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________________ थोडी शब्दार्थचर्चा ६१८ मध्यकालीन गुजराती शब्दकोश भारे वसवसो हतो." ('खटक' 'वसवसो' ए अर्थ माटे जुओ हवे पछी क्रमांक १७क अने २१) (५क) कादं(च). तथा कादं (शा). (१५मी सदी)मां - इतर कन्यानी पिरि जु मेहेलीइ कुल-काणि. ध्रुवे शब्दकोशमां 'प्रतिष्ठा' अने टिप्पणमां 'कुळनी ख्याति, प्रतिष्ठा' एम अर्थ आप्यो छे अने हिंदी 'कुलकानी' शब्दनो हवालो आप्यो छे. शास्त्रीए 'कुलनी मर्यादा' अर्थ आप्यो छे, जे संदर्भमां बराबर वधारे बंध बेसे छे : "अन्य कन्याओनी पेठे जे कुलमर्यादाने छोडे छे.". (६) वीसरा. (१४५० के पछी)मां - .. हम तुम्ह बार वरसकी कांणि. (२९) राजमती वीसलदेवने टोणो मारे छे के तारा देशमा मीठाना खडको छे, पण ओरिस्साना धणीने त्यां तो हीरानी खाणो छे, त्यारे वीसलदेव ओरिस्साना राजदरबारमां जवान मनथी नक्की करी ले छे अने आ उक्ति बोले छे. 'कांणि' शब्द आ कृतिमां आ उपरांत बीजां बे स्थाने वपरायो छे, ते बधां स्थानोने अनुलक्षीने संपादक एनो अर्थ 'agreement, convention' (समजूती, रूढि) एवो आपे छे. प्रस्तुत स्थाने ए अनुवाद आम करे छे - 'You and I (must undertake) an agreement (to remain separate) for twelve years.' (तारे अने मारे बार वरस सुधी जुदां रहेवानी समजूती करवी जोईए.) संपादक स्वीकारे छे के 'कांणि'नो अर्थ कोयडारूप छे. पूर्वे माताप्रसाद गुप्ताए आपेला 'सोगंद', 'प्रतिज्ञा' ए अर्थ माटे कोई प्रमाण न जडवाथी राजस्थानी शब्दकोशे आपेला 'behavioural convention' मांथी 'behavioural constraint, convention' एवो अर्थ विकस्यो होय एq ए अनुमान करे छे. संपादक अहीं 'behavioural constraint, convention' एवा शब्द वापरे छे ते परथी समजाय छे के एमने 'व्रत, नियम, लोकाचार'नो अर्थ अभिप्रेत छे, जे 'agreement' शब्द व्यक्त न ज करी शके अने 'convention' पण एने माटे पूरतो शब्द न गणाय. राजस्थानी शब्दकोशे 'कांणि'ना आपेला अर्थ (जे आ पूर्वे आपणे नोंध्या छे)मांथी कयो अर्थ 'behavioural convention' द्वारा संपादकने अभिप्रेत हशे ते समजातुं नथी. कोशमां 'लोकलज्जा, मर्यादा' अर्थ छे, पण एमां 'अदब' 'आमन्या'नी अर्थछाया छे, 'व्रत, नियम, लोकाचार'ना अर्थने अवकाश आपे एवं कशुं नथी. समग्र परंपरामां पण अन्यत्र क्यांय आ शब्द आ अर्थमां वपरायेलो देखातो नथी. आ कृतिमांनां बीजां ____Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016071
Book TitleMadhyakalin Gujarati Shabdakosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayant Kothari
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year1995
Total Pages716
LanguageGujarati
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size12 MB
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