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________________ ब्राह्मणकाम्या ब्राह्मय शब्दरत्नमहोदधिः। १५९९ ब्राह्मणकाम्या स्त्री. (ब्राह्मणस्य काम्या) ब्रानी. 291, | ब्राह्मणसम पुं. (ब्राह्मणस्य समः) प्राBयाथी भ्रष्ट બ્રાહ્મણનો વિષય. ९, तिथी. लाल तुल्य. ब्राह्मणकीय त्रि. (ब्राह्मणकस्य संबन्धि, ब्राह्मणक+छ) | ब्राह्मणाच्छंसिन् पुं. (ब्राह्मणे मन्त्रेतरवेदभागे विहितानि જ્યાં બ્રાહ્મણો હથિયાર ઉપર જીવતા હોય તે દેશ __शास्त्राणि उपचारात् ब्राह्मणानि शंसति द्वितीयार्थे संबंधा. पञ्चम्युपसंख्यानम् अलुक् स., शंस्+ इनि) ते. नामे ब्राह्मणचक्षुस् न. (ब्राह्मणस्य सर्वार्थप्रकाशत्वात् चक्षुरिव) યજ્ઞીય ઋત્વિજ. બ્રાહ્મણનું નેત્ર, બ્રાહ્મણના નેત્રરૂપ વેદ કે ધર્મશાસ્ત્ર, ब्राह्मणातिक्रम (पु.) ग्राम प्रति. ति२२४१२सूय वह-स्मृति. व्यव.२, ब्रानो मना६२- ब्राह्मणातिक्रमत्यागो ब्राह्मणचाण्डाल पुं. (ब्राह्मणश्चाण्डाल इव) शस्त्रमा भवतामेव भूतये-महावीर० २८०। ब्राह्मणादि . (ब्राह्मण: आदिर्यस्य) पानीय व्या४२७ વર્ણવેલાં નિષિદ્ધ કર્મ કરનારો અધમ બ્રાહ્મણ. प्रसिद्ध में शहए. स च-ब्राह्मण, वाडव, माणव, ब्राह्मणजातीय पुं. (ब्राह्मणजाति+स्वार्थे छ) लाए, चोर, धूर्त, आराधय, विराधय, अपराधय, उपराधय, બ્રાહ્મણની જાતનો. एकभाव, द्विभाव, त्रिभाव, अन्यभाव, अक्षेत्रज्ञ, ब्राह्मणजीविका स्त्री. (ब्राह्मणस्य जीविका) पानी संवादिन्, संवेशिन्, संभाषित्, बहुभाषिन्, शीर्षघातिन्, वृत्ति-४न-अध्यापन-प्रति वगैरे वृत्ति-साधन. विघातिन, समस्थ, विषमस्थ. परमस्थ. मध्यस्थ, ब्राह्मणता स्त्री., ब्राह्मणत्व न. (ब्राह्मणस्य भावः अनीश्वर, कुशल, चपल, निपुण, पिशुत, कुतूहल, तल्+टाप्-त्व) प्रा . क्षेत्रज्ञ, मिश्र, बालिश, अलस, दुःपुरुष, कापुरुष, ब्राह्मणत्रा स्त्री. (ब्राह्मणाय देयं त्राच्+टाप्) ब्राने. राजन्, गणपति, अधिपति, गडुल, दायद, विशस्ति, આપવાયોગ્ય, બ્રાહ્મણને સમર્પણ. विषम, विपात, निपात-आकृतिगणः । ब्राह्मणप्रिय पुं. (ब्राह्मणस्य प्रियः) वि. (त्रि.) LAIL | ब्राह्मणायन पुं. (ब्राह्मणापत्यं नडा. फक्) शुद्धवंशमा डित , नाराने वायु.. ઉત્પન્ન થયેલ બ્રાહ્મણ. ब्राह्मणब्रुव पुं. (ब्राह्मणं विप्रजातिमात्रतया आत्मानं ब्राह्मणिक पुं. (ब्राह्मणस्य मन्त्रेतरवेदभागस्य आख्यानो ब्रवीति, ब्रू+क वा. न वच्यादशः) 06.10 थी. ग्रन्थः ठक्) मन्त२ वह विभागना व्याण्यान३५ प्रष्ट मात्र नमन !- बहवो ब्राह्मणब्रुवा से अन्य. निवसन्ति-दश०, मनु० ७८५ ब्राह्मणी स्त्री. (ब्राह्मणस्य पत्नी ङीष) ALLनीस्त्री.. ब्राह्ममुहूर्त (पुं.) हिवसनी. सी. सवारनी भा- रात्रेश्च બ્રાહ્મણ જાતિની સ્ત્રી, વનસ્પતિ પૂક્કા-કપૂરીમધુરી, पश्चिमे यामे मुहूर्ते ब्राह्म उच्यते । -ब्राह्म मुहूर्ते બ્રાહ્મી વનસ્પતિ, ભારંગ વનસ્પતિ, બુદ્ધિ, નાની કીડી. किल तस्य देवी कुमारकल्पं सुषुवे कुमारम्-रघु० | ब्राह्मणीगामिन् (पुं.) Uए स्त्रीनो प्रेमी. ५।३६। ब्राह्मण्ड न. (ब्रह्मण अण्डम्) 15t२ भुवनऔष. ब्राह्मणयज्ञ पुं. (ब्राह्मणमात्रकर्तृको यज्ञः) भात्र प्रा. ब्राह्मण्य न. (ब्राह्मणानां समूहः भावो वा ष्यञ्) curl.न. કરવા લાયક સૌત્રામણિ યજ્ઞ.. समूड, ध, नाम, प्रा५ -सत्यं शपे ब्राह्मण्येन-मृच्छ० ५. । (पुं.) शनि. A... ब्राह्मणयष्टि, ब्राह्मणयष्टिका (स्री. ब्राह्मणप्रिया यष्टिः/ ब्राह्मी स्त्री. (ब्रह्मण इयम्, ब्रह्मन्+अण् टिलोपः+ङीप्) ब्राह्मणस्य यष्टिरिव, स्वार्थे क+टाप्) वनस्पति સરસ્વતી, વાણી, સોમલતા, એક જાતનું શાક, તે मा०.. (स्त्री. ब्राह्मणस्य यष्टिः) बानी 40530. નામે એક માતૃકા, તે નામે દુગદિવી, વારાહી કન્દ, ब्राह्मणलक्षण न. (ब्राह्मणस्य लक्षणम्) योग-त५-६भ- | उसमाथि वनस्पति लिए. हान-सत्य-पवित्रता-या-२४ाशान-वि.न- | बाह्मीकन्द पुं. (ब्राह्मयाः इव कन्दोऽस्य) वाराही 3६, આસ્તિક્ય-વિદ્યા એ રૂપ બ્રાહ્મણનું ચિહ્ન. भारंग वनस्पति. ब्राह्मणशस्त्र न. (ब्राह्मणस्य शस्त्रमिव तत्कार्यकारित्वात्) ब्राह्मय त्रि. (ब्रह्मण इदं ष्यञ्) ब्रह्म संधी, नहार्नु. અભિચારાદિ મંત્રોચ્ચાર રૂપ બ્રાહ્મણ વાક્ય. | (न. ब्रह्मन्+ष्यञ्) विस्मय, श्य, दृश्य-हेमावा. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016068
Book TitleShabdaratnamahodadhi Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuktivijay, Ambalal P Shah
PublisherVijaynitisurishwarji Jain Pustakalaya Trust Ahmedabad
Publication Year2005
Total Pages838
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size23 MB
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