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________________ हरिख्या. हरिवि. [00] शब्दकोशमां २०० उपरांत शब्दो छे. उच्चारभेदवाळा शब्दो पेटामां मूक्या छे. केटलाक शब्दोमां स्थाननिर्देश एकथी वधु कर्या छे. (रलदासकृत) हरिश्चन्द्राख्यान, संपा. केशवलाल ह. ध्रुव, प्रका. गुजरात विधासभा, अमदावाद, १९२७. कृति १६४८ (सं. १७०४) मां रचायेली छे. शब्दकोशमां आशरे २७५ शब्दों छे 'दारिद्र्य' 'दिनकर' जेवा घणा जाणीता संस्कृत शब्दो एमां छे. शब्दमूळ दर्शावल छे. ( अज्ञातकर्तृक) हरिविलास : रासलीला, संपा. हरिवल्लभ भायाणी अने अन्य, प्रका. पोते, अमदावाद, १९८८. कृतिनुं रचनावर्ष नथी, पण एनो रचनासमय १४५०थी १५५० (विक्रमनी सोळमी शताब्दी) अनुमानवामां आव्यो छे. संग्रहमां बीजी कृतिओ पण छे, परंतु शब्दार्थ हरिविलासना ज आपवामां आव्या छे. एमां ९० जेटला शब्दी छे. थोडा शब्दमां व्युत्पत्ति आपी छे. कृतिनो अनुवाद आपवामां आव्यो छे तेमांथी केटलाक शब्दार्थनी चावी मळे छे. शब्दकोश माटे उपयोगमां लेवायेला ग्रंथोनी समयानुक्रमणी आम तो, केटलाक ग्रंथो समयना लांबा गाळाने आवरे छे, छतां भाषाना विकासइतिहासनो अभ्यास करनारने आ समयानुक्रमणीमांथी केटलोक आधार अवश्य सांपडी रहेशे. ग्रंथ के कृति प्राचीन गूर्जर काव्यसंचय ऐतिहासिक जैन काव्यसंग्रह तेरमा-चौदमा शतकनां त्रण प्राचीन- गुजराती काव्यो वसंतविलास (फागु) समय १२मीथी १४मी सदी १२ मी पूर्वार्धथी १४ मी पूर्वार्ध १३मी पूर्वार्धथी १४ मी पूर्वार्ध १२५०थी १३५० दरम्यान १२८५ आसपासथी १६८२ १३५३ १३५४थी १४२९ १३५५ १४००थी १४७५ आसपास १५मी सदी Jain Education International 2010_03 प्राचीन फागुसंग्रह स्थूलिभद्र फागु गुर्जर रासावली षडावश्यक बालावबोध पंदरमां शतकनां चार फागुकाव्यो • नरसिंहनी काव्यकृतिओ, नस्सैं महेतानां पद, नरसिंह महेतानां पद For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016071
Book TitleMadhyakalin Gujarati Shabdakosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayant Kothari
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year1995
Total Pages716
LanguageGujarati
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size12 MB
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