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________________ आर्जीक-आर्द्रक] शब्दरत्नमहोदधिः। ३११ आर्जीक त्रि. (ऋजीकस्य इदम् अण्) *® नामना । आनी स्त्री. (आ+ऋ+वा वा डीप्) 6५२नी म हेश संधी.. मो. आर्जुनायन पु. (अर्जुनस्य गोत्रापत्यम् अश्वा० फञ्) | आत्विज त्रि. (ऋत्विज इदम् अण्) वि°४ संoil, અર્જુનનો ગોત્રાપત્ય. ऋत्वि .४y. आर्जुनायनक पु. (आर्जुनायनस्य विषयो देशः राजन्या. आत्विजीन पु. (ऋत्विजं तत्कर्माह ति खा) वुञ्) अर्जुनना पत्यनो १२. १. *विन भने. हे योग्य. डोय. ते, २. ५४मान. आर्जुनावक त्रि. (अर्जुनावे देशे भवः धूमादि० वुञ्) आत्विज्य त्रि. (ऋत्विजो भावः कर्म वा ष्यञ्) અર્જુનાવ દેશમાં થનાર. १. वि.४५२. विनु छ, भयहि. आर्जुनि पु. (अर्जुनस्य अपत्यं बाहवा. वुज) अर्जुननी | आर्थ त्रि. (अर्थादागतः अण्) १. अर्थथी. प्राप्त थयेद, पुत्र, भाममन्यु. વાક્યર્થની મર્યાદાથી પ્રાપ્ત થયેલ, અર્થ સંબંધી, आर्जुनेय पु. (अर्जुन्याः अपत्यं ढक्) इौत्स ऋषि. | અથશ્રિત. आर्त्त त्रि. (आ+ऋ+क्त) १. पी.30 पामेल, -कामार्ता | आर्थिक त्रि. (अर्थं गृह्णाति ठक्) सर्थ ने बडए. ४२८२, हि प्रकृतिकृपणाश्चेतनाचेतनेषु -मेघ० ४, २. दुःजी.. __ (अर्थादागतः) अर्थथा. प्राप्त थयेस, यानी थयेद, उ. अस्वस्थ, -आर्त्तत्राणाय वः शस्त्रं न | મયદાથી પ્રાપ્ત થયેલ. प्रहर्तुमनागसि-श० १११, ४. विनाशी, ०. .. | आर्थी स्त्री. (अर्थादागता स्त्रियां डीप) सांस२२॥स्त्र आर्त्तस्य यथौषधम्-रघु० १।२८. પ્રસિદ્ધ વાક્યર્થથી પ્રાપ્ત થયેલી વ્યંજના. ' आर्तगल पु. (आर्त इव गलति गल्+अच्) . आई त्रि. (आ+अई+अच्) सारी शत. पा.७८ ४२८२. જાતનું ઝાડ, એક જાતનો છોડ. आर्द्धकंसिक त्रि. (अर्द्धकंसेन क्रीतम् ठक्) स. नमन। आर्तनाद त्रि. (आर्त्तस्य नादः - नद् घञ्) भयो અધ માપથી ખરીદેલ. आर्द्धपुर न. (अर्द्ध पुरस्य) २२ नो मघा मा. सवा४ –आर्त्तध्वनिः, आर्त्तस्वरः. आर्तपणी पु. (ऋतुपर्णस्य अपत्यम् इञ्) आर्द्धप्रस्थिक त्रि. (अर्द्धप्रस्थेन क्रीतम् ठक्) Hil तु५५ પ્રસ્થથી ખરીદેલ. રાજાનો પુત્ર સુદાસ રાજા. आर्द्धधातुक न. १. पानीय व्या४२५॥२॥स्त्र प्रसिद्ध आर्तबन्धु त्रि. (आर्तस्य बन्धुः) दु:जानीनो मित्र शिद् मिन्न. त्यादि प्रत्यायनी मे संश. आर्त्तसाधुः । आर्द्धरात्रिक त्रि. (अर्द्धरात्रे भवः ठञ) मा २॥त्रिमे आतभाग पु. स्त्री. (ऋतभागस्य ऋषेः गोत्रापत्यम् थनार. अञ्) सतमा बिनो. जापत्य. आर्द्धवाहनिक त्रि. (अर्द्धवाहनेन जीवति ठक्) मा आर्त्तव पु. (ऋतुरस्य प्राप्तः अण्) १. *तुम थना२ | पाउनथी. वनार. पुष्प वगैरे, २. तु संधी, 3. स्त्रीन आद्धिक पु. ली. संस-.: तनो व.सं.४२. संांधी-312514. संधी, -अभिभूय विभूतिमार्तवो -वैश्यकन्यासमुत्पन्नो ब्राह्मणेन तु संस्कृतः । आद्धिकः मधुगन्धातिशयेन वीरुधाम्-रघु० ८।३६. स तु विज्ञेयो भोज्यो विप्रैर्न संशयः ।। इति पराशरोक्तिः आर्त्तव न. (ऋतु+अण्) स्त्रीनी. 242514.. आद्धिक पु. (अर्द्ध क्षेत्रशस्यार्द्धमर्हति ठक्) अंतर आर्त्तवी स्त्री. घोडी. નિપજેલા અધ ધાન્યને પગાર બદલે લઈ કોઈની आर्तवेयी स्त्री. २४स्वदा स्त्री.. ખેતી કરનાર ખેડુત. आर्ति स्त्री. (आ+ऋ+क्तिन्) १. पी.31, ४ष्ट, | आद्धिकी स्त्री. तनी. [सं.२ इन्या. २. मानसि व्यथा- आपन्नार्तिप्रशमनफलाः सम्पदो | आर्द्र त्रि. (अर्द+रक दीर्घश्च) १. भी.न. २. २सवाणं, घुत्तमानाम्-मेघ० ५४, 3. विनाश, रोग -आति न 3. ४वाणु, दी.j, ४. न२म., ५. ६४९. नहि ते. न. पश्यसि पुरुरवसस्तदर्थ-विक्रमो० २।१६. છઠું આદ્ર નક્ષત્ર. आनि स्त्री. (आ+ऋ+वा नि आर्त्तभावश्च) गति ४२नारी, आर्द्रक न. (अर्द्रयति रोगान् रक् दीर्घश्च संज्ञायां कन्) ગમન કરનારી. ६. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016067
Book TitleShabdaratnamahodadhi Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuktivijay, Ambalal P Shah
PublisherVijaynitisurishwarji Jain Pustakalaya Trust Ahmedabad
Publication Year2005
Total Pages864
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size23 MB
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