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________________ १४६ शब्दरत्नमहोदधिः। [अभिहितान्वय-अभीष्ट अभिहितान्वय पु. (अभिहितानामन्वयः) १. सभी५म | अभीप्सु त्रि. (अभि आप् सन्+उ) शामिलापवाणु, સ્થાપેલા અર્થોનો અભિધા (શક્તિ) નામની વૃત્તિ | प्राप्त ४२वानी छावा. વડે ઉપસ્થિત કરાયેલા અથનો પરસ્પરનો સમ્બન્ધ. अभीम त्रि. (न भीमः) १. भयान:थी. मन, अभिहितान्वयवाद (अभिहितानामन्वयः संसर्गः २. सौभ्य, 3. मयं.४२ नलित. संसर्गमर्यादया वाक्यार्थबोधे विषयो भवतीति अभीमनस् त्रि. (अभिमुखं मनो यस्य) नि:शं. वादः-कथनम्) नैयायिओनो . विशिष्ट सिद्धांत, अभीमान पु. (अभि मन् घञ्) अभिमान २०६ हुआ.. વાચ્યાર્થીને નહિ પણ તાત્પયર્થને માનનાર, अभीर पु. (अभिमुखीकृत्य ईरयति गाः अभि+इर्+अच्) અભિધાવૃત્તિથી ઉપસ્થિત અર્થોનો અન્વય–સંસર્ગ ___ गोवाणियो, मरवाउ. भाहावडे वयार्थ बोध थाय छे से प्रभारीन | अभीरपल्ली स्त्री. (अभीराणां पल्ली) मरवाउन म. इथन-प्रतिपाइन. अभीरु त्रि. (न भीरू:) १. 00. 3 3 त, २. युद्धमा अभिहूति स्त्री. (अभि ह्व क्तिच्) दुटि. स्वभाव.. Ausum. अभिहोम पु. (होममभि) धानी. भाति ॥५वी. ते. अभीरु पु. (न भीरू:) ५९ भैरव. अभिहत् त्रि. (अभि ह कर्मणि अति) सामे. ४२५० अभीरु न. (न भीर्यत्र) युद्ध स्थान. अभीरुण न. (अभि रु-वा उनन् दीर्घः) सामे. अभिह्वर् त्रि. (अभि व विच्) १. कुटिलतायी गमन अभीरुपत्री स्त्री. (न भीरूणि पत्राणि यस्याः सा) ___5२८२, २. ( याबनार, सासवणु, याबना२. શતમૂલી વનસ્પતિ. अभिहर पु. (अभि व कर्मणि अप्) Widi wal अभीरू स्त्री. (न भीरू: वा ऊङ्) शतमूली नमनी યોગ્ય પ્રદેશ વગેરે. वनस्पति. अभिवृति स्री. (अभि । क्तिन्) सामे. पोदाj. अभील न. (अभि ईर् अच् रस्य ल:) 5ष्ट, भयान.. अभिवत् त्रि. (अभि व कौटिल्ये कर्तरि अति) अभील त्रि. (अभि ईर् अच् रस्य लः) दु:जी, સામે રહીને વાંકું કરનાર. ભયંકરતાવાળું. अभी त्रि. (नास्ति भीर्यस्य) 03 वर्नु, निलय, A२. अभीलाप पु. (अभि लप् भावे घञ् दीर्घः) १. वातयात, अभीक त्रि. (नास्ति भि+कन्) 6५२नअर्थ.. २. सामे 3 ते. अभीक त्रि. (अभी+कन) १. भा.जाम-विषयभोगनी | अभील त्रि. (न भीरू:) अभीरु शब्द ओ. ६२७वाणु, सं५2, २. दूर, 3. उत्सु, ४. सामे | अभीवर्ग पु. (अभि वृज आधारे घञ्) सामेनी संघ. गयेस, ५. सभी५, पासे, 5. वि., ७. स्वामी.. | अभीवर्त पु. (अभि वृत् करणे घञ्) १. ह. साम अभीक्ष्ण त्रि. (अभि क्ष्णु-तेजने+ड) १. संतत, नामनी सामवेहन . (मा, २. मभिवृत्तिना माविछिन, २. अत्यंत. साधनभूत विपनो मेह, 3. संवत्सर, वर्ष. अभीक्ष्ण न. (अभिगतं क्षणम्) वारंवार, ३शवार, अभीशाप (अभि शप् घञ्) 64.31. आपको, हुमी सतत, निरंतर, पूल. अभिशाप. अभीक्ष्णम् अव्य. (अ क्ष्णु डमु) 6५२नो अर्थ हु.. अभीशु पु. (अभि+अश+उन् अत इत्वम्) १. बाई, अभीत त्रि. (न भीतः) न जानेस, सामे गयेस, नि२. भू, २. घोउनी बम, 3. 3२५, ४. सांगणी. अभीत त्रि. (न भीतिर्यस्य) मय , नि.२. अभीशुमत् पु. (अर्भाशवः किरणा बाहुल्येन सन्त्यस्य अभीति स्त्री. (न भीतिः) भयनी अमाव, नियत मतुप्) १. सूर्य, २. 4153र्नु उ. __ भाटे अपाती. अभयमुद्रा, सा. ४, सभी५, पासे. अभीषङ्ग पु. (अभि सङ्ग् घञ् दीर्घः) अभिषङ्ग श०६ (मो. अभीति त्रि. (अभि इण् क्तिन्) सामे गयेस, मामिभुज अभीषु पु. (अभि इष्+कु) १. B२७, २. Auम, गमन.. 3. मामिलाप, ४. स्नेड, आम, अनुशा. अभीपत् त्रि. (अभि पत् क्तिवप् दीर्घः) सामे. ४.२.. | अभीष्ट त्रि. (अभि इष् क्त) १. या, २. वडा, अभीप्सित त्रि. (अभि आप सन् कत) समाष्ट, 3. प्रय, ४. सुं६२, ५. मनगमतुं, . लि.. छेस, प्रिय. -अन्यस्मै हृदयं देहि नानभीष्ट. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016067
Book TitleShabdaratnamahodadhi Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuktivijay, Ambalal P Shah
PublisherVijaynitisurishwarji Jain Pustakalaya Trust Ahmedabad
Publication Year2005
Total Pages864
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size23 MB
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