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________________ नानार्थोदयसागर कोष : हिन्दी टीका सहित-उपदंश शब्द | ३७ हिन्दी टीका-उपदंश शब्द पुल्लिग है और उसके दो अर्थ होते हैं.-१. मेढ़रोग विशेष (खुजली कलकलि) और २. मद्यप्राशन (शराब का लेशमात्र पान)। उपदेश शब्द पुल्लिग है और उसके तोन अर्थ होते हैं-१. दीक्षा (मन्त्र ग्रहण) २. शिक्षा (पढ़ाना) और ३. हित भाषण (हितकथन)। उपधान शब्द नपुंसक है और उसके चार अर्थ होते हैं-१. विष (जहर) २. गण्डु (जलचर प्राणो विशेष केंचुवा) ३. व्रत (उपवास-यम नियम वगैरह) और ४. प्रणय (स्नेह प्रेम)। उपपत्ति शब्द स्त्रीलिंग है और उसके तीन अर्थ होते हैं- १. समाधान (युक्तिपूर्ण उत्तर) २. सिद्धान्त (निश्चय, निर्णय वगैरह) और ३. निर्वृति (शान्ति सुख विशेष) । इस तरह उपदंश शब्द के दो, उपदेश शब्द के तोन एवं अधान शब्द के चार और उसपति शब्द के तीन अर्थ समझना चाहिये । मूल : हेतौ युक्तौ संगतौ च स्त्रियां सद्भिरुदाहृता । उपरागः पुमान् राहुग्रस्ते चन्दिरसूययौः ।। १६३ ॥ दुर्णये ग्रहकल्लोले परीवाद - विगानयोः । व्यसनेऽथोपसर्गस्तु रोगभेद उपप्लवे ।। १६४ ॥ हिन्दी टीका-उपरोक्त उपपत्ति शब्द के और भी तीन अर्थ होते हैं -१. हेतु (कारण) २. युक्ति (तर्क) और ३. सगति (समन्वय) इस प्रकार कुल मिलाकर उपपत्ति शब्द के छह अर्थ समझना चाहिये। उपराग शब्द पुल्लिग है और उसके छह अर्थ होते हैं-१. राहुग्रस्त चन्द्र-सूर्य (ग्रहण, चन्द्र-ग्रहण सूर्य-ग्रहण) २. दुर्णय (खराब नीति) ३. ग्रह कल्लोल (सूर्यादि ग्रहों का परस्पर मुठभेड़) ४. परीवाद (लोक में निन्दा) ५. विगान (निन्दा) और ६. व्यसन (विपत्ति) इस तरह उपराग शब्द के कुल छह अर्थ समझना चाहिये । इसी प्रकार उपसर्ग शब्द भी पुल्लिग ही माना जाता है और उसके दो अर्थ होते हैं-१. रोगभेद (रोगविशेष) और २. उपप्लव (विप्लव-विद्रोह) इस तरह उपसर्ग शब्द के दो अर्थ हुए ऐसा समझना । मूल : उपस्थो निकटे लिंगे भगे क्रोडे गुदेऽपि च । उपस्थितः समीपस्थे मृष्ट-शोधितयोस्त्रिषु ।। १६५ ।। उपाधिर्धर्मचिन्तायां कुटुम्बव्यापृते छले । विशेषणे नामचिह्न ऽथोपायः साधने पुमान् ॥ १६६ ॥ हिन्दी टीका-उपस्थ शब्द पुल्लिग है और उसके पाँच अर्थ होते हैं-१. निकट (नजदीक) २. लिंग (मूत्रेन्द्रिय) ३ भग (योनि) ४. क्रोड (गोद) और ५. गुद (गुदा) इस तरह उपस्थ शब्द के पाँच अर्थ समझना चाहिये । उपस्थित शब्द त्रिलिंग है और उसके तीन अर्थ होते हैं -१. समीपस्थ (निकटवर्ती) २. मृष्ट (शुद्ध-समाजित) और ३. शोधित (शोध किया हुआ पदार्थ) इस तरह उपस्थित शब्द के तीन अर्थ समझना चाहिये । इसी प्रकार उपाधि शब्द भी पुल्लिग है और उसके पाँच अर्थ होते हैं-१. धर्मचिन्ता (धर्म को चर्चा) २. कुटुम्ब व्यापृत (कौटुम्बिक व्यवहार) ३ छल (कपट) ४. विशेषण (प्रकार) और ५. नाम चिन्ह (नाम का परिचय ज्ञान कराने वाला चिन्ह विशेष) जिससे अपना या दूसरे का पता लग सकता है । उपाय शब्द १. साधन (कारण) अर्थ में पुल्लिग माना जाता है। इस तरह उपस्थ, उपस्थित, उपाधि, उपाय शब्दों का अर्थ जानना । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016062
Book TitleNanarthodaysagar kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherGhasilalji Maharaj Sahitya Prakashan Samiti Indore
Publication Year1988
Total Pages412
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size22 MB
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