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१७मी मध्यभाम
अखानी काव्यकृतिओ, अखाना छप्पा, चित्तविचार
संवाद, चतुरचालीशी, प्रेमपचीसी १६४८
हरिश्चन्द्राख्यान १६४९
अखेगीता १७मी उत्तरार्ध
प्रेमानंदनी काव्यकृतिओ १६५२
मोसाळाचरित्र १७मी चोथु चरण
दशमस्कंध १६८२ पहेलां
पंचदंडनी वार्ता १६८५ के १७मी उत्तरार्ध सम्यक्त्व षट्स्थान चउपइ १८मी पूर्वार्ध
देवकीजी छ भायारो रास १७१३ के ते पूर्वे
आनंदघन बावीसी स्तबक १७१८थी १७६५ आसपास चंद्र-चंद्रावती वारता, नंदबत्रीसी, मदनमोहना १७२५
रूस्तमनो सलोको १७२९थी १७४५ दरम्यान कस्तुरचंदनी वारता, सिंहासनबत्रीशी (शामळ) १७४५
वेतालपचीसी
संदर्भग्रंथो (शब्दार्थनिर्णय तथा व्युत्पत्तिना विषयमा सहायरूप थयेला महत्त्वना ग्रंथोनो परिचय) अनुशीलनो, हरिवल्लभ चू. भायाणी, प्रका. धी पॉप्युलर पब्लिशिंग हाउस, सूरत, १९६५.
आ ग्रंथमां पृ.७८-९२ पर प्राकृत-अपभ्रंश अने प्राचीन गुजरातीना २५ जेटला शब्दोनी प्रयोगोनी नोंधपूर्वक चर्चा छे ते अहीं उपयोगी थई छे. अभिधान चिन्तामणि कोश (हेमचन्द्रचार्यविरचित), अनु. संपा. विजयकस्तूरसूरिजी, प्रका. जसवंतलाल गिरधरलाल शाह, अमदावाद, वि.सं.२०१३.
आ नामकोश छे. नामो जुदाजुदा वर्गोमां रजू थयां छे, जेमके देवाधिदेवो, देवो, मनुष्यो, तिर्यंचो, नारकी, साधारण पदार्थो वगेरे. एमां घणा पेटावर्गो पण पडे छे जेमके तिर्यंचोमां पृथ्वीकाय, वनस्पतिकाय, कृमिओ, स्थलचारो, खेचर, जलचर, वगेरे; साधारण पदार्थोमां चीजवस्तुओ, भावो, गुणो, क्रियाओ वगेरे. वळी नामोना सघळा पर्यायो पण आपवामां आव्या छे. आ रीते, आ कोश संस्कृत भाषानां सर्व नामोने अशेषपणे संघरे छे. तेम प्राकृत-अपभ्रंश-देश्य भाषाथी प्रभावित नामो पण एमां छे. कुल १५००० जेटलां नामो एमां छे. अनुवादमां एना गुजराती पर्यायो नोंधाया छे. पाछळ संस्कृत शब्दोनी तेमज गुजराती शब्दोनी एम बे वर्णानुक्रमिकसूचिओ छे. केटलाक विरल शब्दार्थोमां आ कोश चावीरूप बन्यो छे.
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