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________________ द्वितीयकाण्डम् २१० क्षत्रियवर्ग:९ अश्वारोऽश्ववाहोऽश्वसादोऽश्वारोह सादिनो। अश्वारोह्यश्च सादी च स्युः सप्तैतेऽश्ववाहकाः ॥७२॥ अश्वशास्त्रं शालिहोत्र मश्वशालासु मन्दुरा। सूतो यन्ता नियन्ता च सारथावथ "सैनिकः ॥७३॥ सेनासंमिलितः सैन्यः बाणवारस्तु कञ्चुकः। सेनापतिस्तु सेनानी भैट योधौ तु योद्धरि ॥७४॥ वेधेन्या स्फोटनी तुल्ये आसफोटो बाहुताडनम् । परिधिस्थः सैन्यनेत नेता परिचरोऽपि सः॥७५॥ क्लीबे सारेसनं बाण-वारवन्ध वत्रिका । (१)घोडे की सवारी करने वालों के सात नाम-अश्ववार १ अश्ववाह २ अश्वसाद ३ अश्वारोह ४ सादी ५ अश्वारोही ६ अश्वसादी ७ पु. । (२) अश्वशास्त्र के दो नाम-मश्व शास्त्र १ शालिहोत्र २ नपुं. । (३) अश्वशाला को 'मन्दुरा' कहते हैं स्त्री. । (४) कोचधान के चार नाम-सृत १ यन्ता २ नियन्ता ३ सारथि ४ पु० । (५) सैनिक के तोन नाम सैनिक १ सेनासम्मिलित २ सैन्य ३ पु. । (६) सैनिक के वी के दो नाम-बाणबार १ काचुक २ पु. । (७) सेनापति को 'सेनानी' कहते हैं पु. । (८) योद्धा के सीम नाम-मट १ योष २ योद्धा ३ पु. । (९) मोती आदि के बेधनयन्त्र के दो नाम- वेषनी १ मास्फोटनी २ स्त्री। (१०) बहुताडन का एक नाम-मोल्फोट १ पु. । (११)सैन्यनेसा के शासक के दो नाम-परिधिस्थ १ परिचर २ पु. । (१२) कमर बांधने के फीते के एक नाम-सारसन १ नपुं: । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016064
Book TitleShivkosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherKarunashankar Veniram Pandya
Publication Year1976
Total Pages390
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size13 MB
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