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________________ · ३८२ आराधना कथाकोश न लगाया जाय तो भी कुछ नुकसान नहीं और वृक्षके नीचे न लगानेसे उस पर बैठे हुए पक्षियोंके बीट बगैरह के करनेका डर बना रहता है । इसलिये वहाँ छत्रीका लगाना आवश्यक है । चौथे उसने पानीमें चलते समय तो जूतोंको पहर लिया और रास्ते में चलते समय उन्हें हाथमें ले लिया था । इससे वह यह बतलाना चाहता हैं - पानी में चलते समय यह नहीं देख पड़ता है कि कहाँ क्या पड़ा है । काँटे, कोले और कंकर-पत्थरोंके लग जानेका भय रहता है, जल जन्तुओं के काटनेका भय रहता है। अतएव पानी में उसने जूतों को पहर कर बुद्धिमानोका हो काम किया । रास्तेमें अच्छी तरह देख-भाल कर चल सकते हैं, इसलिए यदि वहाँ जूते न पहरे जायँ तो उतनी हानिकी संभावना नहीं । पाँचवें उसने एक स्त्रीको मार खाते देखकर पूछा था कि यह स्त्री बँधी है या खुली ? इस प्रश्नसे मतलब था - उस स्त्रीका ब्याह हो गया है या नहीं ? छठे - उसने एक मुर्दे को देखकर पूछा था - यह मर गया है या जीता है ? पिताजी, उसका यह पूछना बड़ा मार्कका था । इससे वह यह जानना चाहता था कि यदि यह संसारका कुछ काम करके मरा है, यदि इसने स्वार्थ त्याग अपने धर्म, अपने देश और अपने देशके भाई-बन्धुओं के हित में जीवनका कुछ हिस्सा लगाकर मनुष्य जीवनका कुछ कर्त्तव्य पालन किया है, तब तो वह मरा हुआ भी जीता ही है । क्योंकि उसकी वह प्राप्त की हुई कोति मौजूद है, सारा संसार उसे स्मरण करता है, उसे हो अपना पथ प्रदर्शक बनाता है । फिर ऐसी हालत में उसे मरा कैसे कहा जाय ? और इससे उलटा जो जीता रह कर भी संसारका कुछ काम नहीं करता, जिसे सदा अपने स्वार्थको ही पड़ी रहती है और जो अपनी भलाई के सामने दूसरोंके होनेवाले अहित या नुकसानको नहीं देखता; बल्कि दूसरोंका बुरा करनेकी कोशिश करता है ऐसे पृथिवीके बोझको कौन जीता कहेगा ? उससे जब किसीको लाभ नहीं तब उसे मरा हुआ हो समझना चाहिए । सातवें उसने पूछा कि यह धानका खेत मालिकों द्वारा खा लिया गया या अब खाया जायगा ? इस प्रश्नसे उसका यह मतलब था कि इसके मालिकोंने कर्ज लेकर इस खेतको बोया है या इसके लिए उन्हें कर्ज की जरूरत न पड़ी अर्थात् अपना ही पैसा उन्होंने इसमें लगाया है ? Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016063
Book TitleAradhana Katha kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaylal Kasliwal
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year2005
Total Pages472
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size21 MB
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