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________________ २८६ पाइअसहमहण्णवो गण-गद्दभिल्ल ओ तस् ] अनेकशगण का (स ६२९) जिन] १ गण का स्वामी गण पुं[गण] १ समूह, समुदाय. यूथ, थोक गणणाइआ स्त्री [दे. गण-नायिका] पार्वती, गणेत्तिआ) स्त्री[दे] १ रुद्राक्ष का बना (जी ३४; कुमा; प्रासू ४, ७५; १५१) । २ चण्डी, शिवपत्नी (दे २, ८७)। गणेत्ती हुआ हाथ का आभूषण-विशेष गच्छ, समान आचार व्यवहारवाले साधुओं गणय देखो गणग (प्रौप; सुपा २०३)। (णाया १,१६-पत्र २१३; प्रौपा भग; का समूह (कप्प)। ३ छन्दः-शास्त्र प्रसिद्ध गणसम वि [दे] गोष्ठी-रत, गोठ में लीन (दे महा)। २ प्रक्ष-माला (दे २,८१)। मात्रा-समूह (पिंग) । ४ शिव का अनुचर २,८७)। गणेसर पुं [गणेश्वर] १ गण का नायक । (पामः कुमा)। ५ मल्लों का समुदाय (अणु) । गणायमह पुंदे] विवाह-गणक (दे २, ८६)। | २ छन्द-विशेष (पिंग)। ओम [तस् ] अनेकशः, बहुशः (सून गणाविअ वि [गणित] गिनती कराया हा गण्ण वि [गण्य] गणनीय, संख्येय (संबोध २, ६) । नायग पुं [नायक] गण का मुखिया (गाया १, १)। 'नाह [नाथ] | गणि वि [गणिन] १ गण का स्वामी, गण गण्णा (मा) स्त्री [गणना] गिनती (प्राक १ गण का स्वामी, गण का मुखिया (सुपा का मुखिया। स्त्री. गणिणी (सपा ६०२)। १०२)। २,१०)। २ गणधर, जिनदेव का प्रधान २५. प्राचार्य, गच्छनायक. साध-समदाय का गत्त न [गात्र] देह, शरीर (प्रौपः पाना सुर शिष्य (पउम १२, ६) । ३ प्राचार्य, सूरि नायक (ठा ८)। ३ जिनदेव का प्रधान साधु- २, १०१)। र (सार्ध २३) । भाव पुं [भाव विवेक- शिष्य (पउम ११, १०) । ४ परिच्छेद गत्त देखो गड (भग १५)। स्त्री. गत्ता (सुपा विशेष (गउड) । राय पुं[राज] १ निश्चय, सिद्धान्त (शंदि)। "पिडग न २१४)। सामन्त राजा (भग ७, ६)। २ सेनापति [°पिटक] १ बारह मुख्य जैन आगम ग्रन्थ, गत्त न [दे] १ ईषा, चौपाई या चारपाई की (प्राव ३; कप्प) । वइ पुं[पति] १ गण द्वादशाङ्गी (सम १:१०६) । २ निर्यक्ति लकड़ी-विशेष। २ पंक, कर्दम (दे २,९६)। का स्वामी। २ गणेश, गजानन, शिवपुत्र वगैरह से युक्त जैन पागम (प्रौप)। ३ पु. | ३ वि. गत, गया हुआ (षड्) । (गा ३७२ गउड)। ३ जिनदेव का मुख्य शिष्य, यक्ष-विशेष, जिन-शासन का अधिष्ठायक देव गत्तण वि [कर्तन काटनेवाला, छेदक (सूत्र गणधर (सिग्घ २) । सामि ["स्वामिन्] (संति ४)। ४ निश्चय-समूह, सिद्धान्त-समूह १, १५, २४)। गरण का मुखिया, गणधर (उप २८० टी)। (णंदि)। "विज्जा स्त्री [विद्या] १ शास्त्र. गत्तडि । स्त्री [दे] १ गवादनी, गोचर-भूमि गत्ताडी विशेष । २ ज्योतिष और निमित्त शास्त्र का हर पुं[धर] १ जिनदेव का प्रधान शिष्य (दे २,८२)। २ गायिका, गाने वाली स्त्री (षड् दे २, ८२)। (सम ११३) । २ अनुपम ज्ञानादिगुण-समूह ज्ञान (णंदि)। गत्थ वि [ग्रस्त कवलित, ग्रास किया हुआ; को धारण करनेवाला जैन साधु, प्राचार्य गणि पुंस्त्री [गणि अध्ययन, परिच्छेद, प्रकरण वगैरहः 'सेजंभवं गणहर' (प्रावम; पव 'अइमहच्छलोभगच्छा (? त्या)' (पएह १, (णंदि १४३)। गणिम न [गणिम गिनती से बेची जाती २७६) । हरिद [धरेन्द्र] गणघरों में ३–पत्र ४४ नाट-चैत १४६)। गद सक [ग] बोलना, कहना । वकृ. गदंत श्रेष्ठ, प्रधान गणधर (पउम ३, ४३, ५८, | वस्तु, संख्या पर जिसका भाव हो वह (श्रा (नाट-चैत ४५)। १)। हारि पुं[धारिन्] देखो हर (गण । १८ रणाया १, ८)। गदि देखो गइ = गति (देवेन्द्र ३५१) । २३ सार्ध १)।जीव पु [जीव गण गणिम न [गणिम] १ गणना, गिनती, संख्या। गदुअ (शौ) [गत्वा] जाकर (प्राकृ ८८) । के नाम से निर्वाह करनेवाला (ठा ५, १)। २ वि. संख्येय, जिसकी गिनती की जा सके गद्द देखो गज्ज = गद्य (प्राकृ २१) । विच्छेइय, विच्छेदय, विच्छेयय पुं वह, (अणु १५४)। गदतोय पुं[गदेतोय] लोकान्तिक देवों की [वच्छेदक साधु-गण के कार्य की चिन्ता गणिय वि [गणित] १ गिना हुआ। २ न. एक जाति (सम ८५: णाया १, ८)। करनेवाला साधु (पाचा २, १, १०० ठा ३, गिनती, संख्या (ठा जं २)। ३ जैन गद्दब्भ पुंदे कटु-ध्वनि, कर्ण-कटु अावाज ३. कप्प)। हिवइ [धिपति १ शिवसाधुनों का एक कुल (कप्प)। ४ अंक गणित, (दे २, ८२, पाम स १११, ४२०)। पुत्र, गजानन, गणेश (गा ४०३, पात्र)। गणित-शास्त्र (दि; अणु) । लिवि स्त्री गद्दभ देखो गद्दह = गर्दभ (प्राक)। २ जिनदेव का प्रधान-शिष्य (पउम २६,४)। [लिपि] लिपि-विशेष, अंक-लिपि (सम गद्दभय देखो गद्दहय (भाचा २, ३, १ गणग पुं [गणक] १ ज्योतिषी, जोशी, ३५)। आवम)। ज्योतिष शास्त्र का जानकार, दैवज्ञ (णाया गणिय गणिक] गरिणत-शास्त्र का ज्ञाता, गहभालागर्दभाला स्वनाम-प्रसिद्ध एक १, १)। २ भंडारी, भाण्डागारिक (णाया १, 'गणियं जाणइ गणिमा' (अणु)। परिव्राजक (भग)। १-पत्र १९)। | गणिया स्त्री [गणिका] वेश्या, गणिका (श्रा गहभालि पुं [गर्दभालि] एक जैन मुनि (ती गणण न गणन] गिनती, संख्यान (वव १)। १२ विपा १, २)। गणणा श्री [गणना] गिनती, संख्या, संख्यान गणिर वि [गणयितु] गिनती करनेवाला (गा गद्दभिल्ल पुं [गर्दभिल्ल] उज्जयिनी का एक (सुर २, १३२: प्रासू १००० सूत्र २, २)।। २०८)। राजा (निचू १० पि २६१, ४००)। (पाद)। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016080
Book TitlePaia Sadda Mahannavo
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHargovinddas T Seth
PublisherMotilal Banarasidas
Publication Year1986
Total Pages1010
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
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