________________ हार-हास पाइअसहमहण्णवो अधिष्ठायक देवः 'हारसमुद्दे हारबर-हारवर- हारिअ न [हारीत 1 गोत्र-विशेष, जो हालिज्ज नहालीय] एक जैन मुनि-कुल (?हार)महावरा एत्थ दो देवा महिड्डीया' कौत्स गोत्र की एक शाखा है। 2 पुंस्त्री. उस (कप्प)।(जीव 3, ४-पत्र 367) / वर पुं[°वर] गोत्र में उत्पन्न (ठा ७-पत्र 360; एंदि हालिद्द हारिद्र] 1 हल्दी के तुल्य रंग, 1 हार-समुद्र का एक अधिष्ठाता देव / 2 46; कप्प) मालागारी श्री [ मालाकारी] | पीला वर्ण (मरण 106; ठा ५,१--पत्र द्वीप-विशेष / 3 समुद्र-विशेष / 4 हारवर- एक जैन मुनि-शाखा (कप्प)। 261) / 2 वि. पीला, जिसका रंग पीला समुद्र का एक अधिष्ठाता देव (जीव , 4) हारिअ वि [हारित] 1 हारा हुमा, चूत | हो वह (परण १-पत्र 25; सुम 2, 1, वरभद्द पुं [वरभद्र] हारवर-द्वीप का | प्रादि में पराजित (सुपा 366 महा: भावि)। 15; भगः प्रौप)। 3 न. एक देव-विमान एक अधिष्ठायक देव (जीव 3, 4) 2 खोया हुना, गुमाया हुअा (वव 1; सुपा (देवेन्द्र 132) / 'वरमहाभद्द पु["वरमहाभद्र] हारवर- | 166) / हालिया स्त्री हालिका] देखो हलिआ द्वीप का एक अधिष्ठाता देव (जीव 3, 4) / हारियंद वि [हारिचन्द्र] हरिचन्द्र का, | (राज)। वरमहावर पुं [वरमहावर] हारवर- हरिचन्द्र-कवि का बनाया हुआ (गउड)। हालअ वि [दे] क्षीब, मत्त (दे 8, 66) / समुद्र का एक अधिष्ठायक देव (जीव 3, 4) हारिया स्त्री [हारीता] एक जैन मुनि-शाखा हाव सक [हापय 1 1 हानि करना / 2 वरावभास पुं[वरावभास] 1 एक द्वीप। (राज)। देखो हारिअ-मालागारी / त्याग करना / 3 परिभव करना। 4 लोप 2 एक समुद्र (जीव 3, 4) / वरावभास | हारियायण न [हारितायन] एक गोत्र | करना; 'थंडिलसामायारि हावेई' (वव 1), भह पुं [वरावभासभद्र] हारवराभास हावए (उत्त५, 23; सट्ठि 21 टी)। हावद्वीप का एक अधिष्ठाता देव (जीव 3, 4) हारी स्त्री [हारी] देखो हारि= हारि (उप | इज्जा (दस 8, 41) / वकृ. हार्वित (विसे 'वरावभासमहाभद्द ["वरावभासमहापृ 52 कुप्र 244; पिंग)। 2746) / भद्र] हारवरावभास-द्वीप का एक अधिष्ठायक देव (जीव 3, 4) / वरावभासमहावर पुं| हारीय हारीत] 1 मुनि-विशेष / 2 न. हाव पुं[हाव] मुख का विकार-विशेष (पएह [वरावभासमहावर] हारवराभास-समुद्र गोत्र-विशेष (राज), बंध पुं[बन्ध] 2, ४–पत्र 132; भवि)। का एक अधिष्ठाता देव (जीव 3, 4) / छन्द-विशेष (पिंग)। हाव वि [दे] जंघाल, द्रुतगामी, वेग से दौड़ने'वरावभासवर पुं[°वरावभासवर] हार| हारोस पुं[हारोष] 1 अनार्य देश-विशेष / वाला (दे 8,75) / 2 वि. उस देश का निवासी (पएण १वरावभास-समुद्र का एक अधिष्ठायक देव (जीव | हाव देखो भाव = भाव; 'ईसरहावेण' (अच्यु 3, ४-पत्र 367) / पत्र 58) २५)।हार देखो भार (सुपा 361; भवि)।हाल पुं[दे. हाल] राजा सातवाहन, गाथा हावण वि [हापन] हानि करनेवाला (हे 2, हारअ वि [हारक] नाश-कर्ता (मभि 111) / सप्तशती का कर्ता (दे 8, 66; 2, 36, गा 3; वजा 64) / हारण वि [हारण] ऊपर देखो, 'धम्मत्थ हाविर वि [दे] 1 जंघाल, द्रुतगामी / 2 कामभोगाण हारणं कारणं दुहसयाणं' (पुष्प हाला स्त्री [हाला] मदिरा, दारू (पामा कुप्र दीर्घ, लम्बा। 3 मन्थर / 4 विरत (दे८, 407; रंभा)। 262 धम्म 10 टी) हालाहल पुं[दे] मालाकार, माली (दे 8, हारव देखो हारहारय / हारवइ (हे 4, हास देखो हस हस् / वकु. 'न हासमायो 31) / भवि. हारविस्सइ (स 566) वि गिरं वइज्जा' (दस 7, 54) / / हालाहल पुंस्त्री [हालाहल] 1 जन्तु-विशेष, हारविअ वि [हारित] नाशित (कुमाः सुपा ब्रह्मसर्प, बाम्हनी (दे 6, 60; पान, गा हास सक ! हासय ] हँसाना। हासेइ (हे 512) 62) / स्त्री.ला (दे 8, 15) / 2 त्रीन्द्रिय 3, 146) / कर्म. हासोअइ, हासिज्जइ (हे हारा स्त्री [दे] लिक्षा, जन्तु-विशेष (दे 8, जन्तु-विशेष (पएण १-पत्र 45) / 3 3, 152) / वकृ. हासेंत (प्रोप)। कवकृ. पुंन. स्थावर विष-विशेष (दस 6,1,7; हासिजंत (सुपा 57) / 'हारा देखो धारा (कप्प, गा 785) / गच्छ 2, 4) / 4 पुं. रावण का एक सुभट हास पुं[हास] 1 हास्य, हँसी (प्रौपः गच्छ हारि स्त्री [हारि] 1 हार, पराजय (उप पू | (पउम 56, 33) 2,42, उव; गा 11, 332) / 2 कर्म५२)। 2 पंक्ति, श्रेरिण (कुप्र 344) / 3 हालाहला स्त्री [हालाहला] एक पाजीविक- विशेष, जिसके उदय से हंसी प्राव वह कर्म छन्द-विशेष (पिंग)। / मतानुयायिनी कुम्हारिन (भग १५-पत्र (कम्म 1, 21, 57) / 3 अलंकार-शास्त्रोक्त हारि वि [हारिन] 1 हरण-कर्ता (विसे 656) / रस-विशेष (अणु 135)4 कर वि ['कर] 3245; कुमा)। 2 मनोहर, चित्ताकर्षक हालिअ देखो हलिअ.= हालिक (हे 1, 67; हास्य-कारक (सुपा 243), कारि वि (गउड) / प्राप्र)। [कारिन्] वही (गउड)।११६ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.orge