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________________ अलिमोदा-अल्क शब्दरत्नमहोदधिः। १९१ अलिमोदा स्त्री. (अलीन् मोदयति मुद्+णिच् + अण्) | अलोक पु. (न लोक्यते लोक् कर्मणि घञ्) alpuथी ગણીકારી વૃક્ષ, એક જાતનું ઝાડ. અદશ્ય પાતાલ વગેરે, જ્યાં કેવળ આકાશ જ છે. अलिम्पक पु. (कुत्सितं लिप्यते वर्णेन लिप् वा कर्मणि मेवा प्रश. -नालोकं कर्तुमर्हसि-रामचरितम् । श संज्ञायां कन्) १. हेडी, २. (भमरी 3. डीयर | अलोक न. (न लोक्यते-लोक कर्मणि घञ) दोशन्य ४. म र्नु , ५. ५.सर.. .siत. अलिल पु. (ऋ+इलच् रस्य ल:) मे. तनु, ५६l. अलोक अव्य. (लोकस्याभावः) elsो. अमाव.. अलिवल्लभ पु. (अलीनां वल्लभः) १. मभराने प्रिय, अलोकन न. (न लोकनम्) अदृश्य५j, नोिते, २. सि. वृक्ष. અંતધ્યન થવું. अलिविराव पु. (अलीनां विरावः) ममरानो. १२. अलोकनीय त्रि. (न लोकनीयम्) नलि वा योग्य, अलिवाहिनी सी. (अलिं वाहयति गन्धे न महेश्य. वह+णिच्+णिनि+ङीप्) ९॥ ३२प्रसिद्ध मे. अलोका स्त्री. (लोक घञ् स्त्रियां टाप् न० त०) 52. वृक्ष. अलिविरुत न. (अलीनां विरुतम्) (भमरानो श६. अलोक्य त्रि. (लोकाय स्वर्गादिलोकप्राप्तये हितः तत्र अलीक न. (अल्+ईकन्) १. प्रिय, २. माटु, ___ साधु वा यत् न० त०) स्व० वगैरे दोन असाधन. उई, ४. १६ue, sun. अलोभ पु. (न लोभः) बोमनो अमाव, धन कोरेम अलीकता स्त्री. (अलीकस्य भावः तल्) १. मिथ्या५j. અતિતૃષ્ણાનો અભાવ. २. शननं शविषय असत्यप अलोभ त्रि. (न लोभः यस्य) दोन. . अलीकत्व न (अलीकस्य भावः त्व) अज्ञानविषयत्वम्, अलोभिन त्रि. (न लोभी) सोम. विनानु, सोम. . ઉપરનો અર્થ જુઓ. अलोल त्रि. (न लोल:) यंयनलित, तृष्प सरनु, अलीकमत्स्य पु. तसम तणे सहन ढोsni. અચંચળ. अलीकिन् त्रि. (अलिकमस्त्यस्य इन्) हुबोरनार, अलोलुप त्रि. (न लोलुपः) दोमियु नलित, मलित, અપ્રિય બોલનાર, અરુચિકર. નિલભી, લોલુપતા વિનાનું. अलु स्त्री. (अल्+ उन्) नानी. २॥॥२, नान. elel, नानु अलोह पु. ते नमन . ऋषि. ४ात्र. अलोहित त्रि. (न लोहितम्) रातुं न त.. अलुक्समास (न लुक्समासः) ठेभ विमस्तिनो दोप अलोहित न. (न लोहितं यस्मात्) रातुं म.. थती नथ. तेवो समास. -सरसिजम, आत्मनेपदम्। अलौकिक त्रि. (न लोके विदितः ठक्) aviअलुब्ध त्रि. (न लुब्धः) होमियु नहित, नितमी, नहोस.. લોભ વગરનું. अलौकिक न. (न लौकिकं प्रत्यक्षं यत् तत्) नैयायिामे. अलूक्ष त्रि. (न रूक्षः वेदे रस्य लः) सूनहित, था.. માનેલું અલૌકિક પ્રત્યક્ષ. अले अव्य. पिशायी. भाषान संबोधन. अलौकिकत्व (लोकावगतेष्टसाधनताश्रयान्यत्वम् वेदअलेपक त्रि. (नास्ति लेपः सम्बन्धो यस्य वा कप्) નિર્લેપ, કોઈના સંબંધ વગરનું, લેપ નહીં કરનાર, बोधितइष्टसाधनताकत्वमिति मीमांसकाः) वेहमायत ઈષ્ટની સાધના. अलेपक पु. (नास्ति लेपः सम्बन्धो यस्य वा कप्) ५२मात्मा. अलौकिकप्रत्यक्ष न. (अलौकिकसन्निकर्षजन्यं प्रत्यक्षम्) अलेले अव्य. (pu. भाषामा ५२तुं संबोधन... સામાન્યલક્ષણ, જ્ઞાનલક્ષણ, અને યોગજ સકિષમાંથી अलोक त्रि. (न लोक्यते) १. सदृश्य मेवी ७२05 કોઈ એક સત્રિકર્ષથી ઉત્પન્ન થતું પ્રત્યક્ષ. वस्तु, २. (न लोकः यस्मिन् ) ति.निन. अलौकिकसन्निकर्ष पु. (लोकेषु अविदितः सन्निकर्षः) प्रशि, -लोकालोक इवाचल:-रघु० १।६८, 3. ४). લોકમાં નહિ પ્રસિદ્ધ સત્રિકર્ષ–સંબંધ. पुथ्य न युं डोय. ते, ४. नमिठो ना२. अल्क न. १. 3, २. शरी२नी. सवयव. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016067
Book TitleShabdaratnamahodadhi Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuktivijay, Ambalal P Shah
PublisherVijaynitisurishwarji Jain Pustakalaya Trust Ahmedabad
Publication Year2005
Total Pages864
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size23 MB
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