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________________ प्रथमकाण्डम् जलवर्ग: ९ जलनील्यान्तु शैवालः वारिपर्णी तु कुम्भिका । सौगन्धिकं सिताम्भोज कल्हारं यत् त्रिसन्ध्यकम् ॥२०॥ रक्तं तद् हल्लक ज्ञेयं कमलेषु कुशेशयम् । पद्मारविन्दे नलिनं शतपत्र स्त्रियं विना ॥२१॥ सहस्रपत्रमम्भोज-मजं राजीवमम्बुजम् । कजं पङ्केरुहं पुण्डरीकं तामरसोत्पले ॥२२॥ अम्भोरुहं सरसिजं सारसं सरसीरुहम् । रात्रीप कुवलयं कैरवं कुमुदं सिते ॥२३॥ हिन्दी-(१) बड़े बन्धों का एक नाम-जलधानी १, स्त्री० (आधार पु०)। (२) क्यारो के तीन नाम-आवाल १, आल. वाल २, नपुं०, आवाप ३ पु० । (३) नगर के चारों ओर बनाई हुई खाई के दो नाम-खेय १ नपुं०, परीखा २ (खाता) स्त्री० ।। बावडो के दो नाम-वापी १ दीर्घिका २ स्त्री० । (५) जलनाली का एक नाम-शैवाल (खेल, शैवल, शेवल) नपुं० पु० । (६) पत्तेवाले शैवाल के दोनाम-वारिपर्णी १, कुम्भिका २ स्त्री० । (७) श्वेत कमल के तीन नाम-सौगन्धिक १, सिताम्भोज २, कल्हार । (८) रक्त कमल का एक नाम 'हल्लक' । (९) कमल के बीस नाम-कमल१, कुशेशय २, पद्म३, अरविन्द ४, नलिन५ शतपत्र ६, सहस्रपत्र ७, अम्भोज ८, अब्ज ९, राजीव १०, अम्बुज ११, कञ्ज १२, पङ्केरुह १३, पुण्डरीक १४, तामरस । १५, उत्पल १६, अम्भोरुह १७, सरसिज १८, सारस १९, सरसोरुह २०, । (१०) रात्रि में खिलने वाले कमल के तीन नाम-कुवलय १, कुमुद २, कैरव ३ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016064
Book TitleShivkosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherKarunashankar Veniram Pandya
Publication Year1976
Total Pages390
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size13 MB
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