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________________ द्वितीयकाण्डम् १२१ वनस्पतिवर्गः ४ रजनी नीलिका नीला काला नीली च नीलनी । दुरालभा समुद्रान्ता यासो बहुकण्टकः ॥११२॥ अपामार्गश्चमत्कारः श्वेते रक्ते क्षेवा स्मृतः। काण्डेक्षुः कोकिलाक्षः स्यादिक्षु गन्धे क्षुर क्षुरौ ११३ कन्या घृतकुमारी स्या-देलीयः कृष्णबोलकः । पार्टलिः पाण्डुफल्यां स्याद् वनप्सा तु ज्वरापहा ११४ नीलाऽसौ नीलिनी श्यामा राजपर्णी प्रसारिणी । थनन्ता सारिवा गोपी भृङ्गरोजस्तु मार्कवः ॥११५॥ (१) नीली औषधि के छ नाम-रजनी १, नीलिका २, नीला ३, काला ४ नीली ५, नोलिनी ६ स्त्री० । (२) घमासा के दो नाम-दुरालभा १, समुद्रान्ता २ स्त्री० । (३) यवास के दो नामयवास १, बहुकण्टक २ पुं०। (४) अपामार्ग (आम्वी झाडा,चिरचिरी) श्वेत के दो नाम-अपामार्ग १, चमत्कार २२ पुं० । (५) रक्तचिरचिरो के एक नाम-क्षव १, पुं० (५) ताल मरवाना के पांच नाम-काण्डेक्षु १, कोकिलाक्ष २, इक्षुगन्धा ३, इक्षुर ४, क्षुर ५ पुं० । हिन्दी-(७) घृतकुमारि के चार नामकन्या १, घृतकुमारी स्त्री०, एलीय ३, कृष्णबोधक ४ पुं० । (८) रक्तलोध्र के दो नाम-पाटलि १, पाण्डुफली २ स्त्री० । (९) वनप्सा के दो नाम-वनप्सा १, ज्वरापहा २ स्त्री । (१०) राजपर्णी के पांच नाम-नीला १, नीलिनी २ श्यामा ३, राजपर्णी ४, प्रसारिणी ५ स्त्री. । (११) उत्पलशारिवा (गुलीसर) के तीन नाम-अनन्ता १, सारिवा २, गोपी ३, स्त्री०। (१२) भृगराज (भङ्गरोहा) के दो नाम-भृङ्गराज १, मार्कव २, पु० । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016064
Book TitleShivkosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherKarunashankar Veniram Pandya
Publication Year1976
Total Pages390
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size13 MB
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