SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 30
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ चरगृह-चराचर] शब्दरत्नमहोदधिः। ८३७ चरगृह, चरगेह न. (चररूपं गृहम्) भेष, 8, तुला, | चरणोदक न. (चरणप्रक्षालनोद्भूतमुदकम्) चरणामृत અને મકર રાશી. श६ मी.. चरट पुं. (चर्+अटच्) 11५क्षी, 4जी घोउ.. | चरणोपग त्रि. (चरण+उप+गम्+ड) ५० पासे. ४८२, चरटी स्त्री. (चरट+डीप्) is पक्षिए.. પગ પાસે પામનાર. चरण पुं. (चर्+करणे+ल्युट) ५० -शिरसि चरण | चरणि त्रि. (चर्+अनि) मनुष्य. एषन्यस्यते वारयैनम्-वेणी० ३।३८, - जात्या | चरणिल त्रि. (चरणेन निर्वृत्तादि) ५थी ७३. वगैरे. काममवध्योऽसि चरणं त्विदमुद्धृतम्-वेणी ३।३९। | चरण्टि स्त्री. (चिरण्टी पृषो०) हुवान सौभाग्यवती वन अमु मा ३५ , uruulu, Aust | स्त्री, युवती, पिताना धे२ युवान. स्त्री. योथो भाग, ७२05 योथो म, मे. हेश, सूयहिनi | चरण्य त्रि. (चरण इव शाखा० यत्) य२५ तुल्य. (चरण B२९. (न. चर्+भावे ल्युट) आय२५ -अप्सरसां ___गतौ कण्ड्वा० सक. पर. सेट चरण्यति) ३२, ४j. गन्धर्वाणां मृगाणां चरणे चरन् -ऋग्वेदे १०।१३६।५। चरण्यु त्रि. (चरण्य+अण्) साय२५. शाव, यारित्र्यवान • अनुष्ठान- २ त. चरत् त्रि. (चर्+शत) यातुं, ४तुं, मातुं. चरणगत त्रि. (चरणं चरणे वा गतः) २२. आवेत. चरथ त्रि. (चर्+गतो+अथ) म, यम, अस्थिर, पणे ५३, ५ो. वागेल, नमेल. गतिमान. चरणग्रन्थि पुं. (चरणस्य ग्रन्थिः) ५गनी 2ी. चरपुष्ट पुं. (चरणे पुष्टः) मध्यस्थ पुरुष. चरणपतन न. (चरणे पतनम्) राम ५७, ५ो. चरभ न. (चर एव भः) भेष, 55, तुबा अने. म.७२ __५७, नभ, साष्टin xuम. ४२ ते. में यार राशिमो. चरणपतित त्रि. (चरणे पतितः) 47. ५३८, ५ो.uगेल. | चरम त्रि. (चरतीति चर्+अमच्) छej, अंतर्नु -पृष्ठ चरणपर्वन् न. (चरणस्य पर्व) ५. चूं.. । तु चरमं तनोः-अमर०, -उत्तिष्ठेत् प्रथमं चास्य चरणमालिका स्त्री. ५गर्नु घरे, ॐ२, टो32 वगैरे. चरमं चैव संविशेत्-मनु० २।९९४ ।) 451, खाचरणयुग न. (चरणयोर्युगम्) २. ५०, edsrid थनार, छ, पश्चिमनु. ५६. चरमक्ष्माभृत् पुं. (चरमश्वासौ क्ष्माभृत्) अस्तायत चरणव्यूह पुं. (चरणानां वेदशाखानां व्यूहोऽत्र) वन. पर्वत. શાખાઓનો જેમાં વિભાગ છે તે ગ્રંથ, ચાર વેદના चरमतीर्थकृत, चरमतीर्थकर, घरमतीर्थकर पुं. हैन विव२॥j. शास्त्र તીર્થકર શ્રી મહાવીરસ્વામી. चरणस त्रि. पी . ४२८. . चरमभवस्थ त्रि. (घरमभवे स्थित्तः) छेदा ममi चरणानमित त्रि. (चरणैरानमितम्, चरणे आनमितो २०, य२. शरीरी. वा) ५ो प्रशने नमावेj, ५णे. ५३१-नमेल चरमलग्न न. छej. १, चरम श०६ मी.. चरणाभरण न. (चरणस्य आभरणम्) ५गर्नु, माम२९५- चरमवर्षारात्र न. योमासानी ॥॥२ समय, योमासानी is२-टोडो वगेरे. . छेस्सो aud. चरणामृत न. (चरणस्य अमृतम्) माया, हेव, गुरु चरमाचल, चरमाद्रि पुं. (चरमञ्चासावचलश्च) अस्तायद વગેરે માન્ય પુરુષોના પગ ધોયેલું પાણી. .. पर्वत -यातोऽस्तमेष घरमाचलचूडचुम्बी-मुरारि० । चरणायुध पुं. (चरणमायुधं यस्य) ५. -आकर्ण्य चरव्य त्रि. (चरवे हितम्) यभाटेर्नु, २२ भाटे Ra5123. सम्प्रति रुतं चरणायुधानाम्-सा० द० चराचर त्रि. (चरश्चलं आचरो व्यवहारचेष्टादिकं तो चरणायुधी स्री. (चरणमायुधस्य स्त्रियां ङीप्) ५७ विद्यतेऽस्मिन्) *गम, तुं, याबतुं, मे. 8tी . चरणारविन्द न. (चरणमेवारविन्दम्) य२५15. બીજે ઠેકાણે લઈ જવાય તેવું, અસ્થિર, ચંચળ, ચેતન चरणार्द्ध न. (चरणस्य अर्द्धम्) उधो ५०, Rels भने ४3. (न. चरश्चाचरश्च अनयोः समाहारः) स्थावर, એક પાદનો અડધો ભાગ, પા ભાગનું અડધું. म३५%ात -चुक्षोभान्योऽन्यमासाद्य यस्मिल्लोका Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016068
Book TitleShabdaratnamahodadhi Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuktivijay, Ambalal P Shah
PublisherVijaynitisurishwarji Jain Pustakalaya Trust Ahmedabad
Publication Year2005
Total Pages838
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size23 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy