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________________ चंदिल-चक्कल पाइअसद्दमहण्णवो ३१५ चंदिल पुं[चन्दिल] नापित, हजाम (गा| न [वन] चम्पक वृक्षों की प्रधानतावाला चक्रवर्ती राजा (सण)। पाणि पुं["पाणि] २६१; दे ३, २) । वन (भग)। १ चक्रवर्ती राजा, सम्राट् । २ वासुदेव, अर्धचंदुत्तरवडिंसग न [चन्द्रोत्तरावतंसक] चंपयवडिसय [चम्पकावतंसक] सौधर्म | चक्रवर्ती राजा (पउम ७३, ३)। पुरा, एक देवविमान (सम ८)। देवलोक में स्थित एक विमान (राय ५६)। "पुरी स्त्री [पुरी] विदेह वर्ष की एक नगरी चंदेरी स्त्री [दे] नगरी-विशेष (ती ४५)। चंपा स्त्री [चम्पा] अंग देश की राजधानी, | (ठा २,३; इक) 1 °प्पहु देखो पहु (सण)* चंदोज । न [दे] कुमुद, चन्द्र-विकासी नगरी-विशेष, जिसको आजकल 'भागलपुर यर पुं[चर] भिक्षुक, भीखमंगा (उप चंदोजय । कमल (दे ३, ४)। कहते हैं (विपा १, १; कप्प) पुरी स्त्री ६१७)। रयण न [रत्न] प्रस्त्र-विशेष, चंदोत्तरण न [चन्द्रोत्तरण] कौशाम्बी नगरी [पुरी] वही अर्थ (पउम ८, १५६)। चक्रवर्ती राजा का मुख्य प्रायुध (पएह १,४) ।। का एक उद्यान (विपा १, ५-पत्र ६०)। चंपा स्त्री. देखो चंपय । कुसुमन [°कुसुम] 'वइ पुं[पति] सम्राट् (पिंग) । वइ, चंदोयर [चन्द्रोदर] एक राज-कुमार चम्पा का फूल (राय)।वण्ण वि [वर्ण] 'वट्टि पुं [वर्तिन् ] छः खण्ड भूमि का चम्पा के फूल के तुल्य रंगवाला, सुवर्ण-वर्ण। अधिपति राजा, सम्राट् (पिंगः सण ठा ३, चंदोवग न चिन्द्रोपा] संन्यासी का एक स्त्री. ण्णी (अप) (हे ४, ३३०)। १; पडि प्रासू १७५) । वट्टित्त न उपकरण (ठा ४, २)। चंपारण (अप) पुं [चम्पारण्य] १ देश [वर्तित्व] सम्राटपन, साम्राज्य (सुर ४, चंदोवराग पुं[चन्द्रोपराग] चन्द्र-ग्रहण, विशेष, चंपारन, तिरहुत कमिश्नरी (विहार) का ११)। वत्ति देखो वट्टि (पि २८९)/ चन्द्रमा का ग्रहण, राहु-ग्रास (ठा १०; भग एक जिला। २ चंपारन का निवासी (पिंग)। "विजय पुं[विजय] चक्रवर्ती राजा से जीतने योग्य क्षेत्र विशेष (ठा ८)। "साला चंपिअ वि [दे] चाँपा हुआ, दबाया हुआ, चंद्र देखो चंद (हे २, ८०; कुमा)। स्त्री [शाला] वह मकान, जहाँ तिल पेरा मर्दित (सुपा १३७ १३८)। जाता हो, तैलिक गृह (वव १०)। सुह पु चंप सक [दे] चाँपना, दाबना, दबाना। चंपिअन [दे] आक्रमण, दबाव (तंदु ४४)। [ शुभ, सुख देव-विशेष, मानुषोत्तर पर्वत चंपइ (पारा २५) । कर्म. चंपिजइ (हे ४, चंपिजिया स्त्री [चम्पीया] जैन मुनिगण का अधिपति देव (दीव)1°सेणपु[सेन] ३९५)। की एक शाखा (कप्प)। स्वनाम-ख्यात एक राजा (दस) हर पुं चंप सक [चर्च 1 चर्चा करना। चंपइ चंभ [दे] हल से विदारित भूमि-रेखा (दे | [धर] १ चक्रवर्ती राजा, सम्राट् (सम (प्राप्र) । संकृ. चंपिऊण (वजा ६४)। ३,१)। १२६ पउम २, ८५ ४, ३६; कप्प)। २ चंप सक [आ+रुह.] चढ़ना। चंपा चकप्पा स्त्री [दे] त्वक् , त्वचा, चमड़ी (दे | वासुदेव, अर्ध-चक्री राजा (राज)। (प्राकृ ७३)। | चकिद देखो चइद (कुमा)। चक्क न [चक्र] एक देवविमान (देवेन्द्र १३३)चंप देखो चंपय (राय ३०)। चकोर पुंस्त्री [चकोर] पक्षि-विशेष, चकोर चक्कआअ देखो चक्कवाय (पि ८२) । चंपग पुन [चम्पक] एक देवविमान (देवेन्द्र पक्षी (सुपा ४५७) 1 स्त्री. रा (रयण ४६) चक्कंग ' [चक्राङ्ग] पक्षि-विशेष (सुपा ३४)। चक्क पुं [चक्र] १ पक्षि-विशेष, चक्रवाक चंपग देखो चंपयः 'असुइट्टाणे पडिया, चंपग चक्कणभय न [दे] नारंगी का फल (द ३, पक्षि (पान कुमा; सरण); 'तो हरिसपुलइयंगो माला न कीरइ सीसे' (प्राव ३)। चक्को इव दिट्ठउग्गयपयंगो' (उप ७२८ टी)। चंपडण न [दे] प्रहार, आघातः 'सरभसचलं | चक्कणाय न [दे] ऊमि, तरङ्ग, कल्लोल (दे २ न. गाड़ी का पहिया (पएह १, १)। ३ तविअडगुडिअगंधसिंधुरणिवहवलणचंपडणस- समूह (सुपा १५०; कुमा)। ४ अन-विशेष मुप्पइया......धूलीजालोली' (विक्र ८४)। (पउम ७२, ३१, कुमा) । ५ चक्राकार चक्कम 1 अक [भ्रम् ] घूमना, भटकना, चकम्म भ्रमण करना । चक्कमइ (दे २, चंपण न [दे] चॉपना, दबाना (उप १३७ प्राभूषण, मस्तक का प्राभरण-विशेष (प्रौप)। ६)। चक्कम्मइ (हे ४, १६१) । वकृ. टी)।६ व्यूह-विशेष, सैन्य की चक्राकार रचना चकमंत (स ६१०)।चंपय पुं[चंपक १ वृक्ष-विशेष, चम्पा का विशेष (णाया १, १; प्रौप) । कंत पुं चक्कम्मविअ वि [भ्रमित] घुमाया हुआ, पेड़ (स १५२; भग)। २ देव-विशेष (जीव [कान्त] देव-विशेष, स्वयंभूरमण समुद्र का | अधिष्ठाता देव (दीव)1°जोहि ["योधिन्] ३) । ३ न. चम्पा का फूल (कुमा)। 'माला फिराया हुमा (कुमा)। स्त्री [माला] १ छन्द-विशेष (पिंग)। २ १ चक्र से लड़नेवाला योद्धा (ठा )२ चक्कय देखो चक्क (परण १)। चम्पा के फूलों का हार (प्राव ३) । लया वासुदेव, तीन खंड पृथिवी का राजा (भाव | चक्कल न [दे] कुण्डल, कर्ण का आभूषण । स्त्री [लता] १ लताकार चम्पक वृक्ष । २ १) उभय पुं[ध्वज चक्र के निशान- २ दोलाफलक, हिंडोला का पटिया (दे ३, चम्पक वृक्ष की शाखा (जं १, औप)। वण वाली ध्वजा (जं १)। पहु पुं[प्रभु] २०)। ३ वि. वत्तुल, गोलाकार पदार्थ (दे। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016080
Book TitlePaia Sadda Mahannavo
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHargovinddas T Seth
PublisherMotilal Banarasidas
Publication Year1986
Total Pages1010
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
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