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________________ रेवतो रामोको कथा नामशेष कर दिया । क्षणभरमें एक विशाल मेघखण्डकी यह दशा देखकर उद्दायनकी आँखें खुली । उन्हें सारा संसार ही अब क्षणिक जान पड़ने लगा। उन्होंने उसी समय महलसे उतरकर अपने पुत्रको बुलाया और उसके मस्तकपर राजतिलक करके आप भगवान् वर्द्धमानके समवसरणमें पहुँचे और भक्तिके साथ भगवानकी पूजा कर उनके चरणोंके पास ही उन्होंने जिनदीक्षा ग्रहण कर ली, जिसका इन्द्र, नरेन्द्र, धरणेन्द्र आदि सभी आदर करते हैं। ___ साधु होकर उद्दायन राजाने खूब तपश्चर्या की, संसारका सर्व श्रेष्ठ पदार्थ रत्नत्रय प्राप्त किया। इसके बाद ध्यानरूपी अग्निसे घातिया कर्मोंका नाश कर उन्होंने केवलज्ञान प्राप्त किया। उसके द्वारा उन्होंने संसारके दुःखोंसे तड़फते हुए अनेक जीवोंको उबार कर, अनेकोंको धर्मके पथपर लगाया और अन्तमें अघातिया कर्मोंका भी नाश कर अविनाशी अनन्त मोक्षपद प्राप्त किया। । उधर उनकी रानी सती प्रभावती भी जिनदीक्षा ग्रहण कर तपश्चर्या करने लगी और अन्तमें समाधि मृत्यु प्राप्त कर ब्रह्मस्वर्गमें जाकर देव वे जिनभगवान् मुझे मोक्ष लक्ष्मी प्रदान करें, जो सब श्रेष्ठ गुणोंके समुद्र हैं जिनका केवलज्ञान संसारके जीवोंका हृदयस्थ अज्ञानरूपी आताप नष्ट करनेको चन्द्रमा समान है, जिनके चरणोंको इन्द्र, नरेन्द्र आदि सभी नमस्कार करते हैं, जो ज्ञानके समुद्र और साधुओं के शिरोमणि हैं। ६. रेवती रानीकी कथा संसारका हित करनेवाले जिनभगवान्को परम भक्तिपूर्वक नमस्कार कर अमूढदृष्टि अंगका पालन करनेवाली रेवती रानीकी कथा लिखता हूँ। विजयाधपर्वतकी दक्षिणश्रेणीमें मेघकूट नामका एक सुन्दर शहर है। उसके राजा हैं चन्द्रप्रभ । चंद्रप्रभने बहुत दिनोंतक सुखके साथ अपना राज्य किया। एक दिन वे बैठे हुए थे कि एकाएक उन्हें तीर्थयात्रा करनेकी इच्छा हुई । राज्यका कारोबार अपने चन्द्रशेखर नामके पुत्रको सौंपकर Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016063
Book TitleAradhana Katha kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaylal Kasliwal
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year2005
Total Pages472
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size21 MB
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