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________________ १८९६ शब्दरत्नमहोदधिः। [विम्बट-विरट विम्बट पुं. (विम्बमटति, अट्+अच् शक०) सरसव, | वियोगिनी श्री. (वियोगिन्+नियां डीप) As4us uland, રાઈનો છોડ. તે નામે એક છન્દ, પોતાના પતિ કે પ્રેમથી विम्बा स्री. (विम्बमस्त्यस्याः, अच्+टाप्) मे तनो वियोगवाजी स्त्री, वि२लिसी- गुरुनिःश्वसितैः दो. कविमनीषी निरणेषीदथ तां वियोगिनीतिविम्बागत त्रि. (विम्ब+आ+गम्+क्त) प्रतिबिंब, भामिनी० ४।३५। __ प्रतिबिंब पडेल.. वियोजित त्रि. (वि+युज्+णिच्+क्त) छूटे 3j, विम्बी स्री. (विम्ब+स्त्रियां जाति. गौरा. वा ङीष्) हुई पारj, विहित. ___आयडी, 31531, घीयानो aal. वियोनि पुं., वियोनी स्त्री. (विविधा विरुद्धा वा योनिः, वियच्चारिणी स्त्री. (वियति आकाशे चरति, चर्+ योनी) विविध सन्म, पशुमोनो गमाशय, हीन, ___णिनि+ङीप्) समजणी-भाही. वियच्चारिन् त्रि. (वियति चरति, चर्+णिनि) Avi | विरक्त त्रि. (वि+र+क्त) वि00, Anuj नलि इनार. (पुं.) समजो ५६. ते, सासरित. रहित, धणे. वियत् न. (वि+यम्-क्विप् मलोपे तुक्) अंतरिक्ष, विरक्ता स्री. (विरक्त+नियां टाप्) वि30. स्त्री, श- "हंसपक्तिरपि नाथ ! संप्रति प्रस्थिता અભાગણી સ્ત્રી, રાગ વગરની સ્ત્રી. वियति मानसं प्रति" -घटकर्परः । पश्योदग्रप्लुतत्वाद् विरक्ति स्त्री. (वि+र+क्तिन्) वैराग्य, तप वियति बहुतरं स्तोकमा प्रयाति-शकुं० १०।। विरङ्ग पुं. (वि+र+घञ्) पतनी सीन 3 ३५२ वियति (पुं.) ५६l. એક જાતની માટી જે ઔષધિ ગણાય છે. वियद्गङ्गा नी. (वियत्स्था गङ्गा) Musteriou. | विरचत्, विरचयत् त्रि. (वि+रच्+शतृ/वि+रच्+स्वार्थे वियद्गति त्रि. (वियति गतिर्यस्य) utuvi unauj. णिच्+शत) रयतुं, 8वातुं, २तुं. वियति ली. (वियतो भूतिरिव) अंध.१२. विरचित त्रि. (वि+र+कर्मणि क्त) स्येद, धा२९. वियन्मणि पुं. (वियतो मणिरिव प्रकाशकत्वात् કરેલ. બનાવેલ, સાહિત્યનું સર્જન કરેલ, પરિષ્કૃત ___ भूषकत्वात्) सूर्य, मार्नु, उ. . वियम, वियाम पुं. (वि+यम्+भावे घञ्/वि+यम्+घञ् वियम्+य | विरजस्, विरजस्क त्रि. (विगतं रजो यस्य यस्माद् ] ___ वा वृद्धिः ) संयम, म. वा/विगतं रजो यस्य यस्माद् वा कप्) २०४ , वियात त्रि. (वि+या+क्त, याति अच् वा) धृष्ट, असल्य, Grd. २४. २डित, ५५२डित, निष्प (स्त्री. विगतं वियातता स्त्री., वियातत्व न. (वियातस्य भावः तल् रजो यस्याः) २शन २ति-नहि अमाती स्त्री, टाप-त्व) घटता, असभ्यता, PRI, 6rls. જેનો અટકાવ ગયો હોય તેવી, ઋતુધર્મ રહિત સ્ત્રી. वियुक्त, वियुत त्रि. (वि+युज्+क्त/वि+यु+क्त) विरजस्का स्त्री. (विगतं रजो यस्याः कप्+टाप्) २०d. वियोs0, वर, मुटु थर छु ५८. દર્શન રહિત-નહિ અભડાતી સ્ત્રી, જેનો અટકાવ वियोग पुं. (वि+युज्+घञ्) विछिन, विच्छेह ગયો હોય તેવી સ્ત્રી, ઋતુધર્મ રહિત સ્ત્રી. अयमेकपदे तया वियोगः सहसा चोपनतः सुदुस्सहो विरजस्तमस् त्रि. (विगते रजस्तमसी एषान्ते) मे-विक्रम० ४।३। -त्वयोपस्थितवियोगस्य तपोवन સત્ત્વગુણમય, રજોગુણ-તમોગુણ રહિત. स्यापि समवस्था द्दश्यते -शाकुं० ४। -संधत्ते भृशमरतिं विरजा स्री. (विशेषेण रज्यतेऽत्र, रज्ज्+घबर्थ क+टाप्) हि सद्वियोगः-किरा० ५।४१। छूटा थj, ५.3j. दूवा-धीर, राधानी में सजी, तन नही, (पुं. वीनाम् योगः) ५क्षीन संबन्ध એક જાતનું ઝાડ, યયાતિ રાજાની માતા. वियोगभाज, वियोगिन् त्रि. (वियोगं भजते इति, | विरञ्च, विरञ्चि पुं. (वि+रच्+अच् मुम् च/वि+रच् भज+ण्वि/वियोग+अस्त्यर्थे इन) वियोगी, वि२४ी | इन् वा मुम् च) नष्ट ह छू ५३, ५क्षामोन संखiuarj. (पुं. वि+युज- विरट पुं. (वि+रट्+अच्) ते नामनो .. २८%, घिनुण) Asali url. | मो, गुरु. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016069
Book TitleShabdaratnamahodadhi Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuktivijay, Ambalal P Shah
PublisherVijaynitisurishwarji Jain Pustakalaya Trust Ahmedabad
Publication Year2005
Total Pages562
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size10 MB
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