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________________ णिप्पुलाय-णिब्भन्छणा पाइअसहमहण्णवा ४.१ णिप्पुलाय वि [निप्पुलाक] नारित्र-दोष से णिप्फुर पु [निम्फुर] प्रभा, देज (गउछ।। णिवोह [निबोध : प्रकृट बाध, उत्तम रहित (दस १०, १। णिप्फेड [निस्फेट] निर्गमन, बाहर निक- ज्ञान । २ अनेक प्रकार का बोध (विसे णिफंद देखा गिप्पंद । हे २. 22. गाया लना : उप पृ २५२)। २१८७)। १, २, सुर ३, १७२) । गिफेडय वि [निस्फेटक] बाहर निकालन-णि नोहण न नियोधन अवाच. समझाना णिप्फंस वि [दे] निस्त्रिंश, निर्दय। पह)। वाला । सूअ २, २, ८५.)। (पउम १०२, १२। णिप्फज अक [निर + पद्] नोपजना, उप- णिप्फे डय वि [निस्फेाटत] १ निस्सारित, णिबंध पुं [निर्वन्ध] अाग्रह (गा ६७५: जना, सिद्ध होना। गिफजइ (म ६१६)। निष्कासित (सून २, २)। २ भगाया हुआ. महः पुर ३,८ वकृ.णिप्फज्जमाण (पण्ह १, ४)। नसाया हुआ (पुप्फ १२५)! ३ अपहृत, छीना णिबंधण न [निर्वत निबन्धन हेतु, णिप्फडिअ वि [निस्फटित] १ विशीरणं। हुपा (ठा ३, ४)। कारण, 'सारी रियनिवणं धणं' (काल)। २ जिसका मिजाज ठिकाने पर न हो। ३ णिप्फेडिया स्त्री [नि फेटिका] अपहरण, गिव्य देखो णिब्बल-र+पद् । गिब्यअंकुश-रहित (उप १२८ टी)। | चोरी; एसा पढमा सीसनिप्फेडिया' (सुख २, लय (प्राकृ ६४।। णिप्फण्ण वि [निप्पन्न नीपजा हुमा, बना, १३; पव १०७)। ____णिव्बल वि [निर्वल] बल-रहित- दुर्बल हुप्रा, सिद्ध (से २, १२: महा)। णिप्फेस पुंदे] शब्द-निर्गम, आवाज निक- (प्राचा)। णिप्फत्ति वि [निष्पत्ति] निष्पादन, सिद्धि । लना (दे ४, २६)। णिब्बहिं प्र[निर्बहिस्] अत्यन्त बाहर (ठा (उवः उप २८० टी; साधं १०६)। णिप्फेस पुं[निष्पेष] १ पेषण, पीसना।। ६-पत्र ३५२) । णिष्फन्न देखो णिप्फण्ण (कप्पः णाया १, २ संघर्ष (हे २, ५३)। णिब्बाहिर वि [निर्बाह्य] बाहर का, बाहर |णिबंध सक [नि + बन्ध् ] १ बाँधना । २ गया हाः 'संजमनिब्बाहिरा जाया' (उवा)। णिप्फरिस वि [दे] निर्दय, दया-हीन (दे ४, २ करना । निबंधइ (भग)। णिबुक्क वि [दे] १ निर्मूल, मूल-रहित । २ ३७)। णिवंध सक [नि + बन्ध् ] उपार्जन करना।। क्रिवि. मूल से; 'रिणब्बुक्कछिएणधय-' (पग्रह णिप्फल वि [निष्फल] फल-रहित निरर्थक बिति (पंचा ७.२२) १, ३-पत्र ४५)। (से १४, २६; गा १३६)। णिबंध पुन [निबन्ध] १ संबन्ध, संयोग णिब्बुड्ड देखो णिबुड्ड % निमग्न (स ३६०; णिप्फाअ देखो णिप्फाव (प्राप्र)। (विसे ६६८)। २ आग्रह, हठ (महा); गउड)। णिप्फाइऊण देखो णिप्फाय । 'रिणबन्धारिण' (पि ३५८)। णिभंछण देखो णिब्भच्छण (उव ३०३)। णिप्फाइय वि [निष्पादित] नोपजाया हुआ, णिबंधण न [निबंधन] कारण, प्रयोजन, णिभंजण न [दे] पक्वान्न के पकाने पर जो बनाया हुआ, सिद्ध किया हुआ (विसे ७ टीः निमित्त (पान; प्रासू ६६)। शेष घृत रहता है वह (पभा ३३)।। उप २११ टी; महा)। णिबद्ध वि [निबद्ध] १ बँधा हुआ (महा)। णिभंत वि [निर्धान्त] निःसंदेह, संशयणिप्फाय सक [निर + पादय् ] नीप २ सयुक्त, संबद्ध (से ६,४४)। | रहित (ति १४)। जाना, बनाना, सिद्ध करना । संकृ. गिप्फाइ णिबिड वि [निबि] सान्द्र, घना, गाढ़ णिब्भग्ग न [दे] उद्यान, बगीचा (दे ४, ऊण (पंचा ७)। (गउडः कुमा)। णिप्फायग वि [निष्पादक] नीपजानेवाला, णिविडिय वि [निबिडित] निबिड़ किया णिब्भग्ग वि [निर्भाग्य] भाग्य रहित, कमबनानेवाला, सिद्ध करनेवाला (विसे ४८३; हुप्रा (गउड)। नसीब, प्रभागा (उप ७२८ टी; सुपा ३८५)। ठा ६ उप ०२८)। णिबुक्क [दे देखो णिब्बुक्क (पराह १, ३-- णिभच्छ सक [निर + भर्स 1१ तिरणिप्फायण न [निष्पादन] नीपजाना, निर्माण, कृति (प्राव ४)। पत्र ४६)। स्कार करना, अपमान करना, अवहेलना णिबुड प्रक[नि+मज् ] निमजन करना, करना. आकोश-पूर्वक अपमान करना । णिप्फाव पुं निष्पाव] धान्य-विशेष, वल्ल डूबना। वकृ. णिवुड्डिजंत, निबुड्डमाण . गिब्भच्छेइ, णिभच्छेजा (णाया १, १८ (हे २, ५३; पएण १, ठा ५, ३ श्रा १८)। ' (अच्यु १३; उवा)। उवा) । संकृ. णिब्भच्छिअ (नाट-मालती णिप्फाव [निष्पाव] एक माप, बॉट-विशेष णिबड़ विनिमन] डूबा हुमा, निमग्न (गा १७१)। (अणु १५५)। ३७ सुर ३, ५१, ४, ८०)। णिभच्छण न [निर्भर्मन] तिरस्कार, ड भक न+स्फिद बाहर णिबण न [निमज्जन] डूबना, निमजन ___अपमान, परुष वचन से पहेलना (पएह १. निकलना। वकृ. णिप्फिडंत (स ५७४)। (पउम १०, ४३)। ३: गउह)। णिप्फिडिअ वि [निस्फिटित निर्गत, बाहर णिबोल देखो णिबुद्ध = नि + मस्ज । वकृ. णिमल्छणा श्री [निर्भर्त्सना] ऊपर देखो निकला हुमा (पउम ६, २२७, ८०, ६०)। णिवोलिजमाण (राज)। (भग १५ रणाया १.१६)। ५१ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016080
Book TitlePaia Sadda Mahannavo
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHargovinddas T Seth
PublisherMotilal Banarasidas
Publication Year1986
Total Pages1010
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
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