SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 122
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ द्वितीयकाण्डम् घनस्पतिवर्ग: उक्त खसफलक्षीर माफूक महिफेनकम् ॥६॥ उच्यन्ते खसबीजानि ते खाखसतिला अपि । एला वालुकमैरेयं "स्पृक्का देवी लघुलता ॥६॥ शौण्डी कृष्णोपकुल्याच मागधी पिप्पली कणा। नली नटो कपोताघ्रिः पुदिनो वान्तिहारकः ॥६५॥ हरीतैक्य भयापथ्या कायस्था श्रेयसी शिवा । विभीतकः कलिदुर्ना भूतावासो बहेडुकः ॥६६॥ द्वयो रामलको धात्री स्त्रियां तिक्त फलाऽमृता । (७) अफोम के तीन नाम-खसफलक्षार १, माफूक २, अहिफेनक ३ नपुं० । (८) खसखस के दो नाम-खस बोज १ नपुं०. खाखसतिल २ पु० । (९) वालुका गन्धद्रव्य के तीन नाम-एला१ स्त्री०, वालुक२, ऐरेय३ नपुं० । (१०) स्पृक्का (अस्यर) के चार नामस्पृक्का १, देवी२, लघु३, लता ४ स्त्री० । (११) सामान्य पिप्पली के छ नाम-शौण्डी१, कृष्णा२, उपकुल्या ३, मागधी४, पिप्पली५, कणा६ स्त्री० । हिन्दी-(१) मालकंगुनी के तीन नाम-नटी१, नली२ स्त्री०, कपोताघि३ पु० । (२) पोदीना के दो नाम-पुदिन१, वान्तिहारकर पु० । (३) हर्डे (हिमज) के छ नाम-हरोतकी१, अभया२, पथ्या ३, कायस्था ४, श्रेयसी५, शिवा६ स्त्री० । (४) बेहेड़ा के चार नाम-विभीत१, कालीद्रु२, भूतावास३, बहेडुक ४ पु०। (५) आंवला के चार नाम-आमलक १ पु० नपुं०, धात्री२, तिक्तफला३, अमृता ४ स्त्री० । (६) अदरख के दो नाम-आईक १. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016064
Book TitleShivkosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherKarunashankar Veniram Pandya
Publication Year1976
Total Pages390
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size13 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy