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________________ छिविअ-छुरिय पाइअसहमण्णवो ३३६ जिसके पन्ने विशेष लम्बे और कम चौड़े हों | छीरल पुंक्षीरल] हाथ से चलनेवाला एक छुण्ण वि [क्षुण्ण] १ चूर्णित, चूर-चूर किया ऐसी पुस्तक (ठा ४, २; पब ८०)। तरह का तन्तु, साँप की एक जाति (पएह हुमा । २ विहत, विनाशित । ३ अभ्यस्त (हे छिविअ वि [स्पृष्ट] १ छूमा हुमा (दे ३, १,१)। २,१७ प्राप्र)IV २७) २ न. स्पर्श, छूना (से २, ८) छीवोल्लअ [दे] देखो छिन्वोल्ल (गा ६०३)। छुत्त वि[छुन] स्पृष्ट, छूमा हुमा (हे २, छिविअ न [दे] ईख का टुकड़ा (दे ३, २७)।। छु सक [क्षुद्] १ पीसना। २ पीलना। १३८ कुमा)।' छिवोल्लअ [३] देखो छिन्योल्ल (गा ६०५ कर्म. छुजाइ (उव)। कवकृ. छुज्जमाण (संथा छत्ति स्त्री [दे] छूत, अशौच (सूक्त ८६) छुद्दहीर पुं [दे] १ शशि, बच्चा, बालक । छिन्य विदे] कृत्रिम, बनावटी (दे ३, छुअ देखो छीअ (प्राप्र)। २ शशी, चन्द्रमा (दे ३, ३८)। २७)। छुअ देखो छुव । छुअइ (प्राकृ ७६)। छदिया देखो छुड्डिया (पराह २, ५-पत्र । छिब्बोल न [दे] १ निन्दार्थक मुख-विकूणन, छुई स्त्री [दे] बलाका, बकपंक्ति (दे ३, ३०)। १४६)। अरुचि-प्रकाशक मुख-विकार-विशेष । २ विकू छुछुई स्त्री [दे] कपिकच्छु; केवाँच का पेड़ छद्ध देखो खुद्ध (प्राप्र)। रिणत मुख (दे ३, २८)। (दे ३, ३४)। छिह सक [स्पृश] स्पर्श करना, छूना । छुद्ध वि [द] क्षिप्त, प्रेरित (सण)। छुछुमुसय न [दे] रणरणक, उत्सुकता, छुध वि [क्षुध भूखा (प्राकृ २२) ।। छिहइ (हे ४, १८२)। उत्कण्ठा (दे ३, ३१)। छुन्न पुन [क्षुण्ण] क्लोब, नपुंसक (पिंड छिहंड न [शिखण्ड] मयूर की शिखा (णाया | छंद वि [आ+ क्रम् ] आक्रमण करना । ४२५)। १,१-वत्र ५७ टी)। | छुदइ (हे ४, १६० षड् )। छुन्न देखो छुण्ण; 'जंतम्मि पावमइणा छुन्ना छिहंडअ पुंदे] दही का बना हुआ मिष्टान्न, | छंद सक [दे] बहु, प्रभूत (दे ३, ३०)। छन्नेण कम्मरण (संथा ५६)। दविसर; गुजराती में जिसे "सिखंड' कहते हैं छुप्पंत देखो छुव। (दे ३,२६)। छुक्कारण न [धिक्कारण] धिक्कारना, छुब्भ प्रक [क्षुभ्] क्षुब्ध होना, विचलित निंदा (बृह २)। छिहंडि पुं [शिखण्डिन्] १ मयूर, मोर।। होना । छुन्भंति (पि ६६)। छुच्छ वि [तुच्छ] तुच्छ, क्षुद्र, हलका (हे २ वि. मयूरपिच्छ को धारण करनेवाला छुब्भत्थ [दे] देखो छोब्भत्थ (दे ३, ३३)। (गाया १,१-पत्र ५७ टी)। १, २०४)। छुभ देखो छुह । छुभइ, छुभेइ (महा; रयण । छुच्छुक्कर सक [छुच्छु+कृ] 'छु-छु । २०)। संकृ छभित्ता (पि ६६)। छिहली स्त्री (दे] शिखा, चोटी (बृह ४) । आवाज करना, श्वानादि को बुलाने को | छुमा देखो छमा (दसचू १)। लिहा स्त्री [स्पृहा] स्पृहा, अभिलाष (कुमा; आवाज करना । छुच्छुक्करेति (प्राचा)। छर सक [छुर] १ लेप करना, लीपना । हे १, १२८ षड्)। खुजमाण देखो छु। २ छेदन करना, छेदना। ३ व्याप्त करना छाहांडाभल्ल न [द दधि, दही (दे ३, | लट प्रकाछिटाछटना. बन्धन-मुक्त होना।। (वा १२० पउन २८,२८) छुट्टइ (भवि)। छुट्टह (धम्म ६ टी)। छुर [क्षुर] १ छुरा, नपित का अस्त्र । २ छिहिअ वि [स्पृष्ट] छूमा हुआ (कुमा)। छुट्ट वि [छुटित] छूटा हुआ, बन्धन-मुक्त । पशु का नख, खुर। ३ वृक्ष-विशेष, छीअ स्त्रीन [क्षुत] छिक्का, छींक (हे १, (सुपा ४०७, सूक्त ८६)। गोखरू। ४ बाण, शर, तोर (हे २, १७ ११२, २, १७ मोघ ६४३, पडि)। स्त्री. छुट्ट वि[दे] छोटा, लधु (पान)। प्राप्र)। ५ न. तृण-विशेष (पएण १)।"आ (श्रा २७)। घरय न [गृहक] नापित के छुरा वगैरह छुट्टण न [छोटन] छुटकारा, मुक्ति (श्रा छीअमाण वि [क्षुवत् ] छींक करता (प्राचा रखने की थैली (निचू १)। २७)। २, २, ३)। छुरण न [क्षुरण] अवलेपन (कप्पू)।छुट्ट वि [दे] १ लिप्त । २ क्षिप्त, फेका हुमा छीण वि [क्षीण क्षय-प्राप्त, कृश, दुर्बल (हे छुरमड्डि पुं[दे] नापित, हजाम (दे ३, ३१)। (भवि)। छुरहत्थ पु[दे. क्षुरहस्त] नापित, हजाम २, ३, गा ८४)। छुडु अ [दे] १ यदि, जो (हे ४, ३८५; (दे ३, ३१)। श्रीयंत वि [क्षुवत् ] छींक करता (ती) ४२२) । २ शीघ्र, तुरन्त (हे ४, ४०१)। छुरिआ श्री [दे] मृत्तिका, मिट्टी (दे ३,३१) छोर न [क्षीर] जल, पानी । २ दुग्ध, दूध छुड्ड वि [क्षुद्र] क्षुद्र, तुच्छ, हलका, लघु छुरिआ । स्त्री [क्षुरिका] छुरी, चाकू (महा; (हे २, १७) गा ५६७) । 'बिराली स्त्री छुरिगा सुपा ३८१, स १४७)। [बिडाली] वनस्पति-विशेष, भूमि-कूष्माण्ड छुड्डिया स्त्री [क्षुद्रिका] पाभरण-विशेष छुरिय वि [छुरित] १ व्याप्त । २ लिप्त (पएण १-पत्र ३५) ।। (परह २, ५-पत्र १५६ टो) । (पउम २८, २८)। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016080
Book TitlePaia Sadda Mahannavo
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHargovinddas T Seth
PublisherMotilal Banarasidas
Publication Year1986
Total Pages1010
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
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