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________________ समन्तभद्राचार्यकी कथा भावार्थ-मैं कांचीमें नग्न दिगम्बर साधु होकर रहा। इसके बाद शरीरमें रोग हो जानेसे पुद्र नगरमें बुद्धभिक्षुक, दशपुर ( मन्दोसोर ) में मिष्टान्नभोजी परिव्राजक और बनारसमें शैवसाधु बनकर रहा। राजन्, मैं जैन निर्ग्रन्थवादो स्याद्वादी हूँ। जिसकी शक्ति वाद करनेकी हो, वह मेरे सामने आकर वाद करे। - पहले मैंने पाटलीपुत्र (पटना) में वादभेरी बजाई। इसके बाद मालवा, सिन्धुदेश, ढक्क ( ढाका-बंगाल ) कांचीपुर और विदिश नामक देशमें भेरी बजाई। अब वहाँसे चलकर मैं बड़े-बड़े विद्वानोंसे भरे हुए इस करहाटक ( कराइजिला सतारा) में आया हूँ। राजन्, शास्त्रार्थ करनेकी इच्छासे मैं सिंहके समान निर्भय होकर इधर-उधर घूमता ही रहता हूँ। __ यह कहकर ही समन्तभद्रस्वामीने शैव वेष छोड़कर पीछा जिनमुनिका वेष धारण कर लिया, जिसमें साधुलोग जीवोंकी रक्षाके लिये हाथमें मोरो पीछी रखते हैं। इसके बाद उन्होंने शास्त्रार्थकर बड़े-बड़े विद्वानोंको, जिन्हें अपने पाण्डित्यका अभिमान था, अनेकान्त-स्याद्वादके बलसे पराजित किया और जैनशासनकी खूब प्रभावना को, जो स्वर्ग और मोक्षकी देनेवाली है। भगवान् समन्तभद्र भावो तीर्थंकर हैं। उन्होंने कुदेवको नमस्कार न कर सम्यग्दर्शनका खूब प्रकाश किया, सबके हृदयपर उसकी श्रेष्ठता अंकित कर दी। उन्होंने अनेक ऐकान्तवादियोंको जीतकर सम्यग्ज्ञानका भी उद्योत किया। आश्चर्यमें डालनेवाली इस घटनाको देखकर राजाकी जैनधर्मपर बड़ी श्रद्धा हुई। विवेकबुद्धिने उसके मनको खूब ऊँचा बना दिया और चारित्रमोहनीयकर्मका क्षयोपशम हो जानेसे उसके हृदयमें वैराग्यका प्रवाह बह निकला। उसने उसे सब राज्यभार छोड़ देनेके लिये बाध्य किया। शिवकोटीने क्षणभरमें सब मायामोहके जालको तोड़कर जिनदीक्षा ग्रहण कर ली। साधु बनकर उन्होंने गुरुके पास खुब शास्त्रोंका अभ्यास किया । इसके बाद उन्होंने श्रीलोहाचार्यके बनाये हुए चौरासी हजार श्लोक प्रमाण आराधनाग्रन्थको संक्षेपमें लिखा। वह इसलिये कि अब दिनपर दिन मनुष्योंकी आयु और बुद्धि घटती जाती है, और वह ग्रन्थ बड़ा और गंभीर था, सर्व साधारण उससे लाभ नहीं उठा सकते थे। शिवकोटी मुनिके Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016063
Book TitleAradhana Katha kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaylal Kasliwal
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year2005
Total Pages472
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size21 MB
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