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________________ १५२ पाइअसहमहण्णवो उडाहिअ-उड्ढ 'जमहं दिया य रामो य, हुणामि महुसप्पिस। | उडुस देखो उद्दस (उत्त ३६, १३८)। 'कुसुमं यत्रोड्डीय, क्षुरिकाग्राल्लाघवेन संगृह्य । तेण मे उडओ दड्ढो, जायं सरगमो भयं' | उस दे] खटमल, खटकीरा, उड़िस (द पादाङ्गलिभिगच्छति, तद्विज्ञातव्यमुड्डिाहरणं (निचू १) १,९६) (दे १,१२१)।V उडाहिअ वि [दे] उत्क्षिप्त, फेंका हुआ उड्डहण पुं[] चोर, डाकू (दे १, ६१) उड्डिय वि [उड्डीन] उड़ा हुआ; 'तरुउड्डिय(षड् ) IV उड्डाअ [दे] उद्गम, उदय, उद्भव (दे १, | पक्खिणुव्व पगे' (धर्मवि १३६)। उडिअ वि [दे] अन्विष्ट, खोजा हुआ ( षड्)। ६१)। | उड्डिहिअ वि [दे] ऊपर फेंका हुआ (पान) । उडिउ पु[दे] उड़िद, उरद, माष, धान्य-विशेष उड्डाण न [उड्डयन] उड़ान, उड़ना: “मोरोवि उड्डी अक [उद्+डी] उड़ना । उड्डेइ, उड्डिति अहव घिप्पइ, हंत तइजम्मि उड्डाणे (सुर ८, | (पि ४७४)। वकृ. उड्डिअत, उड्डत (दे ६, (दे १, ६८) उडु पुं [उडु] एक देव-विमान (देवेन्द्र १३१)। ५२)।। ६४, उप १०३१ टी)। संकृ. उड्डऊण, पभ पुंन [प्रभ] उडु नामक विमान के | उड्डाण पुं[दे] १ प्रतिशब्द, प्रतिध्वनि । २ उड्डवि (पि ५८६; भवि) 0 पूर्व तरफ स्थित एक देव-विमान (देवेन्द्र कुरर, पक्षि-विशेष । ३ विष्ठा, पुरीष । ४ उड्डा स्त्री औडी] लिपि-विशेष, उत्कल देश १३८)। मज्झ पुंन [°मध्य] उडुविमान की लिपि (विसे ४६४ टीIV मनोरथ, अभिलाष । ५ वि. गर्विष्ठ, अभिमानी | के दक्षिण तरफ का एक देव विमान (देवेन्द्र (दे १, १२८)IV उड्डीण वि [उड्डीन] उड़ा हुमा (गाया १, उड्डामर वि [उड्डामर] उद्भट, प्रबल (कुप्र | १३८) । यावत्त पुंन [°कावर्त] उडुविमान १० पायः सुपा ४६४) के पश्चिम तरफ का एक देव-विमान (देवेन्द्र १४५) उड् डुअ पुं[दे] डकार, उद्गारर 'जंभाइएणं उड्डामर वि [उड्डामर] १ भय, भीति । २ १३८) । सिद्ध पुन [सृष्ट] उडुविमान के उड्डुएणं वायनिसग्गेणं' (पडि) V उड् डुइय आडम्बरवाला, टीपटापवाला (पान)।उत्तर तरफ का एक देव-विमान (देवेन्द्र पुं[दे] देखो उड्डुअ (चेइय उड्डामरिअ वि [उड्डामरित] भय-भीत किया उड्डोअ १३८)V ४३४ ४३७) । उडूडवाडिय पुं [उड्डुवाटिक] भगवान् उडु न [उड] १ नक्षत्र (पास) । २ विमान हुआ (कप्पू)। | उड्डाव सक [उद् + डायय] उड़ाना।। महावीर के एक गण का नाम (कप्प)। देखो विशेष (सम ६६)। प, व पुं[प] १ उड्डावइ (भवि)। वकृ. उड्डावंत (हे ४, उद्दवाइअ । चन्द्र, चन्द्रमा (प्रौपः सुर १६, २४६)। २ ३५२) | उड् डुहिअ देखो उडुहिअ (दे १, १३७) । - जहाज, नौका (दे १, १२२)। ३ एक की | उड्डाब वि [उड्डायक] उड़ानेवाला (पिंड ४७१) संख्या (सुर १६, २४६)। वइ पुं[पति] उड्डोय देखो उड़ डुअ (राज)। उड्डावण न [उड्डायन] १ उड़ाना, मत्तजल- उड्ढ न [ऊर्ध्व] १ ऊपर, ऊँचा (अणु) । २ चन्द्र (सम ३०; पएह १, ४)। वर पुं| [°वर सूर्य (राज) वायसुड्डावणेण जलकलुसणं किमिम' (कुमा)। वमन, उलटी; 'उड्ढणिरोहो कुट्ट' (बृह ३) । उडु देखो उउ (ठा २, ४, प्रोघ १२३ भा)। २ आकर्षण; 'हियउड्डावणे' (णाया १,१४)। ३ वि. उत्तम, मुख्यः 'महत्ताए नो उड्ढत्ताए उड बरिजिया स्त्री [उदुम्बरीया] जैन मुनियों उड्डाविअ वि [उड्डायित] उड़ाया हुआ (गा | परिणमंति' (भग ६, ३; आवम)। ४ खड़ा, की एक शाखा (कप्प)। ११०; पिंग)। दएडायमानः 'खाणुव्व उड्ढदेहो काउस्सग्गं तु उडहिअ न [दे] १ विवाहिता स्त्री का कोप। उड्डाविर वि [उड्डायित्] उड़ानेवाला (वजा | ठाइजा' (प्राव ६)। ५ ऊपर का, उपरितन ६४) । २ वि. उच्छिष्ट, जूठा (दे १, १३७) । (उवा)। कंडूयग पुं[कण्डूयक] तापसों उड्डास पुं [दे] संताप, परिताप (दे १,६६) का एक सम्प्रदाय जो नाभि के ऊपर भाग में उडूखल पुन [उडूखल] उलूखल, उदूखल उड्डाह पुं[उदाह] १ भयङ्कर दाह, जला उडूहल (पिड ३६१; प्राकृ ७) ही खुजलाते हैं (भग ११, ६)। काय पुं देना (उप २०८)। २ मालिन्य, निन्दा, उप- [काय शरीर का उपरितन भाग (राज)। उड्डु उडू] १ देश-विशेष, उत्कल, प्रोड़, घात (प्रोघ २२१) प्रोड नामों से प्रसिद्ध देश, जिसको आजकल काय पुं [काक] काक, वायसः 'ते उड्ढउड्डिअ वि [औडू] उड़ीसा देश का निवासी काएहि पखजमारणा अवरेहि खजंति सणप्फउड़ीसा कहते हैं (स २८६)। २ इस देश का (नाट) एहि' (सूप्र १,५,२,७)। गम वि [गम] निवासी, उड़िया; 'सगजवण-बब्बर-गाय मुरुं उड्डिअवि [दे] उत्क्षिप्त, फेंका हुआ (षड् ) ऊपर जानेवाला (सुपा ४५६)। गामि वि डोड्ड-भडग-' (पएह १, १) । उड्डिअंत देखो उड्डी = उत् + डी। ["गामिन्] ऊपर जानेवाला (सम १५३)। उड्डु वि [दे] कुंआ आदि को खोदनेवाला, उड्डिआहरण न [दे] छुरी पर रखे हुए फूल | °चर वि [°चर] ऊपर चलनेवाला, आकाश खनक (दे १,८५)। को पाँव की दो उँगलियों से लेते हुए चल में उड़नेवाला (गृध्रादि) (आचा)। "दिसा उड्डण [दे] १ बैल, साड़। २ वि. दीर्घ, जाना; 'छुरिअग्गमुक्कपुप्फ घेत्तुम पायंगुलीहि स्त्री [ "दिश् ] ऊर्ध्व दिशा (उवा प्राव ६)। लम्बा (दे १, १२३)।। उप्पयणं । तं उड्डिाहरणं 'रेणु पुं [ रेणु] परिमाण-विशेष, पाठ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016080
Book TitlePaia Sadda Mahannavo
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHargovinddas T Seth
PublisherMotilal Banarasidas
Publication Year1986
Total Pages1010
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
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