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________________ १६३ द्वितीय काण्डम् मानववर्गः ७ तज्ज्येष्ठः 'परिवित्तिः स्याद् व्यवायः पुंसि मैथुनम् । तिलकस्तिलचिन्हे स्याज्जडुले पिप्लु कालकौ ॥५० चिकित्सा रुकप्रतीकारः आरोग्याऽनामये समे । औपंधं भेषजं किञ्च भैषज्य मगदः पुमान् ॥५१॥ व्यायामयगदाः रोगो-पतापी रुजा स्त्रियाम् । यक्ष्मा शोषः क्षवो राज-रोगाः "स्त्रीक्षुत् क्षवः क्षुतम् ॥ पीनैसः स्यात्प्रतिश्यायः पादैस्फोटे विपादिका । (१) छोटे विवाहित हो बड़े भाइ के रहते हुए तो बड़े भाइ का नाम--परिवित्ति १पु. (२) मैथुन के दो नाम व्यवाय १ पु मैथुन २ नपुं. (३) शरीर में तिल जैसी कालिमा का एक नाम तिलक १ पु. (४) शरीर शामिका (लहसन) के तोन नाम जडुल १ पिप्लु २ कालक ३ पु. । (५) रोगनिवारंग प्रक्रिया के दो नाम-चिकित्सा १ स्त्री०, रुक्तीप्रकार २ नपुं । (६) नोरोगिता के दो नाम-आरोग्य १, अनामय २ नपुं० । (७) औषध १, मेषज २, भैषज्य ३ नपुं०, अगद ४ पु० । (८) रोग के सात नाम-व्याधि १, आमय २, गद ३, रोग ४, उप्रताप ५ पु०, रुक (रुजू) ६, रुजा ७ स्त्रो० । (९) राजरोग के तीन नाम-यदना १ (यदमन्), शोष २, क्षव ३, पु. । (१०) छिक्का के तीन नाम-क्षुत् १ बी०, क्षव २ पु०, क्षुत २ नपुं० । (११) नासा रोग के दो नाम-पीनस १, प्रतिश्याय २ पु० । (१२) चरण (पैरो) के किनारे का फटना उस के दो नाम-पादस्फोट १ पु०, विपादिका २ स्त्रो० । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016064
Book TitleShivkosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherKarunashankar Veniram Pandya
Publication Year1976
Total Pages390
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size13 MB
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