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________________ व्याख्या साधुदानफलविषयक कृतपुण्यकथानकम् । अण्णं चिंतइ हियए अन्न वायाए भासए अहवा । ववहरइ अण्णमेसा धणलुद्धा पुरिसनिरवेक्खा ॥३॥ निप्पीलिए धणे पुण बाई ठणठणइ उच्चसद्देण । इयरी मंदसिणेहं रई य दंसेइ अप्पाणं ॥ ४ ॥ जह जह खिज्जइ दव्वं तह तह बाई सुनिहरं भणइ। आ माइ पेच्छ एसो न मरइ न मंचयं देइ ॥५॥ भणई य पेच्छ पेच्छसु निल्लज न याणइ जहा होति । वेसित्थिया न कस्सइ दविणं ने देहि जइ कजं ॥६॥ निच्छुन्भइ गड्डाए अन्नो किर आवइ इहं पुरिसो। एवं न सा न गेहं दव्वविहूणस्स पुरिसस्स ॥ ७॥ . अणुवत्तई पुण कुलजा अविणीयपई कुलस्स लजंती। पुणरवि जइ लहइ धणं देइ अणजो स वेसाणं ॥ ८॥ एवं च सो वि कयउन्नओ नियभारियं अणुरत्तं परिच्चज्ज आसत्तो देवदत्ताए गणियाए दव्वक्खयं कुणेइ । तत्थ ठियस्स से पिया दविणं पेसेइ । कालेण निहणं गया जणणि-जणया। तओ भज्जा पेसेह दविणं । दविणं जं जस्स हत्थे तं तेण अंतरियं । वेसावि निच्चं जायइ । एवं सवं दवं निट्ठवियं ।।। जाव अण्णदिणे जयसिरीए निययाहरणं पूणिआउ य चत्ता य छज्जियाए काऊण पेसियं । बाइयाए नायं खीणविहवो एस संपयं, अण्णेहिंतो वि धणागमं भंजइ अच्छंतो, ता निच्छुभिही पत्थावे । सहस्ससहियं पूणियाहरणाइयं पेसियं वालिऊण- वराई सावि जीवउ ति । निसाए मुक्को चउप्पहे । उडिओ पहाए चिंतिउमाढतो जह जह धणं पयच्छइ तह तह तं वल्लहो सि जंपंति । मुद्धजणं धुत्तीओ मुसंति कह भो पयारेउं ॥ ॥ नजह न संति पियरो धणक्खओ कह णु अण्णहा मज्झ । न य विहवे विजंते एवं एयाओ उज्झंति ॥ ता भो घिरत्थु ! मज्झं पियराणं अद्धिई निमित्तेण । नियकुलकलंकभूओ कस्स मुहं दंसहस्सामि ॥ कीस कयं मे नामं लोए कयउण्णउ ति जणणीए । पीपज्जागयरित्थं विणासियं जेण पावेण ॥ नियभुयविढत्तमत्थं एगे उ वयंति धम्मठाणेसु । लोगदुगे वि हु धन्ना लहति मणवंछियं अत्थं ॥ अन्ने दुजम्मजाया मज्झ सरिच्छा अधम्मसारा उ । नियसिरिकंदकुदाला लोगदुगे हीलणिज्जा उ ॥ हुं वञ्चामि ताव गेहं, भज्जा कहं चिट्ठइ त्ति पेच्छामि । गओ घरे । अब्भुट्टिओ तीए । समप्पियं पडुक्कणयं । आणीयं तेल्लं । अब्भंगिउमाढत्तो । कयउण्णउ चिंतेइ पेच्छह कुलप्पसूयं अणुरतं विणयसीलसंजुत्तं । सहसा तणं व मोत्तुं धुत्तीए समप्पिओ अप्पा ॥ पज्जवसाणं एवं वेसाणं कुलवहूण पुण एयं । तह वि हु अपुण्णवंतो धुत्तीए पयारिओ कह णु ॥ तत्तो उव्वट्टिओ हाणिओ य । निम्मजिओ कासाइयाएहिं । उवणीयं विलेवणं, अक्खयखोमजुयलं . च । कयं भोयणजायं जहाविहवं, भुत्तो, रयणीए तीए सह पसुत्तो य । तीए य उदुण्हायाए पइणो ___ 1 B रडइ; C चडइ। 2 B C आमाइ। 3 B C वेसित्थियाओ कस्सई। 4 A गे। 5 B मइए। 6 A एवं च न सा गेहं। 7 B C अणुवत्तेइ वराई। 8 B गमणं । 9A. निमित्तस्स । क. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016066
Book TitleKathakosha Prakarana
Original Sutra AuthorJineshwarsuri
Author
PublisherSinghi Jain Shastra Shiksha Pith Mumbai
Publication Year1949
Total Pages364
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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