SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 263
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २१६ शब्दरत्नमहोदधिः। [अविरतम्-अविवेचकता अविरतम् अव्य. (न विरतम्) निरंतर, विराम. 41२. | अविलम्बन न. (न विलम्बनम्) , सत्वर. -भजामस्त्वां गौरी नगपतिकिशोरीम-विरतम् | अविलम्बित त्रि. (न विलिम्बितः) 6५२नो. अर्थ. दुमी.. -सौन्दर्यलहरी. अविलम्बित न. (न विलम्बितम्) २., सत्व.२. अविरति स्री. (न विरतिः) १. विराम- ममाप, | अविला स्त्री. (अव+इलच) घेटी, मेंढी. २. निरंत२५, 3. वि२तिनो साव, अविलास पु. (न विलासः) विपासनो समाव, 5. ४. विषयामिuषा, ५. विषयमा स्थिर. अविलास त्रि. (न विलासो यस्य) विलास. वार्नु. अविरति स्त्री. (न विरतिः यस्य) विति-यारित्र्य | अविवक्षित त्रि. (न विवक्षितः) मोसवान न. , वन.. ___४ाने ना याद, तात्पर्यk, मविषयाभूत- भ्रातरः अविरल त्रि. (न विरलः) घाडु, घ, छूटु नलि ते. - इत्यत्र एकशेषग्रहणमविवक्षितम् । जीवाहिंसाविरललहरीसंगमागाहदेहम्- संसारदावा० | अविवक्षितवचनता स्त्री. पोतानो ues अर्थ स्तुतिः કરવામાં સમર્થ ન હોય એવો મંત્રી. अविरहित त्रि. (न विरहितः) भवियुत, ४. असा | अविवक्षितवाच्य त्रि. (न विवक्षितं वाच्यं यस्य) नि. रायुं न बीय. -अविरहितमनेकेनाङ्गभजा फलेन-कि० કાવ્યનો એક ભેદ, જેમાં શાબ્દિક અર્થ ઈષ્ટ નથી. ५१५२. अविवर त्रि. (नास्ति विवरं यत्र) छिद्र गर्नु, घाटुं. अविरविकन्यायः पु. व्या5२९i 64योगी सा सूत्र३५ अविवाच्य न. (नास्ति विशेषेण वाच्यो मन्त्रादिः यत्र) न्याय, आधारे अविनो अविक थाय छे. તે નામનો એક યજ્ઞ. अविराम पु. (न विरामः) विरामनी मलाव, निरंत२५४. अविवाद पु. (न विवादः) विवाह समाव, वि.सुद्धा अविराम त्रि. (न विरामः यस्य) विराम. वरनु, निरंतरनु, નહિ તે, એકમતપણું, અવ્યવહાર, વિરોધનો અભાવ. सतत. अविवादिन त्रि. (न विवादी) विवाह नलि ४२-४२. अविरुद्ध त्रि. (न विरुद्धः) १. विरुद्ध नहित, विरोध | अविवाहित त्रि. (न विवाहितः) नो विवाह सं२७२ वगर्नु, २. . 8साथे. २४नार, 3. नलि ન થયો હોય તે. 42वेस, नलि ३८. अविवाहिन त्रि. (न विवाही) नलि ५२नार. अविरोध पु. (न विरोधः) विरोधनो अभाव, अनुणता | अविवाह्य त्रि. (न विवाह्यः) विवाहने अयोग्य. એક ઠેકાણે રહેવું, એકમાં સમાવેશ, સુસંગતતા. अविविक्त त्रि. (न विविक्तः) १. विवे. नु, ने अविरोध त्रि. (न विरोधः यस्य) विरोध गर्नु, વિશે સારી રીતે–વિશ્લેષણપૂર્વક વિચારાયું ન હોય, पोduu स्वाथ ने मनुष- सामान्यास्तु परार्थमुद्यमभृतः २. . थयेj, 3. ५२२५२ ताहात्म्यने. पामेल, स्वार्थाविरोधेन ये-भर्तृ० २१७४ सावनि.. अविलक्षण त्रि. (न विलक्षणः) स२५॥ ३५वाणु, अविवेक पु. (न विवेकः) वि.न. समाद, वि.5 ભેદ પાડનાર ધર્મથી રહિત. नलित, मिथ्याशान. - अविवेकः परमापदाम्-कि० अविलक्ष्य त्रि. (नास्ति विशेषेण लक्ष्यं व्याजः उद्देश्य २॥३० शरव्यं वा यस्य ) १. पान वान, २. नि842, | अविवेक त्रि. (न विवेको यस्य) विवे. 4k. 3. 6दे१५. २लित, ४. मान लक्ष्य. वर्नु, | अविवेकता स्त्री. (अविवेकस्य भावः) अविवे४५. ५. 6414 रहित, 5. गुप्त, ७. नी. स्पधा न. ४२ अविवेकत्व न. (अविवेकस्य भावः) 6५२नी अर्थ शाय, ८.४ 01 शाय न&- अविलक्ष्यमस्रमपरम् मो. -कि०६।४० अविवेकिन त्रि. (न विवेकी) वि.ही. नाहित. अविलम्ब पु. (न विलम्बः) १. विinो समय, अविवेचक त्रि. (न विवेचकः) 04-2014 Caas २. 6dian. વગરનું, કોઈ વસ્તુનું વિવેચન કરવાની જેની બુદ્ધિ નથી. अविलम्ब त्रि. (न विलम्बः यस्य) वि. वर्नु, अविवेचकता स्त्री. (अविवेचकस्य भावः तल) 14ઉતાવળિયું. અકાર્યના વિવેકીપણાનો અભાવ. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016067
Book TitleShabdaratnamahodadhi Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuktivijay, Ambalal P Shah
PublisherVijaynitisurishwarji Jain Pustakalaya Trust Ahmedabad
Publication Year2005
Total Pages864
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size23 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy