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________________ ८४ पाइअसद्दमहण्णवो अवसउण-अवस्स अवसउण न [अपशकुन ] अनि-सूचक अवसरण देखो ओसरण (पव ६२)। अवसिद (शौ) वि [अवसित] समाप्त, पूर्ण निमित्त , खराब शकुन (प्रोष ८१ भा; गा | अवसरण न [अपसरण] १ पीछे हटना। (अभि १३३, प्रति १०६)। २६१; सुपा ३६३)। ___२ निवृत्ति (गउड)। अवसिद्धत पुं[अपसिद्धान्त] दूषित सिद्धांत अवसंकि वि [ अपशङ्किन ] अपसरण- | अबसरिय वि [आवसरिक] सामयिक, सम- (विसे २४५७; ६)। कर्ता (सूत्र १, १२, ४)। योपयुक्त (सरण)। अवसीय अक [अव + सद् ] क्लेश पाना, अवसक्क सक [अव + ष्वक्] पीछे हट | अवसरीर पुं [अपशरीर] रोग, व्याधिः खिन्न होना। वकृ. अवसीयंत (पउम ३३, जाना । अवसक्केजा (प्राचा)। 'सवावसरीरहियो' (उप ५६७ टी)। अवसक्कण न [अवध्वष्कण] अपसरण, पीछे अवसवस वि [अपस्ववश] पराधीन, पर- अवसुअ अक [उद् + वा] सूखना, शुष्क हटना (पंचा १३)। तन्त्र रणाया १, १६)। होना । अवसुप्रइ (षड्)। अवसक्कि वि [ अवष्वष्किन् ] पीछे हटने | अवसब न [अपसव्य वाम पार्श्व (णंदि | | अबसेअ ' [अवसेक सिंचन, छिड़काव वाला (प्राचा)। १५९)। (अभि २१०)। अवसण्ण वि [दे] झरा हुआ, टका हुआ | अवसव्वय न [अपसव्यक] शरीर का अवसेअ वि[अवसेय जानने योग्य (विसे (षड्)। दहिना भाग (उप पृ २०८)। २६७१)। अवसण्ण वि [अवसन्न] निमग्न, 'नागो अवसह पुं [आवसथ] घर, मकान (उत्त अवसें (अप) देखो अवसं (हे ४, ४२७)। जहा पंकजलावसरणों (उत्त १३, ३०)। ३२)। अवसद्द पुं[अपशब्द] १ अशुद्ध शब्द अवसह न [दे] १ उत्सव । २ नियम (दे अवसेण देखो अवसंः 'अवसेण भुजियव्वा (सुर १६, २४८) । २ खराब वचन (हे १, (पउम १०२, २०१)। १,५८)। १७२)। ३ अपकीति, अपयश (कुमा)। | अवसेस पुं [ अवशेष ] १ अवशिष्ट, बाकी अवसप्प अक [ अव + सुप्] पीछे हटाना। किया हुआ (से १०, ६३)। (सुपा ७७)। २ वि. सब, सर्व (उप २११ २ निवृत्त होना। ३ उतरना। अवसपंति टी)। अवसाण न [अवसान] १ नाश। २ अन्त (पि १७३)। अवसेसिय वि[अवशेषित] १ समाप्त भाग (गउड; पि ३६६)। अवसप्पण न [अपसर्पण] अपसरण, अप किया हुआ, पार पहुंचाया हुअा ( से ४, वर्तन (पउम ५६, ७८)। अवसाय पुं[अवश्याय हिम, बर्फ (गउड)। ४७)। २ बाकी का, अवशिष्ट (भग)। अक्सपि वि [अपसपिन] १ पीछे हटनेअवसारिअ वि [अप्रसारित] न फैला हुआ, अवसेह सक [गम् ] जाना। अवसेहइ (हे वाला। २ निवृत्त होनेवाला (सूम १, २, अविस्तारित ( से, १)। ४, १६२) । अवसेहंति (कुमा)। अवसारिअ वि [ अपसारित १ प्राकट, अवरोह प्रक [नश1 भागना, पलायन अवसप्पिय वि [अपसर्पित] १ अपमृत । खींचा हुआ (से १, १)। २ दूर किया हुआ, करना । अवसेहइ (हे ४, १७८; कुमा)। २ निवृत्त । ३ अवतीरणं (भवि)। हटाया हुआ (सुपा २२२)। अवसोइया स्त्री [अवस्वापिका] निद्रा (सुपा अवसप्पिणी देखो ओसप्पिणी (भग ३, २; अवसावण न [अवस्रावग] १ कोजी (बृह भवि)। १)। २ भात वगैरह का पानी (सूक्त अवसोग वि [अपशोक १ शोक-रहित । अवसमिआ (दे) देखो अंबसमी (दे १. ८६)। २ देव-विशेष (दीव)। अवसावणिया स्त्री [अवस्वापनिका] अवसय वि [अपशद] नीच, अधम (ठा ४, | अवसोण वि [अपशोण] थोड़ा लाल सुलानेवाली विद्या (धर्मवि १२४) । (गउड)। अवसिअ वि [अपसृत] पीछे हटा हुआ अवसोवणी स्त्री [अवस्वापनी] निद्रा (सुपा अवसर अक [अप+स] १ पीछे हटना। (से १३, ६३)। __ ४७)। २ निवृत्त होना । अवसरइ (हे १, १७२)। अवसिअ वि [अवसित] १ समाप्त, परि- अवस्स वि [अवश्य | जरूरी, नियत (पावम, कृ. अवसरियव्य (उप १४६ टी)। पूर्ण । २ ज्ञात, जाना हुआ (विसे २४८२) । आव ४)। कम्म न [°कर्मन् ] आवश्यक अवसर सक [अव + स] आश्रय करना। | अवसिज अक [अव + सद् ] हारना, क्रिया (प्राचू १)। करणिज वि [करणीय संकृ. 'प्रोसरणम् अवसरित्ता' (चउ १८)। | पराजित होनाः ‘एक्कोत्रि नावसिजई' (विसे अवश्य करने लायक कर्म, सामयिक आदि । अवसर पुं अवसर] १ काल, समय २४८४)। किरिया स्त्री [क्रिया] आवश्यक अनुष्ठान (पान)। र प्रस्ताव, मौका (प्रासू ५७; अवसित्त वि [अवसिक्त] सींचा हुआ (रंभा (भाचू १) । 'किच वि [कृत्य] आवश्यक (महा)। ३१)। . कार्य (दे)। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016080
Book TitlePaia Sadda Mahannavo
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHargovinddas T Seth
PublisherMotilal Banarasidas
Publication Year1986
Total Pages1010
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
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