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________________ मनुष्य-जन्मको दुर्लभताके दस दृष्टान्तकी कथा ३६५ रत्न, नौ निधि तथा वे सब देव, ये सब कभी इकट्ठे नहीं हो सकते; इसी तरह खोया हुआ मनुष्य जीवन पुण्यहीन पुरुष कभी प्राप्त नहीं कर सकते । यह जानकर बुद्धिवानोंको उचित है, उनका कर्तव्य है कि वे मनुष्य जीवन प्राप्त करनेके कारण जैनधर्मको ग्रहण करें। ६. स्वप्न दृष्टान्त उज्जैनमें एक लकड़हारा रहता था। वह जंगलमेंसे लकड़ी काट कर लाता और बाजारमें बेच दिया करता था। उसोसे उसका गुजारा चलता था। एक दिन वह लकड़ीका गट्ठा सिर पर लादे आ रहा था। ऊपरसे बहुत गरमी पड़ रही थी। सो वह एक वृक्षकी छायामें सिर परका गट्ठा उतार कर वहीं सो गया। ठंडी हवा बह रही थी। सो उसे नींद आ गई। उसने एक सपना देखा कि वह सारी पृथिवीका मालिक चक्रवर्ती हो गया। हजारों नौकर-चाकर उसके सामने हाथ जोड़े खड़े हैं। जो वह आज्ञा-हुक्म करता है वह सब उसी समय बजाया जाता है। यह सब कुछ हो रहा था इतने में उसकी स्त्रीने आकर उसे उठा दिया। बेचारेकी सब सपनेकी सम्पत्ति आंख खोलते ही नष्ट हो गई । उसे फिर वही लकड़ी का गट्ठा सिर पर लादना पड़ा । जिस तरह वह लकड़हारा स्वप्नमें चक्रवर्ती बन गया, पर जगने पर रहा लकड़हाराका लकड़हारा ही । उसके हाथ कुछ भी धन-दौलत न लगी। ठोक इसी तरह जिसने एक बार मनुष्यजन्म प्राप्त कर व्यर्थ गवा दिया उस पुण्यहीन मनुष्यके लिए फिर यह मनुष्य-जन्म जाग्रद्दशामें लकड़हारेको न मिलनेवाली चक्रवर्तीकी सम्पत्ति की तरह असम्भव है। ७. चक्र-दृष्टान्त अब चक्रदृष्टान्त कहा जाता है । बाईस बड़े मजबूत खम्भे हैं । एकएक खम्भे पर एक-एक चक्र लगा हुआ है । एक-एक चक्रमें हजार-हजार आरे हैं। उन आरोंमें एक-एक छेद है। चक्र सब उलटे घूम रहे हैं । पर जो वोर पुरुष हैं वे ऐसी हालतमें भी उन खम्भों परको राधाको वेध देते हैं। ___ काकन्दीके राजा द्रुपदकी कुमारीका नाम द्रौपदी था । वह बड़ो सुन्दरी थी। उसके स्वयंवरमें अर्जुनने ऐसी ही राधा वेध कर द्रौपदीको ब्याहा था। सो ठीक हो है पुण्यके उदयसे प्राणियोंको सब कुछ प्राप्त हो सकता है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016063
Book TitleAradhana Katha kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaylal Kasliwal
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year2005
Total Pages472
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size21 MB
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