SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 151
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अवमाणणा-अवर पाइअसहमहण्णवो ८१ अवमाणणा स्त्री [अवमानना] अवगणना अवयच्छ सक [अव + गम् ] जानना । अव- अवयाय पुं[अक्वाय अपराध, दोष (उप (काल)। यच्छइ (स ११३)। संकृ. अवयच्छिय १०३१ टी)। अवमाणि वि [अवमानिन्] अवज्ञा करने (स २१०)। | अवयाय वि [अवदात] निर्मल (सिरि वाला (अभि १६)। अवयच्छ सक [दृश] देखना। अवयच्छइ १०२७)। अवमाणिय वि [अपमानित] तिरस्कृत (से (हे ४,१८१)। वकृ. अवयच्छंत (कुमा)। अवयार पुं [अपकार] अहित-करण (स अवयच्छिय वि [दृष्ट] देखा हुमा (साया १, ४३७कुमा; प्रासू ६)। १०,६६; सुपा १०५)। अवयार पुं[अवतार] १ उतरना। २ देहाअवमाणिय वि [अवमानित] १ प्रवज्ञात, अवयच्छिय वि [दे] प्रसारित, 'फुकारपव- न्तर-धारण, जन्म-ग्रहण । ३ मनुष्य रूप में अनाहत (सुर २, १७६) । २ अपूरित, 'अव एपिसुरिणयमवयच्छियमकारमहा य (स देवता का प्रकाशित होनाः 'अज! एवं तुमं माणियदोहला' (भग ११, ११)। देवावयारो विय मागईए' (स ४१६, भवि) । अवमार पुं [अपस्मार] भयंकर रोग-विशेष, अवयज्म सक [ दृश् ] देखना । अषयज्झइ | ४ संगति, योजना (विसे १००८) । ५ प्रवेश पागलपन (आचा)। (हे १,१८१)। संकृ. अवयज्झिऊण (कुमा)। (विसे १०४३)। अवमारिय वि [अपस्मारित, रिक] अप अवयदि स्त्री [अवतधि] तनूकरण, पतला अवयार पुं[अवतार ग्मावेश (पद ८६)। स्मार रोग वाला (प्राचा)। करना (प्राचा)। अवयार पुं[दे] माघ-पूर्णिमा का एक उत्सव, अवमारुय ' [अवभारत] नीचे चलता पवन अवयट्रि वि [अवस्थायिन् अवस्थिति करने | जिसमें इख से दतवन आदि किया जाता है (गउड)। वाला, स्थिर रहने वाला (प्राचा)। (दे १, ३२)। अवमिच्चु देखो अवमच्चु (प्रारू)। अवयट्टि स्त्री [अवकृष्टि] आकर्षण (प्राचा)। अवयारण न [अवतारण] उतारना (सिरि अवमिय वि[दे] जिसको घाव हो गया हो | अवर्याड्ढ अ वि [दे] युद्ध में पकड़ा हुआ | में पकड़ा इमा १००४)। वह, वणित (बृह ३)। अवयारय देखो अवगारय (स ६९०)। अवमुक्त वि [अवमुक्त] परित्यक-(पि ५६६)। अवयण न [अवचन कुत्सित वचन, दूषित अवयारि वि [अपकारिन्] अपकार करने अवमेह वि [अपमेघ मेघ-रहित (गउड)। भाषा (ठा ६)। वाला (स १७६; विवे ७९)। अवय देखो अपय = अपद (सूत्र १, ८; ११)। अवयर सक [अव + ] १ नीचे उतरना। अबयालिय वि [अवचालित] चलायमान अवय न [अब्ज कमल, पद्म (पएण १)। २ जन्म ग्रहण करना। अवयरइ (हे १, किया हुआ (स ४२)। अपय वि [अवच] १ नोचा, अनुच्च (उत्त १७२)। वकृ. अक्बरंत, अवयरमाण अवयास सक [श्लिष्] प्रालिंगन करना। ३) । २ जघन्य, हीन, प्रश्रेष्ठ (सूत्र १, १०)। (पउम ८२, ६३; सुपा १८१)। संकृ. अव- । प्रवयासइ (हे ४, १६०)। कवकृ. अव.३ प्रतिकूल (भग १, ६)। यरिउ (प्रासू)। । यासिज्जमाण (प्रौप)। संकृ. अवयासिय अवयंस पुं [अवतंस] १ शिरोभूषण विशेष अवयरिअ पुं [दे] वियोग, विरह (द १, (णाया १, २)। (कुमाः गा १७३)। २ कान का प्राभूषण अक्यास सक [अव+काश ] प्रकट करना। (पाप)। अवयरिअ वि [अपकृत] १ जिसका अपकार संकृ. अवयासेऊण (तंदु)। अवयंस सक [अवतंसय ] भूषित करना। किया गया हो वह । २ न. अपकार, अहित- अवयास देखो अवगास (गउड, कुमा)। अवसअंति (पि १४२; ४६०)। करण; 'को हेऊ तुह गमणे तुह अवयरियं मए अवयास पुंश्लेष] आलिंगन (प्रोध २४४ कि व' (सुपा ४२१)। अवयक्ख सक [अप + ईक्ष ] अपेक्षा करना, अवयरिअ वि [अवतीर्ण] १ जन्मा हुमा। राह देखना। अवयक्खह (गाया १, ६)। अवयासण न [श्लेषण प्रालिंगन (बृह १)। वकृ. अवयक्खंत, अवयक्खमाण (णाया २ नीचे उतरा हुआ (सुर ६, १८६)। अवयासाविय वि [श्लेषित] प्रालिंगन कराया १,६ भग १०,२)। अवयव पु [अवयव] १ अंश, विभाग। २ । हुआ (विपा १, ४)। अवयक्ख सक [अव + ईच] १ देखना । अनुमान-प्रयोग का वाक्यांश (दसनि १; हे १, अवयासिय वि [श्लिष्ट] प्रालिंगित (कुमा; २ पीछे से देखना। वकृ. अवयक्खंत (प्रोष २४५)। पाप्र)। १८८ भा)। अवयवि वि [अवयविम् अवयव वाला (ठा अवयासिणी स्त्री [दे] नासा-रज्जु, नाक में अवयक्खा स्त्री [अपेक्षा अपेक्षा (णाया १, १; विसे २३५०)। डाली जाती डोर (दे १,४६)। अवयाढ देखो ओगाढ (नाट; गउड)। अवर वि [अपर] अन्य, दूसरा, तद्भिन्न (श्रा अवयग्ग न [दे] अन्त, अवसान (भग १, अवयाण नदे] खींचने की डोरी, लगाम २७ महा)। हा अ[था] अन्यथा (पंचा ! (दे १, २४)। १२ भा)। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016080
Book TitlePaia Sadda Mahannavo
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHargovinddas T Seth
PublisherMotilal Banarasidas
Publication Year1986
Total Pages1010
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy