SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 190
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ द्वितीयकाण्डम् मानववर्गः ७ चण्डेातकं तु स्याच्छ्रेष्ठं स्त्रीणामर्द्धारुकेंऽबरे । बहुमूल्ये तृर्णवस्त्रे स्याद् द्विशोलो द्वयोरयम् ॥ १०६॥ नीशौरो ना प्रावरणे शोतवातादि वारणे । चैलै माच्छादनं वस्त्रं वासो वसनमंशुकम् ॥१०७॥ दूष्य पटकुटी साऽल्पांऽकुटीरः पुमानयम् । विताने चन्द्रकोल्लोचौ काण्डपट्टे तु कोणिका । १०८ । परदायां जवनिका तिरस्करिणिकाऽपि सा । स्यादुद्वैर्तनमुत्सादो मार्जनौ तु मृजास्त्रियाम् ॥ १०९ ॥ १७७ (२) लहंगा का एक नाम - चण्डातक १ नपुं० । (२) दुशाले का एक नाम - द्विशाल १ पुनपुं० । (३) ठण्डी और हवा से बचाव के लिये शरीर ढाकने के कपड़े (गोदड़ी) के दो नाम - नीशार १ पु०, प्रावरण २ नपुं० । ( ४ ) सामान्यरूप से कपड़ों के छ नाम - चैल १ आच्छादन २ वस्त्र ३ वासस् ४ वसन ५ अंशुक ६ नपुं० । ( ५ ) तम्बू के दो नाम - दूष्या १ पटकुटी २ स्त्री० । (६) राउटी का एक नाम-अंशकुटीर १ पु० । (७) चन्दोवा के तीन नाम - वितान १पुन्नपुं, चन्द्रक २उल्लोच ३ पु० । (८) कनात के दो नाम - काण्डपट्ट १ पु०, कोणिका २ स्त्री० । (९) पर्दे के १ तिरस्करिणो ( तिरस्करिणिका) २ स्त्री० । (१०) उबटन के दो नाम - उद्वर्तन १ नपुं. उत्साद २ पु० । (११) शरीर साफ करने के दो नाम मार्जना १ मृजा २ स्त्री० । दो नाम - जवनिका १२ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016064
Book TitleShivkosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherKarunashankar Veniram Pandya
Publication Year1976
Total Pages390
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size13 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy