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________________ ४१६ णीलुक्कणीडिया पाइअसहमहण्णवो णीलुक्क सक [गम् ] जाना, गमन करना। णीसत्त वि [निःसत्त्व सत्त्व-हीन, बल-रहित णीसा देखो णिस्सा (कप्प)। णीलुक्कइ (हे ४, १६२)। (पउम २१, ७५; कुमा)। णीसाइ वि [नि:स्वादिन स्वाद-रहित (प्रवि णीलुप्पल न [नीलोत्पल] नील रंग का णीसद्द वि [निःशब्द] शब्द-रहित (दे ७, कमल (हे १, ८४ कुमा)। २८ भवि)। णीसाण देखो गिस्साण = (दे) धर्मवि ८०)। णीलुय g[दे] अश्व की एक उत्तम जाति णीसर अक [रम्] क्रीड़ा करना, रमण करना। णीसामण्ण । वि [निःसामान्य] १ प्रसा(सम्मत्त २१६)। णीसरह (हे ४, १६८) कृ. णीसरणिज्ज णीसामन्न धारण (गउड सुपा ६१ हे २, णीलोभास पुं[नीलावभास] १ ग्रहाधि- (कुमा)। २१२)। २ गुरु (पान)। ष्ठायक देव-विशेष (ठा २, ३)। २ वि. नील- सर अक [निर + स] बाहर निकलना। णीसार सक [निर + सारय् ] बाहर च्छाय, जो नीला मालूम देता हो (णाया | णीसरइ (हे ४, ७६)। वकृ. नीसरंत निकालना । गीसारइ (भवि) । कर्म. नीसा(ोघ ४५८ टी)। रिज्जइ (कुप्र १४०)। णीव [नीप] वृक्ष-विशेष, कदम्ब का पेड़ णीसरण न [निःसरण] फिसलन, रपटन णीसार पुं [दे] मण्डप (दे ४, ४१)। (हे १, २३४; कप्प णाया १, ६)। (वव ४)। णीसार वि [निःसार सार-रहित, फल्गु (से ३,४८)। णीवार पुनीवार] वृक्ष-विशेष, तिल्ली का | णीसरण न [निःसरण] निर्गमन (से ६, पेड़ (गउड)। १८)। णीसारण न [निःसारण] निष्कासन, बाहर णीवार पु [नीवार] ब्रीहि-विशेष (सून १, णीसरिअ वि [निःसृत ] निर्गत, निर्यात निकालना (सुर १५, २०३) । ३, २, १६)। (सुपा २४७)। णीसारय वि [निःसारक] बाहर निकालने णीवी स्त्री [नीवी] मूल-धन, पूँजी। २ नारा, णीसल वि [निःशल] १ निश्चल, स्थिर। वाला (से ३, ४८)। इजारबन्द (षड् , कुमा)। २ वक़्ता-रहित, उत्तान, सपाट; 'नीसलतड़िय- णीसारिय वि [निःसारित निष्कासित (सुर णीसंक देखो णिस्संक = निःशंक (गा ३४५ चंदायएहि मंडियचउक्कियादेस' (सुर ३,७२)।। ५, १८८)। कुमा)। णीसल्ल वि[निःशल्य शल्य-रहित (भवि)। णीसास देखो णिस्सास (हे १, ६३; कुमा; णीसंक [दे] वृषभ, बैल (षड्)। णीसव सक [नि + श्रावय ] निर्जरा करना, प्राप्र)। णीसंकि देखो णिस्संकिअ (विसे ५६२ | क्षय करना । वकृ. नीसवमाण (विसे | णीसास । वि [निःश्वास, क] निःश्वास णीसासया लेनेवाला (विसे २७१५:२७१४)। २७४६)। सुर ७, १५५)। णीसाहार देखो णिस्साहारः “नीसाहारा य णीसंख वि [निःसंख्य संख्या-रहित, प्रसंख्य णीसवग देखो णीसवय (मावम)। (सुपा ३५५)। | णीसवत्त वि [निःसपत्न] शत्रु-रहित, विपक्ष | पडइ भूमीए (सुर ७, २३)। णीसंचार देखो णिस्संचार (पउम ३२, १)। रहित (मृच्छक पि २७६) । णीसित्त वि [निष्षिक्त ] अत्यन्त सिक्त (षड्)। णीसंद ' [निःष्यन्द] रस-स्नुति, रस का णीसवय वि [निःश्रावक] निर्जरा करनेवाला णीसीमिअ वि [६] निर्वासित, देश-बाहर झरन (गउड)। (विसे २७४६)। किया हुआ (दे ४, ४२)। णीसंदिअ वि [निःष्यन्दित] झरा हुमा, णीसस अक [ निर + श्वस् ] नीसास लेनाः | णीसेयस देखो णिस्सेयस (जीव ३) । टपका हुआ (पास)। श्वास को नीचा करना। णीससइ (षड्)। णीसंदिर वि [निःष्यन्दित] झरनेवाला, टप- वकृ. जीससंत, णीससमाण (गा ३३; णीसेणि स्त्री [निःश्रेणि] सीढ़ी (सूर १३, कनेवाला (सुपा ५६)। कुप्र ४३, प्राचा २, २, ३)। संकृ. णीस णीसेस देखो णिस्सेस (गउड, उव)। णीसंपाय वि [दे] जहाँ जनपद परिश्रान्त सिअ, ण.ससिऊण (नाट: महा)। हुमा हो वह (दे ४, ४२)। णीससण न [निःश्वसन निःश्वास (कुमा)। णीहट्टु अ. निकाल कर (प्राचा २, ६, २)। णीसट्र वि [निःसृष्ट] १ विमुक्त (पएह १, णीससिअ न [निःश्वसित] निःश्वास (से णीहट्टु पनि + सृत्य बाहर निकल कर १- पत्र १८) । २ प्रदत्त (बृह २)। ३ क्रिवि. १, ३८)। (पाचा २, २०१० ४)। अतिशय, अत्यन्तः ‘णीस?मचेयणो ण वा णीसह वि [निःसह] मन्द, अशक्त (हे १, णीहड वि [निहत] १ निर्गत, निर्यात झरई (उव)। १३; कुमा)। (पाचा २; १, १)। २ बाहर निकाला हुआ णीसण पुं[निःस्वन] मावाज, शब्द, ध्वनि णीसह वि [निःशाखा शाखा-रहित (या (सुर १३, १९२; कुप्र ५६)। | २३०)। णीहडिया स्त्री नितिका अन्य स्थान में णीसणिआ। श्री [दे] निःश्रेणि, सीढ़ी (दे | णीसा श्री [दे] पीसने का पत्थर (बस ले जाया जाता द्रव्य (बह २, २०१८)। णीसणी ४,४३)। 05 गु० भाणु । Jain Education Interational For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016080
Book TitlePaia Sadda Mahannavo
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHargovinddas T Seth
PublisherMotilal Banarasidas
Publication Year1986
Total Pages1010
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
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