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________________ मध्यकालीन गुजराती शब्दकोश ६०७ . थोडी शब्दार्थचर्चा (ऋणमुक्त थाय - ऋणानुबंधनथी मुक्त थाय - त्यां सुधी सौ एकठां रहे छे.) भगवद्गोमंडले 'बदलो वाळी आपनारुं' एवो अर्थ नोंध्यो छे ते पण बेसे अने आ प्रकारना अर्थने टेको छे ते हवे पछी आपणे जोईशं. __ अहीं 'ण'कारवाळो 'ओशिंगण' शब्द छेते ध्यान खेंचे छे. मध्यकाळना 'ल'कारवाळा प्रयोगथी ए एकमात्र अपवाद छे अने तेथी भ्रष्ट पाठ होवानो वहेम जाय छे. ए आजनो 'ओशिंगण' शब्द तो नथी ज, केमके आजना अर्थमां 'ओशिंगण थाय त्यां सुधी सौ एकठां रहे छे' एवी रचना न थई शके, 'ओशिंगण होय त्यां सुधी सौ एकठां रहे छे' एवो प्रयोग थई शके. बदलो वाळदो 'ऋणमुक्त थq एटले 'ऋण चूकववू, बदलो वाळवो'. 'उसींकल करवु' एटले तो, सामान्य रीते, 'ऋणमुक्त करतुं' ज; पण 'उसींकल थर्बु' एटले 'बदलो वाळवो' एवा अर्थने अवकाश रहे छे. आ पहेला आपणे जे उदाहरणो जोयां तेमांथी क्रमांक (७), (९) अने (१५)मा 'उसींकल' 'करवानी विनंती छे त्यां ऋण के भारमाथी मुक्त करवानो, ऋण के भार उतारवानो अर्थ ज लई शकाय छे ए जोई शकाय छे. बाकीनां उदाहरणोमां 'उसीकल' 'थवा नी वात छे त्यां बधे ज 'बदलो वाळवो' एवा अर्थन अवकाश रहे छे. जेमके (१)मां एह उपगार उसीकल केम (थवाय) एटले "एना उपकारना भारमांथी मुक्त केम थवाय" तेम 'एना उपकारनो बदलो केम वाळी शकाय?" एवो अर्थ लीधो ज छे ए आपणे आगळ जोयुं छे. आ पूर्वे आपणे नोंधेला उदाहरणोमां 'ना उसींकल थर्बु' एवी रचनाओनो समावेश थयो छे, पण ते उपरांत '-ने उसींकल थर्बु' एवी रचना पण मळे छे अने त्यां 'बदलो वाळवो' ए अर्थ वधु स्वाभाविक लागे छे. अपकारना पण उसींकल थवानी वात आवे छे त्यां तो ए अर्थ लेवो अनिवार्य लागे छे. आ अर्थ 'उसींकल करवुना प्रयोगमा प्रवेश्यानुं पण एक उदाहरण मळे छे ए बतावे छे के मध्यकाळमां 'उसींकल' शब्द घणा संदर्भोमां वपरातां एनो 'मुक्त थवा'नो चोक्कस अर्थ न रहेतां 'बदलो वाळवो' जेवा व्यापक अर्थाने स्थान मळ्युं छे. आ अर्थनां केटलांक उदाहरणो हवे जोईए: (१८) उपबा.मां - समकितना देणहार गुरुनई घणे भवे बिमणीतिमणी जां लगइ अनंतगुणी इम सघले गुणाकारे मेली उपगारना सहस्रनी कोडे उसंकल थाई न सकइं (२६९) (सम्यक्त्वना दातार गुरुने घणां जन्मोमां बमणा-तमणाथी मांडीने अनंतगणा सुधीना सर्व प्रकारना गुणाकार करीने हजारो उपकारथी पण बदलो न वाळी शकाय.) Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016071
Book TitleMadhyakalin Gujarati Shabdakosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayant Kothari
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year1995
Total Pages716
LanguageGujarati
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size12 MB
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