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________________ गाँव, (कुमाः गोपेन्द्र] १ गोव-गहण पाइअसहमहण्णवो ३०३ कवकृ. गोविजंत (सुपा ३३७) सुर ११, गोवालि पु [गोपालिन्] ग्बाला. गोप, गोसण्ण वि [दे] मूर्ख, बेवकूफ (दे २, ६७; १६२ प्रासू ६५) । अहीर (सुपा ४३२, ४३३)। षड्)। गोव पुंगोप] गौनों का रक्षक, ग्वाला, गोवालिगी स्त्री [गोपालिनी] गोप-स्त्री, अही- गोसाल पुं. ब. [गोशाल] १ देश-विशेष गोवअ गोपाल (उवा ७ दे २, ५८ रिन, ग्वालि (सुपा ४३२)। गोसालग (पउम ६८, ६५)। २. भगवान् कप्पु) । °जिरि ["गिरि] पर्वत-विशेष गोवालिय पू गोपालिक] गोप, अहीर, । महावीर का एक शिष्य, जिसने पीछे अपना 'गोवगिरिसिहरसंठियचरमजिणाययणदारमव| ग्वाला (सुपा ४३३)। आजीविक मत चलाया था (भग १५)। रुद्धं (मुणि १०८९७)। गोवड्ढण देखो गोवद्धण (पि २६१)। गोवालिया स्त्री [गोपालिका] गोप-स्त्री, गोपी, गोसाविआ स्त्री [दे] १ वेश्या, वारांगना गोवण न [गोपन] १ रक्षण । २ छिपाना । ग्रहीरिन (णाया १, १६)। (मृच्छ ५५) । २ मूर्ख-जननी (नाट-मृच्छ गोवाली स्त्री [गोपाली] वल्ली-विशेष (पएण (श्रा २८; उप ५९७ टी)। ७०) गोवद्धण पुं [गोवर्धन] १ पर्वत-विशेष (पि १)। गोसिय विदे] प्रभातिक, प्रातःकाल-संबन्धी २६१) । २ ग्राम विशेष (पउम २०, ११५)। गोविष वि [दे] प्रजल्पाक, नहीं बोलनेवाला (सण) गोवय वि [गोपक] छिपानेवाला, ढाकनेवाला (दे २,१७)। गोसीस न [गोशीर्ष चन्दन-विशेष, सुगन्धित (संबोध ३४)। गोविअ वि गोपित १ छिपाया हुआ । २ काष्ठ-विशेष (पएह २, ४, ५, कप्प; सुर ४, गोवर पुन [द] गोबर, गोमय, गो-विष्ठा (दे रक्षित (सुर १, ८८ निर १, ३)। १४. सण)। २, ६६; उप ५६७ टी)। गोविआ स्त्री [गोपिका] गोपांगना, प्रहीरिन गोवर पुंगोवर] १ मगध देश का एक गाँव, । (कुमा; गा ११४)।। गोह पुंदे] १ गाँव का मुखिया (दे २,८६)। २ भट, सुभट, योद्धा (दे २, ८६, महा)। गौतम-स्वामी की जन्मभूमि (आक)। २ गोविंद पु [गोपेन्द्र] १ स्वनाम-ख्यात एक | ३ जार, उपपति (उप पृ२१५)। ४ सिपाही, वरिणग-विशेष (उप ५६७ टो)। योग-विषयक ग्रन्थकार। २ एक जैनमुनि पुलिस (उप पृ ३३५) । ५ पुरुष, मादमी, गोवल न [गोबल] १ गोधन, गोकुल, गौओं (पंचव; एंदि)। मनुष्य (मृच्छ ५७)। का समूह; 'रिति गोवलाई' (सुपा ४३३)। गोविंद पु गोविन्द] १ विष्णु, कृष्ण । २ २ गोत्र-विशेष (सुज १०)। गोह पुंदे] कोतवाल आदि र मनुष्य (सुख एक जैन मुनि (ठा १०)। "णिज्जुत्ति स्त्री गोवलायण देखो गोवल्लायण (सुज १०)। ३, ६)। २ वि. ग्रामीण, ग्राम्य, गवार या [नियुक्ति इस नाम का एक जैन दार्शनिक गोवलिय पुं [गोबलिक] ग्वाला, अहीर गँवारू, देहाती (सुख २, १३)। ग्रन्थ (निचू ११)। (सुपा ४३३)। गोविल्ल न [दे] कञ्चुक, चोली (दे २, ६४)। गोहा देखो गोधा (दे २, ७३; भग ८,३)। गोवल्ल पुन [गोवल] गोत्र-विशेष (सुज १०, गोवी स्त्री [दे] बाला; कन्या, कुमारी, लड़की गोहिया स्त्री [गोधिका] १ गोधा, गोह, जल१६ टी)। गोवल्लायण वि गोवलायन १ गोवल गोत्र । जन्तु-विशेष (सुर १०, १८६) । २ साँप की (दे २, ६६)। एक जाति (जीव २) । ३ वाद्य-विशेष में उत्पन्न । २ न. गोत्र विशेष (इक) गोवी स्त्री [गोपी] गोपांगना, अहीरिन (सुपा गोवा पु [गोपा] गौओं का पालन करने- ४३५) (अणु)। वाला, ग्वाला (प्रामा)। गोव्वर [दे] देखो गोवर (उप ५६३, ५९७ गोहर न [दे] गोमय, गो-विष्ठा (दे २, ६६)। गोवाय सक [गोपाय 1१ छिपाना। २ टी)। गोहूम पु[गोधूम] अन्न-विशेष, गेहूँ (कस)।। रक्षण करना । वकृ. गोवायंत (उप ३५७)। गोस पुंन [दे] प्रभात, सुबह, प्रातःकाल (दे २,६६; सण गउडा वव ६; पंचव २ गोहेर गोवाल पु [गोपाल] गौ पालनेवाला, ग्वाला, । पुं गोधेर] जन्तु-विशेष, साँप | पाना षड् ; पघ ४)। गोहेरय ) की तरह का जानवर (पउम ४८, अहीर (दे २,२८)। गुज्जरी स्त्री [गुजेरी] भैरव रागवाली भाषा-विशेष, गुजरात के गासाधय पुंगासाधत] गापाल, गोसंधिय पुं [गोसंधित] गोपाल, ग्रहीर ६२ ६१)। अहीरों का गीत (कुमा)। | (राज)। ग्गह देखो गह = ग्रह (गउड)। गोवालय पुगोपालक] ऊपर देखो (पउम गोसग्ग पुंन [दे गोसर्ग] प्रातःकाल, प्रभात गहण देखो गहण = ग्रहण (अभि ५६)। (दे २, ६६ पास)। | गहण देखो गहण = ग्रहाण (कुमा)। एक जैनमुनि ॥ इन सिरिपाइअसद्दमहण्णवे गाराइसद्दसंकलणो बारहमो तरंगो समत्तो॥ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016080
Book TitlePaia Sadda Mahannavo
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHargovinddas T Seth
PublisherMotilal Banarasidas
Publication Year1986
Total Pages1010
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
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