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________________ ४७४ पाइअसहमण्णवो दुलंघ-दुव्वसण दुलंघ देखो दुलंघ (भवि)। की ग्यारहवीं शताब्दी का गुजरात का १४, ६१)। वित्त न [वर्त] बारह दुलंभ देखो दुल्लंभ (भवि) । एक प्रसिद्ध राजा (गु १०) राय पुं पावतवाला बन्दन, प्रणाम-विशेष (सम २१)। दुलह वि [दुर्लभ] १ जिसकी प्राप्ति दुःख [राज] वही अर्थ (सार्ध ६६; कुप्र ४)। दुवालसंग स्त्रीन [द्वादशाङ्गी] बारह जैन से हो सके वह (कुमाः गउड; प्रासू लंभ वि [ लम्भ] जिसकी प्राप्ति दुःख से आगम-ग्रन्थ, 'पाचारांग' प्रादि बारह सूत्र ग्रन्थ १३४)। २ पृ. एक वरिणक-पुत्र (सुपा हो सके वह (पउम ३५, ४७ सुर ४, २२६ | (सम १; हे १, २५४) । स्त्री/गी (राज) । ६१७) । देखो दुल्लह ।। वै ६८) । | दुवालसंगि वि [द्वादशाङ्गिन बारह अंगदुलि पुंस्त्री [दे] कच्छप, कछुआ (दे ५, ४२; दुवई स्त्री [द्रुपदी छन्द-विशेष (स ७१) ग्रन्थों का जानकार (कप्प) - उप पृ १३५)। दुवण न [दावन उपताप, पीड़न (पएह १, | दुवालसम वि [द्वादश] १ बारहवाँ । २ २) न. लगातार पाँच दिनों का उपवास (माचा दुल्ल न [हे] वस्त्र, कपड़ा (दे ५, ४१)। दुवण्ण । वि [दुर्वर्ण] खराब रूपवाला (भगः पाया १.१ ठा ६; सण)। स्त्री.मी (णाया दुल्लंघ वि [दुर्लङ्क] जिसका उल्लंघन कठिनाई दुवन्न ठा ८)। से हो सके वह, अलंघनीय (पउम १२, ३८ दुवय [दुपद] एक राजा, द्रौपदी का पिता | दुविट्ठ पुं[द्विपृष्ठ, द्विविष्टप] १ भरत४१हेका ३१; सुर २,७८)। (णाया १,१६; उप ६४८ टी) सुया स्त्री दुविट क्षेत्र में इस अवसर्पिणी काल में दुल्लंभ वि [दुर्लभ] दुराप, दुष्प्राप्य (उप पू [सुता] पाण्डव-पत्नी, द्रौपदी (उप ६४८ उत्पन्न द्वितीय अधं-चक्री राजा (सम १५८ १३६ सुपा १६३, सण) टी)। टी पउम ५, १५५)। २ भरत-क्षेत्र में उत्पन्न दुल्लक्ख वि [दुर्लक्ष] १ दुविज्ञेय, जो दुःख दुवयंगया स्त्री [दुपदाङ्गजा] राजा द्रुपद की होनेवाला पाठवाँ अर्ध-चक्रो राजा, एक वासुसे जाना जा सके, अलक्ष्य (से ८,५, स | लड़की, द्रौपदी, पाण्डवों की पत्नी ( उप देव (सम १५४)। ९६; वजा १३६, श्रा २८)। २ जो कठि- ६४८ टी) दुविभज वि [दुर्विभाज्य जिसका विभाग नाई से देखा जा सके (कप्पू)। दुवयंगरुहा स्त्री [दुपदाङ्गरहा] ऊपर देखो करना कठिन हो वह-परमाणु (ठा ५,१दुल्लग्ग वि [दे] अघटमान, प्रयुक्त (दे ५, (उप ६४८ टी)। पत्र २६६) ।। दुवयण न [दुर्वचन] खराब वचन, दुष्ट उक्ति दुविभव्य देखो दुविभव्य (ठा ५, १ टी)। दुल्लग्ग न [दुर्लन] दुष्ट लग्न, दुष्ट मुहूर्त | (पउम ३५, ११) । दुवियड्ढ वि [दुर्विदग्ध] दुश्शिक्षित, जान(मुद्रा २१५) दुवयण न [द्विवचन] दो का बोधक | कारी का झूठा अभिमान करनेवाला (उप दुल्लब्भ। देखो दुल्लह, “किं दुल्लभं जणो व्याकरण-प्रसिद्ध प्रत्यय, दो संख्या की वाचक ८३३ टी) दुल्लम गुणग्गाही' (गा ६७५, निचू ११) विभक्ति (हे १, १४; ठा ३, ४-पत्र १५८)M दुवियप्प दुर्विकल्प] दुष्ट वितर्क (भवि) । दुल्हलिज बि [दुर्ललित] १ दुष्ट पादतवाला। दुवार दुवार । देखो दुआर (हे २, ११२; प्रति देखो दुआर (हे २.११ दविलय पुंदुविलक] एक अनार्य देश, 'दु २ दुर इच्छावालाः 'विलसइ बेसाण गिहे | दुवाराय । ४१; सुपा ४८७); 'एगदुवाराए' (? दु) विलय-लउसबुक्कस-' (पव २७४)।विविविलारोहिं दुल्ललिओ', 'कीलइ दुल्ललिय | (कस) पाल पुं[पाल] दरवान, प्रतोहार बालकोलाए' (सुपा ४८५; ३२८)। ३ | (सुर १, १३४, २, १४८), वाहा स्त्री दावह वि[द्विविध] दो प्रकार का (हे १: [बाहा] द्वार-भाग (प्राचा २, १, ५) ९४ नव ३)~ व्यसनी पादतवाला दुवीस स्त्रीन [द्वाविंशति] बाईस २२ (नत्र 'धन्ना सा पुन्नुकरिसनिम्मिया दुवारि वि [द्वारिन्] १ द्वारवाला। २ पुं. २०; षड् ) तिहुयणेवि तुह जगणी। दरवान, प्रतीहारः 'बहुपरिवारो पत्तो राय दुव्यण्ण) देखो दुवण्ण (पउम ४१, १७ जोइ पसूओ सि तुमं दोणुद्धरणिक दुवारी तहि वरुणों' (सुपा २६५) ।। दुव्वन्न पएह १, ४)। दुलियो' (सुपा २१६)। दुवारिअ वि [द्वारिक दरवाजावाला, 'अब- दुव्यय न [दुव्रत] १ दुट नियम । २ वि. ४ दुविदग्ध, दुःशिक्षित (पान)। ५ न. गुयदुवारिए' (कस). दुष्ट व्रत करनेवाला। ३ व्रत-रहित, नियमदुराशा, दुर्लभ वस्तु की अभिलाषा (महानि | दुवारिअ [दौवारिक] दरवान, द्वारपाल | वर्जित (ठा ४, ३; विपा १, १)। । (हे १, १६०; संक्षि ६; सुपा २६०) दुव्ययण न [दुर्वचन] दुष्ट उक्ति, खराब दुल्लसिआ स्त्री [दे] दासी, नौकरानी (दे ५, दुवालस त्रि.ब. [द्वादशन] बारह, १२ वचन (पउम ३३, १०६; विसे ५२०; उव (कप्पः कुमा) मुहित्तअ वि [ मौहूर्तिक] गा २६०)। दुलह चि [दुर्लभ] १ दुराप, जिसकी प्राप्ति । बारह मुहूतों का परिमाणवाला (सम २२)Mदुव्वल देखो दुब्बल (महा)। "बिह वि [विध] बारह प्रकार का (सम दुव्वसण न [दुर्व्यसन] खराब पादत, बुरी जी ५०; प्रासू ११; ४६, ४७) । २ विक्रम । २१) हा प्र[धा] बारह प्रकार (सुर । प्रादत (सुपा १८४; ४८९; भवि)। Jain Education International For Personal & Private Use Only wwwinelibrary.org
SR No.016080
Book TitlePaia Sadda Mahannavo
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHargovinddas T Seth
PublisherMotilal Banarasidas
Publication Year1986
Total Pages1010
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
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