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________________ मध्यकालीन गुजराती शब्दकोश. ५७९ थोडी शब्दार्थचर्चा १८. अणिख देहलकृत अभिऊ.मां सांढणीना वर्णनमां नीचे प्रमाणे उक्ति आवे छे : . __ अणिख तणखा कानि. संपादके अणिखनो अर्थ 'दोडती वखते आंख बंध करी होय तेवी' एम आपे छे अने एनी व्युत्पत्ति सं. 'अनीक्ष्'माथी बतावे छे. अर्थ अने व्युत्पत्ति बन्ने शंकास्पद लागे छे. अहीं आंखनुं नहीं पण केवळ काननुं वर्णन होय एवं लागे छे. 'कानमां अणिख तणखा छे' एवो अन्वय जणाय छे. अरबीमां 'अनीक' शब्द छ जेनो अर्थ छे 'सुंदर, अद्भुत'; राजस्थानीमां 'अणिख' शब्द छे जेनो अर्थ छे 'भयानक, तेजस्वी'. अहीं आवो कोईक अर्थ होवानी संभावना छे: काने सुंदर/तेजस्वी तणखा छे. 'तणखा' एटले शुं ए पण कोयडो छे. संपादके ए शब्दने अग्निना तणखाना अर्थमां लीधो छ, पण ए भाग्ये ज बंध बेसे. काननी ए कोईक लाक्षणिकता होवानो संभव छे. छेवटे आ वर्णन अस्पष्ट ज रहे छे एम कहेवू पडे. १९. अणिअ/अणीय आखइ लावल.-अंतर्गत 'स्थूलिभद्र एकवीसो'मां नीचे मुजब पंक्ति आवे छे : मझ अणीय आंखइ प्रीय पाखइ, विरहि दाझइ देहडउ. संपादके 'अणीय आंखइ'नो अर्थ 'अणियाळी आंखे' एवो आप्यो छे, पण ए 'अणीआलि आखइ' एवा पाठांतरथी दोरवाया लागे छे. विरहिणी कोशानी आ उक्ति छे अने विरहभावनी अभिव्यक्तिमा अणियाळी आंखनुं कई प्रयोजन नथी. खरेखर तो 'आंखइ'ने स्थाने 'आखइ' एटलुं ज पाठांतर लेवा जे, हतुं. 'अणीय आखइ' एटले आखी अणीए, अखंडपणे, संपूर्णपणे. उपर्युक्त पंक्तिनो अर्थ आवो कईक थाय : "प्रियतम विना मारो देह संपूर्णपणे/अखंडपणे विरहथी दाझे छे." .. ए नोंधपात्र छे के आ ज ग्रंथमां एक बीजी कृति 'चोवीस जिन स्तवन'मां 'अणिय आखइ' एवो शब्दप्रयोग मळे छे अने संपादके एनो अर्थ 'आखी अणीए, अंणीशुद्ध' एवो आप्यो छे. 'अखंडपणे, पूरेपूरा' एवो अर्थ बराबर बेसे छे : पुरुष अणिअ आखइ, सौख्य ते चंग चाखइ, (पुरुष ए सुंदर सुखो अखंडपणे चाखे छे.) २०. अणीसर विक्ररा.मां युद्धवर्णनमां आ प्रमाणे पंक्ति मळे छे : फोडी अणीसर जरह जरद सवि तन तीर जडंती. संपादके 'अणीसर'नो अर्थ 'अणीदार' आप्यो छे. ए रीते ए जरह, जरद - जे बख्तरनां नामो छे - तेनुं विशेषण बने. पण बख्तरने अणीदार केवी रीते कही शकाय Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016071
Book TitleMadhyakalin Gujarati Shabdakosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayant Kothari
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year1995
Total Pages716
LanguageGujarati
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size12 MB
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