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________________ द्वितीयकाण्डम् मानववर्गः ७ पुंसि शब्दग्रहः कर्णः श्रुतिः स्त्रीलिङ्गमुच्यते ॥७२॥ कटाक्षोऽपाङ्गचेष्टायां नेत्रान्तोऽपाङ्ग उच्यते । तारकाऽक्ष्णः कृष्णगोले भ्रमध्यं कूर्चमस्त्रियाम् ॥७३॥ भ्रूः स्त्रियां चक्षुषो रू- मोष्ठान्ते 'मृक्कि मुक्कणी। गण्डः कपोलः पुंस्योष्ठे त्वधरोरदनच्छदः ॥७४॥ ओष्ठात्परं स्याच्चिबुकं कपोलस्तु हनुः स्त्रियाम् । क्लीबमास्यं मुखं तुण्डं वदनं वक्त्र माननम् ॥७५॥ जं भी जेंभा स्त्रियां जम्भःपुं सि क्लीबे तु जु भणम् । जिह्वा" रसज्ञा रसना समे कोकुद तालुनी ॥७६॥ (१) इसारे का एक नाम--कटाक्ष १ पु० । (२) नेत्रान्त का एक नाम--अपाङ्ग १ पु० । (३) कनोनिका का एक नाम--तारका स्त्रो० । (४) भौहों के संधि (मध्य) का एक नामकुर्च १ पु० नपुं० । (५) नेत्रों से ऊपर धनुषाकार लोमराजिकाएक नाम -भ्रू १ स्त्री० । (६) ओठ के अन्त के दो नाम सृक्ति १, सृक्कन् २ नपुं० । ७ कपोल के दो नाम-गण्ड .. १ कपोल २ पु० । (८) अधः ओष्ठ के तीन नाम-ओष्ठ १ अधर २ रदनच्छद ३ पु० । (९) अधरोष्ठ के नोचे भाग (ठुइडी) के दो नाम-चिबुक १ नपुं० हनु २ स्त्रा० । (१०) मुख के छ नाम-मास्य १ मुख २ तुण्ड ३ वदन ४ वक्त्र ५ आनन ६ नपुं० । (११) जंभाई के चार नाम-जंभा १ जुभा २ सी, जंभ ३ पु०, मुंभण ४ नपुं० (१२) जिह्वा के तीन नाम-जिह्वा १ रसज्ञा २ रसना ३ स्रो० । (१३) ताल के दो माम-काकुद १ तालु २ नपुं० । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016064
Book TitleShivkosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherKarunashankar Veniram Pandya
Publication Year1976
Total Pages390
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size13 MB
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