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________________ अर्थनी अटकळ करी छे एम समजवान छे. पांडर प्राचीसं. ?, ["फिक्कु अहीं मूळ ग्रंथमां शब्दार्थने स्थाने केवळ प्रश्नचिह्न छे. संकलित कोशना संपादकने 'फिक्कुं' ए अर्थनी शक्यता जणाई छे एम समजवान छे. पिहिति आरारा. ?, [रांधेली दाळ, लचको] अहीं पण मूळ ग्रंथना संपादके कोई शब्दार्थ न आपतां प्रश्नचिह्न मूक्युं छे, पण संकलित कोशना संपादकने 'रांधेली दाळ, लचको' ए निश्चित अर्थ जणायो छे एम समजवानुं छे. उक्तिर.ना शब्दार्थ आ संकलित कोशमां रजू करवामां जरा जुदी रीत अपनाववानी थई छ ए तरफ खास ध्यान दोर, जोईए. उक्तिर.मां संस्कृत पर्यायो आपवामां आव्या छे, एनो अहीं गुजराती अनुवाद करी लेवानु राख्युं छे, पण एमां मूंझवणभरी परिस्थितिओ सामे आवी छे. केटलाक संस्कृत शब्द एकथी वधारे अर्थ धरावता होय, केटलाक शब्द संस्कृत शब्दकोशोमां मळे नहीं अने प्राकृत के देश्य शब्दने संस्कृत रूप अपायु होवानो संभव लागे, केटलीक वार मूळ शब्दनु ज कृत्रिम संस्कृतीकरण करी नाखवामां आव्यु होय. आथी उक्तिर.ने कयो अर्थ अभिप्रेत हशे ते नक्की करवानुं मुश्केल बनी जाय. उक्तिर.मां जूज अपवादो बाद करतां शब्द वाक्यमां वपरायेलो नथी. तेथी ए चावी तो अहीं आपणा हाथमां नथी. उक्तिर.ना जे शब्दो अन्य ग्रंथोमां पण वपरायेला मळे छे त्यां एना अर्थ पण आपोआप मळी जाय छे. ते उपरांत, उक्तिर.ना घणा शब्दो अमुकअमुक जूथमां नोंधायेला छे, जेमके खाद्यपदार्थने लगता शब्दो, जीवजंतुओने लगता शब्दो, घरवखरीने लगता शब्दो, विविध प्रकारनी स्थितिओने लगता शब्दो वगेरे. आमांथी केटलीक वार सूचन मळे छे ने अर्थनिर्णय थई शके छे. पण बधी वखते एम थई शकतुं नथी. अने जूथमां न गोठवाता होय, छूटा रही जता होय एवा शब्दो पण घणा होय छे ज. आथी उक्तिर.ना शब्दार्थ रजू करवामां आवी पद्धति अपनाववी पड़ी (१) ज्यां अपायेलो संस्कृत शब्द परिचित ज होय त्यां ए ने एम ज राखी देवो. जेमके, अउध उक्तिर. अयोध्या (२) ज्यां संस्कृत शब्दनो एक अर्थ निश्चित थई 'शकतो होय त्यां ए मूकवो अने गुजराती शब्दनी व्युत्पत्तिनी के एवी कोई दृष्टिए आवश्यक होय तो संस्कृत शब्द कौंसमां बताववो. जेमके, अउधारि उक्तिर. अवधार, ध्यानमा लेवू Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016071
Book TitleMadhyakalin Gujarati Shabdakosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayant Kothari
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year1995
Total Pages716
LanguageGujarati
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size12 MB
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