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________________ घडाघडी-धम्मोडी पाइअसद्दमण्णवो ३०५ घडाघडी स्त्री [दे] गोष्ठी, सभा, मण्डली ५६७ टी)। ८ प्रतिशय, अधिक, अत्यन्त घणोदहि पुं[घनोदधि] पत्थर की तरह (षड्)। (राय)। ६ कठिन, तरलता-रहित, स्त्यान कठिन जल-समूह (सम ३७)। वलय न घडाव सक [घटय] १ बनाना। २ । (जी ७; ठा ३, ४)। १० न. देवविमान- ["वलय वलयाकार कठिन जल-समूह बनवाना। ३ संयुक्त करना, मिलाना । विशेष (सम ३७)। ११ पिण्ड (सूत्र १, (पएण २)। घडावइ (हे ४, ३४०)। संकृ. घडावित्ता १,१)। १२ वाद्य-विशेष (सुज्ज १२)। घण्ण पुं[दे] १ उर, वक्षस् , छाती। (प्रावम)। °उदहि देखो घणोदहि (भग)। "णिचिय २ वि. रक्त, रंगा हुआ (दे २, १०५)। ३ घडि वि [घटिन घटवाला (अणु १४४)। वि ["निचित अत्यन्त निबिड़ (भग ७, ८, धात्य, मार डालने योग्य (सूत्र कृ० २-७, घडि स्त्री [घटी] देखो घडिआ = घटिका औप)। तव न [तपस् ] तपश्चर्या- पत्र ४१०)। (प्रासू ५५)। मंतय, मत्तय न [ मात्रक विशेष (उत्त ३)1 दंत पुं [दन्त] १ | घत्त सक [क्षिप] १ फेंकना, डालना। छोटे घड़े के आकार का पात्र-विशेष (राज इस नाम का एक अन्तद्वीप। २ उसका २ प्रेरणा । घत्तइ (हे ४,१४)। सकृ. कस) । जंत न [यन्त्र] रेंट, रेंहट, पानी निवासो गनुष्य (ठा ४, २)। गाल न 'अंकामो घत्तिऊण वरवीणं' (१उम ७८, निकालने का कल (पास)। ["माल] वैताब्य पर्वत पर स्थित विद्यावर २०; स ३५१)। घडिअ वि [घटित] १ कृत, निमित (पान)। नगर-विशेष (इक)। मुइंग पुं [मृदङ्ग] घत्त सक [ग्रह ] ग्रहण करना। भवि. २ संसक्त संबद्ध, श्लिष्ट, मिला हुआ (पाय: मेघ की तरह गम्भीर आवाजवाला वाद्य धत्तिस्सं (प्रयौ ३३)। स १६४ औपः महा)। विशेष (प्रौप)। रह पुं [रथ] एक जैन घत्त सक [गवेषय ] खोजना, ढूँढ़ना, अनुघडिअघडा स्त्री [दे] गोष्ठी, मण्डली (दे मुनि (पउम २०; १६) । वाउ पुं[°वायु] संधान करना। घत्तइ (हे ४, १८६) । संकृ २. १०५)। स्त्यान वायु, जो नरक-पृथ्विी के नीचे है घत्तिअ (कुमा) घडिआ स्त्री [घटिका] १ छोटा घड़ा, (उत्त ३६) । वाय पुं[वात] देखो वाउ कलशी (गा ४६० श्रा २७)। २ घड़ी, घत्त सक [यत् ] यत्ल करना, उद्योग करना। (भग; जी ७)। वाहण पुं [वाहन] घत्तह (तंदु ५६) । मुहूर्त (सुपा १०८)। ३ समय बतानेवाला विद्याधरों के राजा का नाम (पउम ५,७७)। यन्त्र, घटी-यन्त्र, घड़ी (पान) 1 लय न "विज्जुआ स्त्री [विद्युता] देवी-विशेष, घत्त वि [घात्य] १ मार डालने योग्य । २ [°लय] घण्टागृह, घण्टा बजाने का स्थान एक दिक्कुमारी देवी का नाम (इक)। समय जो मारा जा सके (पि २८१, सूप २, ७. (सर ७, १७)। पुं[समय] वर्षा-काल, वर्षा ऋतु (कुमा घडिआ। स्त्री [दे] गोष्ठी, मण्डली (षड् ; घत्तण न [क्षेपण] फेंकना (कुमा) । पान)। घडी दे २, १०५)। घणंगुल पुंन [घनाङ्गल] परिमाण-विशेष, घत्ता स्त्री [घत्ता] छन्द विशेष (पिंग) । घडिगा देखो घडिआ (सूम १, ४, २, १४)। घत्ताणंद न [घत्तानन्द] छन्द-विशेष (पिंग)। सूची से गुना हुआ प्रतरांगुल (अणु १५८) । घत्ति [दे] शीघ्र, जल्दी (प्राकृ ८१) ।। घडी स्त्री [घटी] देखो घडिआ (स २३८ घणसंमद्द पु [धनसंमद] ज्योतिष-प्रसिद्ध घत्तिय विक्षिप्त प्रेरित (स २०७) । प्रारू)। योग विशेष, जिसमें चन्द्र या सूर्य ग्रह अथवा घत्त वि [घातुक] मारनेवाला, घातक. जल्लाद घडुक्कय पुं[घटोत्कच] भीम का पुत्र (हे नक्षत्र के बीच में होकर जाता है वह योग (उत्त १८. ७) । ४, २६६)। (सुज्ज १२-पत्र २३३)। घत्थ वि [ग्रस्त गृहीत, पकड़ा हुआ (पिंड घडुब्भव वि [घटोद्भव १ घट से उत्पन्न । घणघ गाइय न [घनघनायित] रथ की ११६)। २ पुं. ऋषि-विशेष, अगस्त्य मुनि (प्रारू)। . धनधनाहट या गड़गड़ाहट, अव्यक्त शब्द घत्थ वि [ग्रस्त १ भक्षित, निगला हुआ, घढ न [ दे ] थूहा, टीला, स्तूप (पान)। विशेष (पएह १, ३)। कवलित (पउम ७१, ५१ः परह १, ५)। घण पुं[घन] १ मेघ, बादल (सुर १३, घगवाह पुं [दे] इन्द्र, स्वर्गपति (दे २. | २ आक्रान्त, अभिभूत (सुपा ३५२: महा) । ४५, प्रासू ७२) । २ हथौड़ा (दे ६, ११)। घम्म पुं [धर्म] घाम, गरमी, संताप. धूप ३ गणित-विशेष, तीन अंकों का पूरण करना, | घणसार पुं[घनसार] कपूर (पाप्रा भवि)। (दे १, ८७; गा ४१४) । २ पसीना, स्वेद जैसे दो का घन पाठ होता है (ठा १०-पत्र मंजरी स्त्री मञ्जरी] एक स्त्री का नाम (हे ४, ३२७) । ४६६; विसे ३५४०)। १ वाद्य का शब्द(कप्पू)। घम्मा स्त्री [धर्मा] पहली नरक-पृथिवी (ठा७)। विशेष, कांस्यताल बगैरह (ठा २, ३)। घणा स्त्री [घना] धरणेन्द्र की एक अग्र-महिषी, घम्मोई स्त्री [दे] तृण-विशेष (दे २. १०६)। ५ वि. दृढ़, ठोस (प्रौप)। ६ अविरल, इन्द्राणी-विशेष (णाया २, १-पत्र २५१) घम्मोडी स्त्री [दे] १ मध्याह्न काल । २ निबिड़, निश्छिद्र, सान्द्र (कुमाः औप)। ७ घणा स्त्री [घृणा] घृणा, जुगुप्सा, गर्दा (प्राप्र) मशक, मच्छर, क्षुद्र जन्तु-विशेष । ३ ग्रामणी गाढ़, प्रगाढ़; 'जाया पीई घणा तेसि' (उप | घणिय न [घनित] गर्जना, गर्जन (सुज २०) नामक-तृण (दे २, ११२) । ३६ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016080
Book TitlePaia Sadda Mahannavo
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHargovinddas T Seth
PublisherMotilal Banarasidas
Publication Year1986
Total Pages1010
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
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