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________________ मार्तण्ड राज० राजत० राजतरङ्गिणी वेणी० वेणीसंहारनाटक मार्क०पु०मार्कण्डेय० मार्कण्डेयपूराण - राजनिघण्ट - वेतालपञ्चविंशति मालती० मालतीमाधव - राजवल्लभ - वेदान्ततत्त्वविवेक मालवि० मालविकाग्निमित्र - राजसार वेदान्त० वेदान्तरपरिभाषा मिताक्षरा - रामकृष्णोपदेशसाहसी - वेदान्तसंज्ञा मी० सू० मीमांसासूत्र - रामगीता - वेदान्तसार मुख० मुखपञ्चशती रा० च० रामचरित - वेदान्तसूत्र-शाङ्करभाष्य मुग्ध मुग्धबोधव्याकरण - रामतर्कवागीश - वैजयन्ती मुक्ता० (सिद्धान्त) रामा० रामायण - वैदिकक्रियापद्धति मुक्तावली - रोगविनिश्चय - वैद्यक मुक्तोपनिषत् - लक्ष्मीस्तव - वैद्यकपथ्यापथ्यविधि मद्रा० मुद्राराक्षस लीला० लीलावतीगणित - वैद्यकपरिभाषा मृगेन्द्रसंहिता - लिङ्गपूराण - वैद्यकरत्नमाला मृच्छ० मृच्छकटिकनाटक - लोगस्ससूत्र - वैद्यकरसेन्द्रसारसंग्रह मेघ० मेघदूत - वक्त्रोक्तिपञ्चाशिका - वैशेषिकदर्शन मेदिनीकोश वरा० पु० वराहपूराण - व्यवहारतत्त्व मेधातिथि (टीकाकार) वर्षतन्त्रजातक व्यासोक्ति० महाभारत-आदि मेरुतन्त्र - वसन्तराजशाकुन शङ्कर० शङ्गरदिग्विजय यजुः० यजुर्वेद - वह्निपूराण (अग्निपूराण) - शङ्कराचार्य याज्ञ० याज्ञवल्क्यसंहिता - वाग्भट शत० ब्रा० शतपथब्राह्मण यादव - वाभट शब्द० शब्दकल्पद्रुम यादवोक्तव्रतभेद वायुपु० वायुपुराण - शब्दचन्द्रिका यामल - वाराहसंहिता - शब्दमाला युक्तिकल्पतरु (श्वेतोपाख्यान) - शब्दरत्नावली रघुनाथ विक्र० विक्रमाङ्कचरित - शब्दार्णव रघुवंश विक्रम विक्रमोत्र विक्रमोर्वशीय - शब्दार्थचिन्तामणि रतिमञ्जरी - विदग्धमुखमण्डन - शक्तिसङ्गमतन्त्र रत्नकोश विद्धशा० विद्धशालभञ्जिका - शाङ्करभाष्य रत्न० रत्नमाला - विवादार्णवसेतु (नारद) शांश० शाखायन (शब्द) स्मृति रत्नाकरपञ्चविंशति - विवेकचूडामणि - शारदातिलकटीका रत्ना० रत्नावली विश्व० विश्वगुणादर्शचम्पू - शारदीयदुर्गापूजापद्धति रमानाथ - विश्वलोचनकोश शारी० शारीरिकभाष्य रसगं० रसगङ्गाधर - विश्वसारतन्त्र - शार्ङ्गधर रसमञ्जरी - विष्णुध्यान शाकु०, श० शाकुन्तल नाटक रसेन्द्रसारसंग्रह विष्णुस० विष्णुसहस्रनाममाला शान्तिश० शान्तिशतक राघवपाण्डवीय - विष्णुस्तोत्र शा० ति० शारदातिलक राजकन्दर्प वृत्त० रत्ना वृत्तरत्नाकर शा० भा० शारीरिकभाष्य ।।। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016067
Book TitleShabdaratnamahodadhi Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuktivijay, Ambalal P Shah
PublisherVijaynitisurishwarji Jain Pustakalaya Trust Ahmedabad
Publication Year2005
Total Pages864
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size23 MB
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