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________________ पाइअसद्दमहण्णवो कुमुअ-कुरुमाल एक विजय-युगल, भूमि-प्रदेष-विशेष (ठा २, कुम्मी स्त्री [ कूर्मी] १ कछई, कच्छपी। कुरिण न [दे] बड़ा जंगल, भयंकर अटवी ३-पत्र ८०)। ३ न. चन्द्र-विकासी कमल २ नारद की माता का नाम (पउम ११, (णाया १, ३-पत्र ६६: से १,२६)। ४ ५२)। पुत्त पुं[पुत्र दो हाथ ऊँचा इस कुरु पुं. ब. [कुरु] १ आर्य देश-विशेष, जो संख्या-विशेष, कुमुदाङ्ग को चौरासी लाख से नाम का एक पुरुष, जिसने मुक्ति पाई थी उत्तर भारत में है (णाया १,८; कुमा)। गुरगने पर जो संख्या लब्ध हो वह (जो २)। (औप)। २ भगवान् आदिनाथ का इस नाम का एक ५ शिखर-विशेष (ठा )। ६ वि. पृथ्वी में कुंम्ह पुंब. [कुश्मन] देश-विशेष (हे २,७४)। पुत्र (ती १४)। ३ अकर्म-भूमि विशेष (ठा मानन्द पानेवाला। ७ खराब प्रीतिवाला कुम्हड देखो कोहंड (प्राकृ २२)। ६) । ४ इस नाम का एक वंश (भवि) । ५ (से १, २६)। देखो कुमुद। कुम्हंडी देखो कोहंडी (प्राकृ २२)। पुंस्त्री. कुरु वंश में उत्पन्न, कुरु वंशीय (ठा कुमुअ पुं[कुमुद] देव-विशेष (सिरि ६६७)। कुय पुं[कुच] १ स्तन, थन । २ वि. शिथिल ६)। अरा, °अरी देखो नीचे चरा, 'चरी चंद पुं चन्द्र आचार्य सिद्धसेन दिवाकर (वव ७)। ३ अस्थिर (निचू)। (षड्) । खेत्त क्खेत्त न [क्षेत्र] १ की मुनि अवस्था का नाम (सम्मत्त १४१) कुयवा स्त्री [द] वल्ली-विशेष (परण- दिल्ली के पास का एक मैदान, जहाँ कौरव कुमुअंग न [ कुमुदाङ्ग] संख्या-विशेष, . पत्र ३३)। और पाण्डवों की लड़ाई हुई थी। २ कुरु 'महाकाल' को चौरासी लाख से गुणने पर कुरंग पुं[कुरङ्ग] १ मृग की एक जाति देश की राजधानी, हस्तिनापुर नगर (भवि; जो संख्या लब्ध हो वह (जो २)। (जं २)। २ कोई भी मृग, हरिण (पएह १, ती १६) । चंद पुं [°चन्द्र] इस नाम का कुमुआ स्त्री [कुमुदा] १ इस नाम की एक १; गउड)। स्त्री. "गी (पास)। °च्छी स्त्री एक राजा (धम्म प्रावम)। °चर वि[चर] पुष्करिणी (जं ४)। २ एक नगरी (दीव)।। [क्षी हरिण के नेत्र जैसे नेत्रवाली स्त्री, कुरु देश का रहनेवाला । स्त्री. चरा, कुमुइणी स्त्री [कुमुदिनी] १ चन्द्र-विकासी मृगनयनी स्त्री (वा २०)। चरी (हे ३, ३१) । जंगल न [°जङ्गल] कमल का पेड़ (कुमाः रंभा)। २ इस नाम कुरंटय पुं[कुरण्टक] वृक्ष-विशेष, पियवासा कुरु-भूमि, देश-विशेष (भवि; ती ७) । णाह की एक रानी (उप १०३१ टी)। (उप १०३१ टी)। पुं[ नाथ] दुर्योधन (गा ४४३: गउड)। कुमुद देखो कुमुअ (इक)। देव-विमान-विशेष कुरकुर देखो कुस्कुरु। वकृ. कुरकुराइंत दत्त g["दत्त] इस नाम का एक श्रेष्ठी (रंभा)। (सम ३३; ३५) । गुम्म न [गुल्म] देव और जैन महर्षि (उत २: संथा)। मई स्त्री विमान-विशेष (सम ३५)। "पुर न [पुर] कुरय पु [कुरक] वनस्पति-विशेष (पएण [मती] ब्रह्मदत्त चक्रवर्ती की पटरानी (सम नगर-विशेष (इक)। पभा स्त्री [ प्रभा] १-पत्र ३५)। १५२) । राय . [राज] कुरु देश का इस नाम को एक पुष्करिणी (जं ४)। वण कुरय न [कुरबक] पुष्प विशेष (वज्जा राजा (ठा ७)। वह पुं[पति] कुरु देश न [वन मथुरा नगरी के समीप का एक का राजा (उप ७२८ टी)। कुरर पु[कुरर] कुरर-पक्षी, उत्क्रोश (पएह जङ्गल (ती २१)। "गर [कर कुमुद कुरुकुया स्त्री [कुरुकुचा] पाँव का प्रक्षालन १, १, उप १०२६)। (ोध ३१८)। षएड, कुमुदों से भरा हुआ वन (पएह १, ४)। । कुररी स्त्री [दे] पशु, जानवर (दे २, ४०)। कुरुकुरु अक [कुरुकुराय ] 'कुर-कुर' आवाज कुमुदंग देखो कुमुअंग (इक)। कुररी स्त्री [कुररी १ कुरर पक्षी की मादा। करना, कुलकुलाना, बड़बड़ाना । कुरुकुराप्रसि कुमुदग न [कुमुदक] तृण-विशेष (सूम २ गाथा छन्द का एक भेद (पिंग)। ३ मेषी, २, २)। (पि ५५८) । वकृ. कुरुकुराअंत (कप्पू)। मेढ़ी (रंभा)। कुरुकुरिअन [दे] रणरणक, औत्सुक्य (दे कुमुली स्त्री [दे] चुल्ली, चूल्हा (दे २, ३९)। २,४२)। कुम्म पुं[कूर्म] कच्छप, कछुपा (पान)। कुरल पु [कुरल] १ केश, बाल; 'कुरल कुरुगुर देखो कुरकुरु । कुरुगुरेंति (स ५०३)। 'ग्गाम पुं[ग्राम] मगध देश के एक गाँव कुरलीहिं कलिप्रोतमालदलसामलो अइसरिणद्धौ' (सुपा २४ पास)। २ पक्षि-विशेष (जीव १)। कुरुचिल्ल पुं [दे] १ कुलीर, जल-जन्तु-विशेष। का नाम (भग १५)। २ न. ग्रहण, उपादान (दे २, ४१)। देखो कुम्मण वि[दे] म्लान, शुष्क, कुम्हलाया कुरली स्त्री [कुरली] १ केशों की वक्र सटा कुरुविल्ल । हुमा ( दे २, ४०)। (सुपा १; २४)। २ कुरल-पक्षिणी; 'कुरलिब्व कुरुच वि [दे] अनिष्ट, अप्रिय (दे २, ३६)। कुम्मार पुं[कूर्मार] मगध देश के एक गाँव नहंगणे भमई' (पउम १७, ७६)। कुरुड वि [दे १ निर्दय, निष्ठुर (दे २, ६३; का नाम (प्राचा २, १५, ५)। कुरवय [कुरबक] वृक्ष-विशेष, कटसरैया भवि) । २ निपुण, चतुर (दे २,५३; भवि)। कुम्मास पुं[कुल्माष] १ अन्न-विशेष, उरद (गा ६ मा ४०; विक्र २६%; स ४१४; कुमाः कुरुण न [दे] राजा का या दूसरे का धन (प्रोघ ३५६ परह २, ५)। २ थोड़ा भीजा (राज)। हमा मूग वगैरह धान्य (पएह २, ५-पत्र कुरा स्त्री [कुरा] वर्ष-विशेष, अकर्म भूमि- कुरुमाल सक[दे] टटोलना, धीरे धीरे हाथ १४८)। विशेष (ठा २, ३, १०)। फेरना। वकृ, कुरुमालत (कुप्र ४४) । Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016080
Book TitlePaia Sadda Mahannavo
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHargovinddas T Seth
PublisherMotilal Banarasidas
Publication Year1986
Total Pages1010
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
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