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________________ १४७२ शब्दरत्नमहोदधिः। [प्रजाती-प्रज्ञादि प्रजाती स्त्री. (प्रजात+स्त्रियां जाति० ङीष्) 2. तनी | प्रजावती स्री. (प्रजाऽस्त्यस्याः मतुप मस्य वः ङीप्) घो... છોકરાંવાળી હરકોઈ સ્ત્રી, ભાઈની સ્ત્રી-ભાભી - प्रजाद त्रि. (प्रजां ददाति, दा+क) संतति. 04नार, प्रजावती दोहदशंसिनी ते तपोवनेषु स्पृहयालुरेवછોકરાં દેનાર. रघु० १४।४५। प्रजादा स्त्री. प्रजां तद्धेतुधर्मं ददाति सेवनात्, प्रजा+दा+ प्रजावृद्धि स्त्री. (प्रजायाः वृद्धिः) संताननी वधारी, क+टाप्) गर्भदात्री-®या-पोतो नामनी वनस्पति. रैयतन वृद्धि, संततिनो 4.धा. प्रजादान न. (प्रजायाः दानम आदानम वा) प्रश्न | प्रजासनि त्रि. (प्रजां सनोति ददाति, सन+इन) संतति. हान, रैयतर्नु, , प्रश्न . (न. प्रजातो जन्मतो આપનાર, છોકરાં દેનાર, दानं शुद्धिरस्य) ३', यांही.. प्रजाहित त्रि. (प्रजायै हितम्) संतानन जितनु, रैयतन। प्रजाधर्म पुं. (प्रजायाः धर्मः) श्यतन छोरासीनी यहान. (न. प्रजायां उत्पत्तौ हितम्) ५४८, ४. ३२४. प्रजिन पुं. (प्र+ज्या-बा. नक्+सम्प्र.) वायु. प्रजानत् त्रि. (प्र+ज्ञा+शत) aaj, विद्वान, समहुँ, प्रज्ञ त्रि. (प्रजानाति, प्र+ज्ञा+क) बुद्धिमान, ह्य, विद्वान uj, यतुर. __ -आकारसदृशप्रज्ञः प्रज्ञया सदृशागमः-रघु० १।१५ । प्रजानन्ती स्त्री. (प्र+ज्ञा+शत+ङीष) शास्त्री, यतर ___ - नान्तःप्रज्ञ न बहिःप्रज्ञः नोभयतः प्रज्ञं न प्रज्ञानघनं स्त्री. -तं प्रत्युवाच कैकेयी प्रियवद्घोरमप्रियम् । न प्रज्ञं नाप्रज्ञम्-माण्डुक्योपनिषदि ७। अजानन्तं प्रजानन्ती राज्यलो भेन मोहिता प्रज्ञप्ति स्त्री. (प्र+ज्ञा+णिच्+ भावे क्तिन्) संत, बुद्धि, रामा० २।७२।१४। प्रतिश, सिद्धांत, ते. नामानी. मे. हेवी - प्रज्ञप्तिरूपो प्रजानाथ, प्रजाप, प्रजापति, प्रजापाल, प्रजावित, हि हरिः सा च सानन्दलक्षणा-सर्वदर्शनसंग्रहे । प्रजेश, प्रजेश्वर पुं. (प्रजायाः नाथः/प्रजां पाति, प्रज्ञप्ती स्त्री. (प्रज्ञप्ति+स्त्रियां वा ङीष्) मे छैन. विद्यादेवी.. ___ - ॐरोहिणी प्रज्ञप्ती वज्रशृङ्खला- बृहच्छान्तिः । पा+क/ प्रजानां पतिः/प्रजां पालयति, पालि+अच/ प्रज्ञा स्त्री. (प्र+ज्ञा+क+टाप्) बुद्धि, 56. -'नाभिनन्दति प्रजां अवति, अव+तृच्/ प्रजायाः ईशः। न द्वेष्टि तस्य प्रज्ञा प्रतिष्ठिता ।' - शस्त्रं निहन्ति प्रजानामीश्वरः) नृ५, २५%, प्र.न. २१५५ १२नार पुरुषस्य शरीरमेकं प्रज्ञाकुलं च विभवं च यशश्च तमभ्यनन्दत् प्रथमं प्रबोधितः प्रजेश्वरः शासनहारिणा हन्ति-सुभा० । हरेः - रघु० ३।६८। प्रज्ञाकाय पुं. (प्रज्ञा काय इव यस्य) मधोष. प्रजापति पुं. (प्रजानां पतिः) ६u -अस्याः सर्गविधौ प्रज्ञाचक्षुस् त्रि. (प्रज्ञैव चक्षुरिवास्य) धृतराष्ट्र २८%0 - प्रजापतिरभूच्चन्द्रो नु कान्तिप्रदः-विक्रम० १।९। २०%81, श्रुत्वा तु मम वाक्यानि बुद्धियुक्तानि तत्त्वतः । નૃપ, દક્ષ વગેરે પ્રજાપતિ, જમાઈ, સૂર્ય, આંકડાનું ततो ज्ञास्यसि तं सौते प्रज्ञाचक्षुषमित्युतઝાડ, અગ્નિ, ચિત્રાનું ઝાડ, દેવોનો સુથાર, સાઠ महा० १।१।१४७। (त्रि. प्रज्ञैव चक्षुरिवास्य) संघ, સંવત્સર પૈકી તે નામનો એક સંવત્સર, કીડો, એક शबुद्धिशाली... प्रज्ञात त्रि. (प्र+ज्ञा+कर्मणि क्त) Mgla, guये, प्रजापतिहृदय न. (प्रजापतेः हृदयम्) ते. नामर्नु, साम विश्रुत, स्पष्ट, साई, प्रध्यात, तुं. गायन. प्रज्ञादि . (प्रज्ञा आदिर्यस्य) पाणिनीय व्या४२४५ प्रसिद्ध प्रजापाल्य न. (प्रजापालस्य भावः कर्म वा ष्यञ्) में श६ समूड. स च-प्रज्ञ, वणिज्, उशिज, उष्णिज्, પ્રજાનું સંરક્ષણ કરવું વગેરે રાજાનું કામ, રાજાપણું. प्रत्यक्ष, विद्वस्, विदन्, षोडन्, विद्या, मनस्, प्रजायिनी स्त्री. (प्र+जन्+णिनि) घi छो.४२i.नी. भा, चिकीर्षत्, चोर, शत्रु, योध, चक्षुस्, वसु, एनस्, વસ્તારી સ્ત્રી, મોટા કુટુમ્બવાળી સ્ત્રી. मरुत, कञ्च, सत्वत, दशार्ह, वयस, व्याकत, असर, प्रजावत् त्रि. (प्रजाऽस्त्यस्य मतुप मस्य वः) छोziuml, रक्षस्, पिशाच, अशनि, कार्षापण, देवता, बन्धु સંતાનવાળો, પ્રજામંડળવાળો રાજા વગેરે. इत्यादि । यशस. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016068
Book TitleShabdaratnamahodadhi Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuktivijay, Ambalal P Shah
PublisherVijaynitisurishwarji Jain Pustakalaya Trust Ahmedabad
Publication Year2005
Total Pages838
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size23 MB
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