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पाइअसहमहण्णवो
जिम्मोडण-णिरवज णिम्मोडण न [निर्मोटन] विनाश (मै ६१)। णिरक्क पुं [दे] १ चोर, स्तेन । २ पृष्ठ, जिरप्प पुं[दे] १ पृष्ठ, पीठ। २ वि. उद्वेणिम्नोल्ल वि [निर्मूल्य] मूल्य-रहित: पीठ । ३ वि. स्थित (दे ४, ४६)। (कुमा)।
णिरक्किय वि [निराकृत अपाकृत, निरस्त जिरप्पण वि [निरात्मीय] अस्वकीय, परणिम्मोह वि [निर्मोह] मोह-रहित (कुमाः (उत्त ६, ५६) ।
- कोय (कुप्र ८६)। श्रा १२)।
णिरक्ख सक [निर् + इक्ष J निराक्ष णिरभिग्गह वि [निरभिग्रह] अभिग्रह-रहित णिरइ स्त्री [निऋति] मूल-नक्षत्र का अधि- । करना, देखना। रिणक्खइ (हे ४, ४१८);
। (प्राव ६)। ठायक देव (ठा २, ३)
तोवि ताव दिट्टीए रिणरक्खिजा (महा)। णिरभिराम वि [ निरभिराम ] असुन्दर, णिरडगार वि [निरितचार अतिचार-रहित. णिरक्खर वि [निरक्षर] मूर्ख, ज्ञान-रहित
| अचारु (पएह १, ३)।
र दूषण-वजित (सुपा १००)। (कप्पू: वज्जा १५८)।
णिरभिलप्प वि [निरभिलाप्य ] अनिर्वचणिरइसय वि [निरतिशय अत्यन्त, सर्वा-: णिरगार वि [निराकार ] आकार-रहितः
नीय, वाणी से बतलाने को अशक्य (विसे । 'निरगारपच्चक्खाणेवि अरहंताईणमुग्मित्या', धिक (काल)।
४८८). णिरईआर देखो णिरइयार (सुपा १००
(संबोध ३८)। रयण १८)।
णिरग्गल वि [निरर्गल] १ रुकावट से रहित णिरभिस्संग वि [निरभिष्वङ्ग] प्रासक्तिणिरंकुस वि[निरङ्कश] अंकुश-रहित, स्व- (सुपा १६२: ४७१)। २ स्वच्छन्दी, स्वरी, रहित, निःस्पृह (पंचा २, ६)। च्छन्दी कुमाथा २८)। । निरंकुश (पाक्ष)।
|णिरय पुं[निरय] १ नरक, पाप-भोग-स्थान णिरच्चण वि [निरचन] अर्चन-रहित (ठा ४, १: प्राचा सुपा १४०)। २ नरकणिरंगण वि [निरङ्गण] निलेप, लेप-रहित
स्थित जीव, नारक (ठा १०) पाल पुं (प्रौप; उवः णाया १, ११-पत्र १७१)। ।
णिरट्र । वि [निरर्थ, क] १ निरर्थक, [पाल] देव-विशेष (ठा ४, १)। विलिया णिरंगा स्त्री [दे] सिर का अवगुण्ठन, पूंघट णिरटुंग। निष्प्रयोजन, निकम्मा (उत्त २०)। स्त्री [वलिका] १ जैन आगम-ग्रन्थ विशेष (दे ४, ३१, २, २०)।
२ न. प्रयोजन का प्रभावः 'रिणरछगम्मि (निर १,१)। २ नरक-विशेष (परण २)। णिरंजण वि [निररुजन] निर्लेप, लेप-रहित विरो, मेहुणामो सुसंवुडो' (उत्त २, ४२) ।
णिरय वि [निरत] असक्त, तत्पर, तल्लीन (स ५८२, कप्प)। णिरण वि [निऋण] ऋण-रहित, करज से
(उप ६७६; उव; सुपा २६)। णिरंतय वि [निरन्तक] अन्त-रहित (उप [ मुक्त (सुपा ५६३, ५६६) । १०३१ टी)।
णिरय वि [नीरजस्] रजो-रहित, निर्मल णिरणास देखो णिरिणास = नश्। गिरणिरंतर वि [निरन्तर अन्तर-रहित, व्यव-
(भगः गा८७) णासइ (हे ४, १७८)। धान-रहित (गउड; हे १, १४)। णिरणुकंप वि [निरनुकम्प] अनुकम्पा-रहित,
णिरव सक [बुभुक्ष ] खाने की इच्छा करना। णिरंरतराय वि [निरन्तराय] १ निर्विघ्न,
हिरवइ (षड्)। निर्दय (णाया १, २; बृह १)।
णिरव सक [आ + क्षिप] प्राक्षेप करना । निर्बाध । २ व्यवधान-रहित, सतत; 'धम्मं णिरणुक्कोस वि [निरनुक्रोश] निर्दय,,
रिणरवइ (षड्)। करेह विमलं च निरन्तराय' (पउम ४४, दया-शून्य (णाया १, २; प्रासू ६८)। णिरणुताव वि [निरनुताप] पश्चात्ताप-रहित
णिरवइक्व वि [निरपेक्ष ] अपेक्षा-रहित
निरीह निःस्पृह (विसे ७ टी)। णिरंतरिय वि [निरन्तरित] अन्तर-रहित, (गाया १,२) ।
णिरवकंख वि [निरवकाङ्क्ष] स्पृहा-रहित. व्यवधान-रहित (जीव ३)। णिरणुतावि वि [निरनुतापिन] पश्चात्ताप
निःस्पृह (औप)। णिरंध वि [नारन्ध्र छिद्र-रहित (वक्र ६७)। वजित (पव २७४)।
णिरवकखि वि[निरवकाडिक्षन] निःस्पृह णिरंबर वि [निरम्बर] वस्त्र-रहित, नग्न णिरत्थ वि [निरस्त अपास्त, निराकृत (वव
(गाया १.६)। (प्रावम)। णिरत्थ । वि[निरर्थ, क] अपार्थक,निकम्मा,
णिरवगाह वि [निरवगाह] अवगाहन-रहित णिरंभास्त्री [निरम्भा] एक इन्द्राणी, वैरोचन
। णिरत्थग निष्प्रयोजन (दे ४,१६; पउम (षड्)। इन्द्र की एक अग्र-महिषी (ठा ५, १: इक)। णिरत्थय ६५, ४; पण्ह १, २: उवः सं हिरवग्गह वि [निरवग्रह] निरंकुश स्वणिरंस वि [निरंश] अंश-रहित, अखण्ड,
च्छन्दी, स्वरी (पाम)। सम्पूर्ण (विसे)।
__णिरन्नय पुं[निरन्वय] अन्वय-रहित (धर्मसं णिरवञ्च वि [निरपत्य अपत्य-रहित, निःसंतान णिरंह वि [निरहस्] निर्मल, पवित्र; 'मडयं । ४६६)।
(भग; सम १५०)। व वाहिमो सो निरंहसा तेण जलपवाहेण' जिरप्प प्रक [स्था] बैठना। रिजरप्पइ (हे हिरवज वि [निरवद्य] निर्दोष, विशुद्ध (दस (धर्मवि १४६)।
४, १६) । भूका. गिरगोन (कुमा)। ५, १; सुर ८, १८३)।
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