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________________ ५५८ पाइअसहमहण्णवो परिदेवणया-परिपूर्णग परिदेवणया स्त्री [परिदेवना] ऊपर देखो । (सूम १, ३, ३, २१)। ३ स्वस्थ (सुपा परिपिडिय वि [परिपिण्डित] १ एकत्र (ठा ४, १-पत्र १८८)। १८३)। समुदित, इकट्ठा किया हुआ (पिंड ४६७) । परिदेवि वि [परिदेविन् विलाप करनेवाला बाला करनेवाला परिन्न देखो परिण (आचा)। २ न. गुरु-वन्दन का एक दोष (धर्म २)। (नाट-शकु १०१)। परिन्न देखो परिण (आचा)। परिपिक्क देखो परिपक्क (पि १०१)। परिदेविअ न [परिदेवित] विलाप (पाय: परिन्ना देखो परिण्णा (उप ५२५) । परिपिज्जंत देखो परिपिअ । से ११, ६६; सुर २, २४१) । परिन्नाण देखो परिण्णाण (प्राता)। परिपिट्टण न [परिपिट्टन] पोटना, ताड़न परिन्नाय देखो परिण्णाय = परिज्ञात (सुपा | (वव १)। परिदो अ [परितस् ] चारों ओर से (गा २६२)। परिपिरिया स्त्री [दे] वाद्य-विशेष (भग ५, ४५४ अ)। परिन्नाय वि [प्रतिज्ञात] जिसकी प्रतिज्ञा की ४-पत्र २१६)। परिधम्म पुं[परिधर्म] छन्द-विशेष (पिंग)। गई हो वह) (पिड २८१)। परिपिल्ल सक [परिप्र + ईरय ] प्रेरणा। परिधवलिय वि[परिधलित] खूब सफेद परिपंडुर । वि [ परिपाण्डुर] विशेष परिपिल्लइ (सुपा ६४)। किया हुअा (सरण)। परिपंडुल) पाण्डुर-धूसर वर्ण वाला (सुपा परिपिहा सक [परिपि+ धा] ढकना, परिधाम पुन [परिधामन] स्थान (सुपा २५६; कप्पू गउड; से १०, ३३)। आच्छादन करना। संकृ. परिपिहित्ता, ४६३)। परिपंथग वि [प्रतिपथक] दुश्मन, विरोधी, परिपिहेत्ता (कप्पा पि ५८२)। परिधाविअ वि [परिधावित] दौडा हुआ | प्रतिकूल (स १०५)। परिपीडिय वि [परिपीडित] जिसको पीड़ा (हम्मीर ३२)। परिपंथिअ । वि [परिपन्थिक] ऊपर देखो पहुंचाई गई हो वह (भवि)। परिधाविर वि [ परिधावित ] दौड़नेवाला परिपंथिग , (स ७४६ उप ६३६)। परिपील सक [ परि + पीडय] १ पीड़ना। (सण)। परिपक वि [परिपक्व पका हुमा (पव | २ पीलना, दबाना । परिपीलेज्जा (पि परिधूणिय वि [परिधूनित] अत्यन्त कँपाया २४०)। संकृ. परिपीलइत्ता, परिपीलिय, । ४ भवि)। हुप्रा (सम्मत्त १३६)। परिपीलियाण (भग; राज; प्राचा २, १, परिपलिअ (अप) वि [परिपतित] गिरा परिधूसर वि [परिधूसर] धूसर वर्णवाला ८.१)। हुआ (पिंग)। (बज्जा १२८; गउड)। परिपाग पुं[परिपाक विपाक, फल'पुञ्च परिपीलिअ देखो परिपीडिअ (राज)। परिनट्ठ वि [परिनष्ट] विनष्ट (महा)। भवविहिनसुचरिअपरिपागो एस उदयसंपत्तो' परिपुंगल वि [दे] श्रेष्ठ, उत्तम (?); 'जंपइ परिनिक्खम देखो पडिनिक्खम । परिनिक्ख. (रयण ५२, प्राचा)। भविसयतु परिपुंगलु होसइ रिद्धिविद्धि सुहमेइ (कप्प)। परिपाडल वि[परिपाटल] सामान्य लाल मंगलु' (भवि)। परिनिट्टिय देखो परिणिट्रिअ (कप्पः रंभा परिपुच्छ सक [परि + प्रच्छ ] प्रश्न रंगवाला, गुलाबी रंग का (गउड)। ३०)। करना । परिपुच्छइ (भवि)। परिपाडिअ वि [परिपाटित] फाड़ा हुआ, परिनिय सक [ परि + दृश ] देखना, अव परिपुच्छण न [परिप्रच्छन] प्रश्न, पृच्छा विदारित (दे ७,६१)। लोकन करना । वकृ. परिनियंत (सुपा (वि)। परिपाल सक [परि + पालय् ] रक्षण ५२२)। परिपुच्छिवि [परिपृष्ट] पूछा हुआ, करना। परिपालइ (भवि)। कृ. परिपरिनिवि वि [परिनिविष्ट ] ऊपर बैठा परिपुट्ठ जिज्ञासित (गा ६२३; भवि; पालणीअ (स्वप्न २६) । संकृ. परिपालिउं सुपा ३८७)। हुमा (सुपा २६६)। (सुपा ३४२)। परिपुण्ण। वि [परिपूर्ण] संपूर्ण ( भगः परिनिविड वि [परिनिविड] विशेष निबिड परिपालण न [परिपालन] रक्षण (कुप्र परिपुन्न । भवि)। या घना (महा)। २२६; सुपा ३०८)। परिपुस सक [परि + स्पृश् ] संस्पर्श परिनिव्या देखो परिणिव्वा । परिनिब्वाइ परिपालिय वि [परिपालित] रक्षित (भवि)। करना । परिपुसइ (से ४, ५)। (भग), परिनिव्वाईति (कप्प)। भवि. परि- परिपासय [दे] देखो परिवास (दे) परिपूज सक [परि + पूजय] पूजता । निव्वाइस्संति (भग)। . (पाप)। परिपूजउ (अप) (पिंग)। परिनिव्वाण देखो परिणिव्याण (णाया १, परिपिअ सक [परि + पा] पीना, पान परिपूणग पुं [दे. परिपूर्णक] पक्षि-विशेष ८ ठा १, १; भग; कप्प; पव १३८ टी)। करना। कवकृ. परिपिज्जत (नाट- का नीड, सुधरी नामक पक्षी का घोंसला परिनिव्वुअ । वि [परिनिवृत] १ मुक्त, चैत ४०)। (विसे १४५४० १४६५)। परिनिव्वुड । मोक्ष को प्राप्त (ठा १,१; परिपिंजर वि [परिपिञ्जर] विशेष पीत- परिपूणग पुं[दे. परिपूर्णक] घी-दूध गालने पउम २०, ८४, कप्प)। २ शान्त, ठंढा रक्त वर्णवाला (गउड)। । का कपड़ा, छानना (एंदि ५४)। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016080
Book TitlePaia Sadda Mahannavo
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHargovinddas T Seth
PublisherMotilal Banarasidas
Publication Year1986
Total Pages1010
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
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