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________________ १८४ पाइअसद्दमहण्णवो उव्वट्टण-उव्वासिय उठवट्टण न [उद्वर्तन] तुले से उसके बीज ४ ऊर्ध्व-स्थितः 'सो उव्वत्तविसाणो खंधवसभो | उज्वलिय वि [उद्वलित] पीछे लौटा हुआ को अलग करना (पिंड ६०३)।। जाओं (महा) । ५ घुमाया हुआ, फिराया | (महा)।उव्वट्टण न [अपवर्तन देखो उव्वट्टणा = | हुप्रा (प्राप)।। | उव्वस वि [उद्वस] उजाड़, वसति-रहित अपवत्तंना (विसे २५१४)। उव्वत्त वि [अपवृत्त] उलटा रहा हुअा, | (सुपा १८८ ४०६) उव्वट्टणा स्त्री [उद्वर्तना] १ मरण, शरीर विपरीत स्थित (से १, ६१) उव्यसिय वि [उद्वसित] ऊपर देखो (गा से जीव का निकलना (ठा २, ३) । २ पाश्वं उव्वत्तण न [उद्वर्तन] १ पार्श्व का परिव १६४ सुर २, ११६; सुपा ५४१) का परिवर्तन (प्राव ४)। ३ जीव का एक र्तन (गा २८३; निचू ४)। २ ऊँचा रहना, उव्वसी स्त्री [उर्वशी] १ एक अप्सरा (सरण)। प्रयत्न, जिससे कर्म-परमाणुओं की लघु स्थिति | ऊर्ध्व-वर्तन (ोघ १६ भा)। २ रावण की एक स्वनाम-ख्यात पत्नी (पउम दीर्घ होती है, करण-विशेष (भग ३१, ३२) उव्वत्तिय वि [उद्वर्तित] १ परिवर्तित, चक्रा ७४, ८) । उव्वट्टणा स्त्री [अपवर्तना] जीव का एक कार घुमा हुआ (स ८५); 'भमियं व वरणतरूहिं | उव्वह सक [उद् + वह.] १ धारण करना । २ उठाना । उब्बहइ (महा) । वकृ. प्रयत्न जिससे कर्मों की दीर्घ स्थिति का ह्रास उबत्तिययं व सयलवसुहाए' (सुर १२,१६६) उव्वहंत, उव्वहमाण (पि ३६७ से ६,५)। होता है (विसे २७१५ टी)। उव्वद्ध देखो उव्वड्ढ (महा)। कवकृ. उव्वुज्झमाण (गाया १,६)।' उव्वट्टिअ वि [उद्ववर्तित] साफ किया हुआ, उव्वम सक [उद् + वम् ] उलटी करना, उव्वहण न [उद्वहन] १ धारण । २ उत्था-- प्रमाजितः 'करोसेण वावि उव्वट्टिए' (पिंड पीछा निकाल देना। बकृ. उव्वमंत (से ५, पन । (गउड नाट) २७६)। ६; गा ३४१)। उव्वहण न[दे] महान् प्रावेश (दे १, ११०)। उव्वट्टिय वि [उदुवृत्त] किसी गति से | उव्यमिअ वि [उद्वान्त] उलटी किया हुमा, उव्वा स्त्री [दे] धर्म, ताप (दे १,८७)। बाहर निकला हुमा, मृतः 'पाउक्खएण उव्व- वमन किया हुआ (पास)। उव्वा अक [उद्+वा] १ सूखना, ट्टिया समाणा' (पएह १, १)। उव्वर अक [उद् + वृ] शेष रहना, बच उव्वाअ शुष्क होना। उब्वाइ, उन्धाअइ उव्वट्टिय वि [उद्वतित] १ जिसने किसी जानाः तुम्हाण 'देंतारण जमुब्बरेइ देज्जाह (षड् ; हे ४ २४०)। भी द्रव्य से शरीर पर का तैल वगैरह का साहूण तमायरेण' (उप २११ टी)। वकृ. उव्वाअ वि [उद्वात] शुष्क, सूखा (गउड) ।। मैल दूर किया हो वहः 'तमो तत्थट्टिो | उव्वरंत (नाट) । उव्वाअ । वि [दे] खिन्न, परिश्रान्त (दे १, चेव अभंगिनो उव्वट्टिो उपहखलउदगेहि उव्वर पुं[दे] धर्म, ताप (दे १. ८७) । उव्वाइअ १०२, बृह १, वव ४ पान गा पमजिओ' (महा)। २ प्रच्यावित, किसी पद उव्वरिअ वि [दे] १ अधिक, बचा हुआ, ७५८; सुपा ४३६) । से भ्रष्ट किया हुआ (पिंड) अवशिष्ट (दे १, १३२; पिगः गा ४७४; सुपा उव्वाउल न [दे] १ गीत । २ उपवन, बगीचा उठवड्ढ़ वि [उवृद्ध] वृद्धि प्राप्त (प्रावम) ११, ५३२; ओघ १६८ भा)। २ अनीप्सित, उव्वण वि [उल्बण] प्रचण्ड, उद्भट (उप पृ | अनभीष्ट । ३ निश्चित । ४ अगणित । ५ न. | उव्याडुल न [दे] १ विपरीत सुरत । २ ७०; गउडः धम्म ११ टी)। ताप, गरमी (दे १, १३२)। ६ वि. अति- मर्यादा-रहित मैथुन (दे १, १३३)। उव्वत्त देखो उव्वट्ट = उद् + वृत् । उव्वत्तइ क्रान्त, उल्लङ्घितः 'परदव्वहरणविरया निरया उठवाढ विदे] १ विस्तीर्ण, विशाल । २ (पि २८६)। वकृ. उव्वत्तंत, उव्यत्तमाण इदुहारण ते खलुवरिया' (सुपा ३६८)IV दुःखरहित (दे १, १२६)। (से ५, ४२, स २५८ ६२७) । कवकृ. उव्वरिअ न [अपवरिका] कोठरी, छोटा उव्वाण देखो उव्वाअ = उद्वात (कुप्र १६६)। उव्वत्तिजमाण (णाया १,३)। संकृ. उव्वघर (सुर १४, १७४) ।। उव्वाय देखो उवाय = उपाय (सून १,४, त्तिवि (भवि) ।। उव्वल सक [उद् + वल्] १ उपलेपन १, २)।उव्वत्त देखो उव्वट्ट (दे)। करना । २ पीछे लौटना । हेकृ. उव्वलित्तए उव्वार (अप) सक [उद्+वर्तय त्याग करना, उव्वत्त सक [उद् + वर्तय ] १ खड़ा | (कस) छोड़ देना। कर्म. उव्वारिजइ (हे ४, ४३८)। करना। २ उलटा करना। उव्वत्तंति (पव उव्वल सक[उद्+ वलय् | उन्मूलन करना। | उव्वाल उव्वल सक [उद् + वलय ] उन्मूलन करना। उव्वाल सक [कथ् ] कहना, बोलना। ७१) संकृ उव्वत्तिया (दस ५,१,६३) उव्वलए। वकृ. उज्वलमाण (पंच ५,१६६) उव्वालइ (षड) उव्वत्त वि [ उद्वर्त्त ] खड़ा करनेवाला उव्वलण न [उद्बलन] १ शरीर का उपलेपन- उव्वास सक [उद् + वासय् ] १ दूर (पव ७१)। विशेष (णाया १, १, १३) । २ मालिश, करना। २ देशनिकाला करना। ३ उजाड़ उव्वत्त वि [उत्त] १ उत्तान, चित्त (से अभ्यङ्गन (बृह ३, प्रौप)। करना । उब्वासइ (नाट; पिंग)। ५, ६२)। २ उल्लसित (हे ४, ४३४)। ३ उबलगा स्त्री [उद्वलना] १ उन्मूलन । २ उव्वासिय वि [उद्वासित] १ उजाड़ जिसने पार्श्व को धुमाया हो वह (प्राव ३)। उद्वलन-योग्य कर्म-प्रकृति (पंच ३, ३४)V किया हुमा (पउम २७, ११)। २ देश-बाहर Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016080
Book TitlePaia Sadda Mahannavo
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHargovinddas T Seth
PublisherMotilal Banarasidas
Publication Year1986
Total Pages1010
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
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