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________________ ५०६ पच्चार-पच्चोणामिणी पाइअसद्दमहण्णवो पञ्चार सक [ उपा+ लम्भ ] उपालम्भ पच्चुअआर देखो पच्चुवयार (चारु ३६; पच्चुरस न [प्रत्युरस] हृदय के सामने देना, उलाहना देना । पञ्चारइ, पच्चारंति (हे नाट-मृच्छ ५७)। (राज)। ४, १५६कुमा)। पच्चुग्गच्छणया स्त्री [प्रत्युद्गमनता] पच्चुलं प्र[दे. प्रत्युत] प्रत्युत; उलटा: 'न पञ्चारण न [उपालम्भन] प्रतिभेद (पाम)। अभिमुख गमन, (भग १४, ३) तुमं रुट्ठो, पच्चुल्लं ममं पूएसि' (वव १)। पञ्चारिअ वि [प्रचारित] चलाया हुआ (सिरि पच्चुच्चार पुं [प्रत्युच्चार] अनुवाद, अनुभाषण | पच्चुवकार देखो पच्चुवयार (नाट-अच्छ ४३६)। (स १०४)। पञ्चारिय वि [उपालब्ध] जिसको उलाहना पच्छुच्छहणी श्री दे] नूतन सुरा, ताजा पच्चुवगच्छ सक [प्रत्युप + गम् ] सामने दिया गया हो वह (भवि)। दारू (दे २, ३५)। जाना । पच्नुवगच्छइ (भग)। पञ्चालिय वि[दे. प्रत्यार्दित] पाद्र' किया पच्चुज्जीविअ वि [प्रत्युज्जीवित] पुनर्जीवित पच्धुवगार) [प्रत्युपकार] उपकार के हा, गीला किया हुआ: 'पचालिया. य से (गा ६३१; कुप्र ३१)। पच्चुषयार बदले उपकार (४, ४परम अहिययरं बाहसलिलेण दिट्ठी' (स ३०८)। चुदिअ वि [प्रत्युत्थित] जो सामने खड़ा ४६, ३६; स ४४०; प्रारू)। पच्चालीढ न [प्रत्याल.ढ] वाम पाद को हुआ हो वह (सुर १, १३४) । पच्चुषयारि विप्रत्युपकारिन्] प्रत्युपकार पीछे हटा कर और दक्षिण पाँव को प्रागे पच्चुण्णम अक [प्रत्युद् + नम्] थोड़ा | करनेवाला (सुपा ५६५) । रखकर खड़े रहनेवाले घानुष्क की स्थिति ऊँचा होना। पच्चरणमइ (कप्प)। संकृ. पच्चुवेक्ख सक[प्रत्युप+ ईक्ष ] निरीक्षण धनुषधारियों का पैतरा (वव १)। पच्चुराणमित्ता (कप्पा औप)। करना। पातुवेक्खेइ (प्रौप) । संकृ. पच्चु. पञ्चावड [प्रत्यावर्त] पावर्त के सामने का पच्चुत्त वि प्रिया फिर से बोया हुआ | पावर्त, पानी का भंवर (राय ३०)। वेक्खित्ता (मोप)। (७, ७७; गा ११८)। पच्चुवेक्खिय वि प्रत्युपेक्षित अवलोकित, पञ्चावरन [प्रत्यापराह्न] मध्याह्न के बाद पच्चुसर सक[ प्रत्यव + तृ] नीचे प्रामा। निरीक्षित (स ४४१)। समय, तीसरा पहर (विपा १, ३ टि; पि ३३०)। पच्चतरइ (पि ४४७) । संकृ. पच्चुत्तरित्ता पच्चुहिअ बि [दे] प्रस्तुत, प्रक्षरित, प्रच्छी तरह चूने या टपकनेवाला (द ६, २५) । पचासण्ण पि [प्रत्यासन्न समीप में स्थित, (राज)। सन्निकट, वहुत पास (विसे २६३१)। पच्चुत्सर न [प्रत्युत्तर] जवाब, उत्तर (श्रा पच्चूढ न [दे] थाल, थार, भोजन करने १२. सुपा २१, १०४)। का पात्र, बड़ी थाली (दे ६,१२)। पञ्चासत्ति स्त्रो [प्रत्यासत्ति] समीपता, पच्चुत्थ वि [दे] प्रत्युप्त, फिर से बोया हुआ पच्चूस दे देखो पच्चूह = (दे); "किडएहिं सामीप्य (मुद्रा १६१)। पञ्चासन्न देखो पश्चासण्णा "निवं पञ्चासन्नी पयत्तेणवि छाइज्जइ कह णु पच्चूसो ?' परिसक्कइ सव्वनो मच्चू' (उप ६ टी)। पच्चुत्थय । वि [प्रत्यवस्तृत माच्छादित (सुर ३, १३४)। पच्चुत्थुय । (णाया १,१-पत्र १३, २०% पञ्चासा स्त्री [प्रत्याशा] १ आकांक्षा, वाञ्छा, पच्चूस । प्रत्यूष प्रभात काल (हे २ कप्प)। पच्चूह १४; पाया १,१० गा ६०४)। अभिलाषा। २ निराशा के बाद की आशा | पच्चुद्धरिअ वि [दे] संमुखागत, सामने (स ३६८) । ३ लोभ, लालच (उप पु ७६)। पच्चूह पुन [प्रत्यूह] विघ्न, अन्तराय (पाम: प्राया हुमा (दे ६, २४)। कुप्र ५२)। पञ्चासि वि [प्रत्याशिन] वान्त या कय किया पच्चद्धार पुं[दे] संमुख प्रागमन (दे६, २४)। पच्चूह पुं [दे] सूर्य, रवि (दे ६, ५, गा हुआ वस्तु का भक्षण करनेवाला (माचा)। पचुप्पण्ण । वि[प्रत्युत्पन्न वर्तमान काल- ६०४ पाम)। पञ्चाह सक [प्रति + ] उत्तर देना। पच्चुप्पन्न ) संबन्धी (पि ५१६) भगः णाया पच्चेअन [प्रत्येक प्रत्येक, हर एक (षड्)। पच्चाह (पिंड ३७८)। १, सम्म १०३)। 'नय पुं [ नय] पञ्चाहर सक [प्रत्या+ह] उपदेश देना । पञ्चड न [दे] मुसल (दे ६, १५)। वर्तमान वस्तु को ही सत्य माननेवाला पक्ष, वकृ. पञ्चाहरओ वि एं हिययगमरणीमो पञ्चेल्लिउ (अप) देखो पञ्चल्लिउ (भवि)। निश्चय नय (विसे ३१६१)। जोयरणनीहारी सरो' (सम ६०)। पच्चुप्पन्न पुं [प्रत्युत्पन्न वर्तमान काल पचोगिल सक [प्रत्यव + गिल ] मास्वादन पञ्चाहुत्त क्रिवि [पश्चान्मुख पीछे, पीछे (सूम १, २, ३, १०)। करना, रस या स्वाद लेना । वकृ. पञ्चोगिलकी तरफा 'जाव न सत्तट्ठ पए पञ्चाहुत्तं नियत्तो पच्चुप्फलिअ वि [प्रत्युत्फलित] बापस माण (कस ५, १०)। सि (धर्मवि ५४)। प्राया हुआ (से १४, ८१)। पच्चोणामिणी स्त्री [प्रत्यवनामिनी] विद्यापश्चिम देखो पच्छिम (पिंगः पि ३०१)। पच्चुभड वि [प्रत्युद्भट] पतिशय प्रबल विशेष, जिसके प्रभाव से वृक्ष पादि फल देने पच्चुअ (द) देखो पच्चुहिअ (दे ६, २५)। (संबोध ५३)। के लिए स्वयं नीचे नमते हैं ( पृ १५५) । Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016080
Book TitlePaia Sadda Mahannavo
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHargovinddas T Seth
PublisherMotilal Banarasidas
Publication Year1986
Total Pages1010
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
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