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________________ नानार्थोदयसागर कोष : हिन्दी टीका सहित-उडुप शब्द | ३३ उत्कटो मद संजातमदकुञ्जरयोः शरे । उत्कण्ठा-कलिका-हेला-वीचिषूत्कलिका स्त्रियाम् ॥ १७० ॥ हिन्दी टीका---४. उच्च (ऊँचा) और ५. त्यक्त (छोड़ा हुआ) अर्थ भी उच्छित शब्द के होते हैं। अथ उडुप शब्द पुल्लिग तथा नपुंसक है और उसके दो अर्थ होते हैं - १. मेलक (मिलन-मिलाप कराने वाला) और २. चन्दिर (चन्द्रमा) । इन दोनों अर्थों में उडुप शब्द पुल्लिग माना जाता है । त्रिलिंग उत्कट शब्द के चार अर्थ होते हैं-१. विषम (कठिन परिस्थिति) २. तीव्र (अत्यन्त घोर) ३. मत्त (उन्मत्त पागल) और ४. गुडत्वच् (दाल चीनी काठी, जिसके छिलके मीठे होते हैं। पुल्लिग उत्कट शब्द के तीन अर्थ होते हैं-१. मद (नशा) और २. संजातमदकुंजर (मतवाला हाथी जिसको मद उत्पन्न हो गया है) और ३. शर (बाण)। उत्कण्ठा शब्द स्त्रीलिंग है और उसके चार अर्थ होते हैं-१. उत्कण्ठा (उत्सुकता) २. कलिका (कली कोरक ३ हेला (इच्छा विशेष) और ४. वीचि (तरंग-लहरी) एवम् उत्कलिका शब्द के इस प्रकार -चार अर्थ होते हैं। मूल : उत्तालो मर्कटे श्रेष्ठे कराल त्वरितोत्कटे । उत्थानं पौरुषे युद्धे सैन्ये पुस्तक उद्गमे ॥१७१॥ वास्त्वन्ते हर्ष उद्योगो गात्रोत्तोलन-चैत्ययोः । मलोत्सर्गेऽङ्गने तन्त्रे सन्निविष्टेऽपि दृश्यते ॥१७२।। हिन्दी टीश-उत्ताल शब्द पुल्लिग है और उसके पांच अर्थ होते हैं- १. मर्कट (वानर बन्दर) २. श्रेष्ठ (अच्छा) ३ कराल (घोर) ४ त्वरित (शीघ्र जल्दी और ५ उत्कट (तीव्र)। उत्थान शब्द नपुंसक है और उसके १४ अर्थ होते हैं --१. पौरुष (पुरुषार्थ) २. युद्ध (संग्राम लड़ाई) ३. सैन्य (सेना समूह) ४. पुस्तक, ५. उद्गम (प्रादुर्भाव ६. वास्त्वन्त (वासा का अन्त भाग) ७. हर्ष (आनन्द) ८. उद्योग (व्यवसाय उद्यम) ६. गात्रोत्तोलन (शरीर को ऊपर उठाना) १०. चैत्य (जैन मन्दिर/बौद्ध स्तूप) ११. मलोत्सर्ग (मल-विष्ठा करना) १२. अंगन (प्रांगण अंगना) १३. तन्त्र (व्यवस्था नियम वगैरह) १४. सन्निविष्ट (सन्निवेश किया गया)। इस तरह उत्ताल शब्द के पांच और उत्थान शब्द के १४ अर्थ समझना चाहिए। मूल : उत्पलं नीलकमले कुष्ठौषध - हिमाब्जयोः । पुष्पे कुवलये क्लीबमांसशून्ये त्रिलिङ्गकम् ।।१७३।। उत्प्रेक्षाऽनवधाने च काव्यालंकरणान्तरे । उत्सर्गोवर्जने त्यागे सामान्यविधि - दानयोः ।।१७४॥ हिन्दी टोका-नपुंसक उत्पल शब्द के पाँच अर्थ होते हैं-१. नीलकमल (नीला कमल) २. कुष्ठीषध (कुष्ठ रोग को औषध-दवा) ३. हिमाब्ज (हिमकमल-श्वेतकमल) ४. पुष्प (फूल) ५. कुवलय (सामान्य कमल या श्वेत कमल) किन्तु मांस-शून्य अर्थ में उत्पल शब्द त्रिलिंग माना जाता है इस तरह उत्पल शब्द के छह अर्थ समझना चाहिए। उत्प्रेक्षा शब्द स्त्रीलिंग है और उसके दो अर्थ होते हैं- १. अनवधान (असावधान विशेष ज्ञान रहित) २. काव्यालंकरणान्तर (काव्यालंकार विशेष)। उत्सर्ग शब्द पुल्लिग है और उसके चार अर्थ होते हैं १. वर्जन (छोड़ना) २ त्याग (त्याग करना, दान देना) ३. सामान्य विधि (साधारण विधि - जनरल) और ४. दान (दान देना) इस तरह उत्प्रेक्षा शब्द के दो और उत्सर्ग शब्द के ४ अर्थ होते हैं ऐसा समझना चाहिए। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016062
Book TitleNanarthodaysagar kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherGhasilalji Maharaj Sahitya Prakashan Samiti Indore
Publication Year1988
Total Pages412
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size22 MB
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