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________________ द्वितीयकाण्डम् - १२४ . वनस्पतिवर्गः-४ शिखिंनी बर्हि चूडाच स्यान्मयूर शिखा शिखा ॥१२३॥ ब्रह्मदण्डयजदण्डी स्त्री रेवदचीनी तु गन्धिनी । चहि स्त्री चविका चाहा तमाखुस्ताम्रकुट्टकः ॥१२४॥ इष ग्दोलं स्निग्धबीजं सुधामूली तु जीवनी । शिलीन्धं गोमयच्छत्रं स्यादहिच्छत्रमित्यपि ॥१२५॥ कीटारिः कीटमारी स्त्री सर्पदंष्ट्रा विषापहा । उष्ट्रकण्टस्तु कण्टालु मदिको नखरञ्जिनी ॥१२६॥ सजीवनी रुदन्ती स्या-तोटी चिरपोटिका । (१) मोरशिखा के चार नाम-शिखिनो १, बर्हिचूडा २, मयूरशिखा ३, शिखा ४ स्त्री०। (२) उटकगारा के दो नामब्रह्मदण्डी १, अजदण्डो २ स्त्री० । (३) रेवतचानी के दो नाम-रेवटचीनी १, गन्धिनी २ स्त्री० । (४) चाय के तीन नाम-चहि १, चविका २, चाड़ा ३ स्त्रो० । (५) तम्बाकु के दो नाम-तमाखु १, ताम्रकुटक २ पु० । (६) सफगोल के दो नाम --ईषद्गोल १, स्निग्धबीज २ नपुं० । (७) सालम मिशरो के दो नाम-सुधामूलो १, जीवनी २ स्त्री० । (८) गोबरछत्ता के तीन नाम-शिलीन्ध्र १, गोमयच्छत्र २, अहिच्छत्र ३ नपुं० । (९) कीडामारी के चार नाम-कीटारि १ पु०, कोटमारी २, सर्पदंष्ट्रा ३, विषापहा ४ स्त्री० । (१०) ऊँट कटीरा के दों नाम-उष्ट्रकण्ट १, कण्टालु २ पु०। (११) मेहंदी के दो नाम मेदिका १, नखरञ्जनी२ स्त्रो० । (१२) लाणा के दो नाम-सञ्जो- वनी १, उदन्ती २ स्त्री० । (१३) पटकोना (वनसोखा) के दो नाम-पर्पोटी १, चिरपोटिका २ स्त्री० । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016064
Book TitleShivkosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherKarunashankar Veniram Pandya
Publication Year1976
Total Pages390
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size13 MB
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