण न [दे. परिधान] वन, कपड़ा (दे वकृ. परिहवंत (वव १) । कृ. परिहवियव्य परिस्सव सक [परि + स ] चूना, झरना, ६, २१; पान हे ४, ३४१, सुर १, २५ (उप १०३६)। टपकना। वकृ. परिस्सवमाण (विपा १, भवि)।
परिहव ( [परिभव] पराभव, तिरस्कार (से १)।
परिहत्थ [दे] १ जलजन्तु-विशेष; 'परि- १३, ४६ गा ३६६ हे ३, १८०)। परिस्सव पुं[परिस्रव प्रास्रव, कर्म-बन्ध का
हत्यमच्छपुंछच्छडप्रच्छोडणपोच्छलंतसलिलोह परिहवण न [परिभवन] ऊपर देखो (स कारण (आचा)।
(सुर १३, ४१) 'पोखरिणी.... परिपरिस्सह देखो परीसह (प्राचा)।
हत्थभमंतमच्छछप्पयप्रणेगसउणगणमिहुणवि- परिहविय वि [परिभूत पराजित, तिरस्कृत
यरियसदुन्नइयमहुरसरनाइया पासाईया' परिस्साइ देखो परिस्सावि परिस्राविन् (ठा
(उप पृ१८०)। (णाया १,१३-पत्र १७६) । २ वि. दक्ष, परिहस सक [परि + हस ] उपहास करना, ४, ४-पत्र २७६)।
निपुण, 'अन्ने रणपरिहत्था सूरा' (पउम ६१, हँसी करना । परिहसइ (नाट) । कर्म. परिहपरिस्साव देखो परिसाव । संकृ. परिस्सावि
१. पएह १, ३-पत्र ५५, पाय, प्राव ४)। सोपदि (शौ) (नाट-शकु २)। याण (पि ५६२)।
३ परिपूर्ण (प्रौपः कप्प)। देखो परिहच्छ, परिहस्स वि [परिहस्व अत्यन्त लघु (स परिस्सावि वि [ परिस्राविन् ] १ कर्म-बन्ध | पडिहत्थ। करनेवाला (भग २५, ६) ।२ चूनेवाला, परिहर सक [परि +धृ] धारण करना। परिहा प्रक [परि + हा] हीन होना, कम टपकनेवाला। ३ गुह्य बात को प्रकट कर देने- संकृ. परिहरिअ (उत्त १२, ६)।
होना । परिहाइ, परिहायइ (उवः सुख २, वाला (गच्छ १, २२, पंचा १५, १४)। परिहर सक [परि + ह] १ त्याग करना, ३०) । भवि.परिहाइस्सदि (शौ) (अभि६)। परिस्सावि वि [ परिश्राविन् ] सुनानेवाला छोड़ना। २ करना । ३ परिभोग करना, कवकृ. परिहायंत; परिहायमाण (सुर १०, (द्रव्य ४६)।
मासेवन करना । परिहरइ (हे ४, २५६ १२, १४; रणाया १, १३, औपः ठा, परिह सक [पार + धा] पहिरना, पहनना। उव; महा) । परिहरंति (भग १५-पत्र ३), परिहीअमाण (पि ५४५)। परिहइ (धर्मवि १५०; भवि); 'सव्वंगीणेवि ६६७) । वकृ. परिहरंत, परिहरमाण (गा परिहा सक [परि +धा] पहिरना । भवि, परिहए जंबू रयणमयालंकारे' (धर्मवि १४६)।। १६६ राज)। संकृ. परिहरिअ (पिंग)। परिहिस्सामि (पाचा १, ६, ३, १) । संकृ.
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